आस्था और रोमांच का मिलन, पहाड़ों पर बसा मां का पवित्र धाम
खासकर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय का नजारा यहाँ बेहद मनोरम होता है। बारिश के मौसम में चारों ओर फैली हरियाली इस स्थान की सुंदरता को और भी निखार देती है।
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बालोद, जनजागरुकता। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में स्थित दुर्गडोंगरी किल्लेवाली मंदिर आस्था और रोमांच का अनोखा संगम है। यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और रोमांचक सफर के कारण पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। पहाड़ों की ऊँचाई पर बसा यह मंदिर ऐसा स्थल है, जहाँ जो भी आता है, वो मां किल्लेवाली की भक्ति में लीन हो जाता है।
डौंडी विकासखंड के कोटागांव के पास स्थित यह मंदिर हरे-भरे जंगलों और सुरम्य पहाड़ियों के बीच स्थित है। यहाँ से दिखाई देने वाला बोईरडीह जलाशय और दल्लीराजहरा-महामाया की पहाड़ियाँ मन को सुकून देती हैं। खासकर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय का नजारा यहाँ बेहद मनोरम होता है। बारिश के मौसम में चारों ओर फैली हरियाली इस स्थान की सुंदरता को और भी निखार देती है।
मंदिर तक पहुँचने का सफर भी रोमांच से भरपूर है। दल्लीराजहरा से महामाया रोड होकर करीब 10 किलोमीटर की यात्रा के बाद प्रवेश द्वार आता है। यहाँ तक पक्की सड़क बनी हुई है, लेकिन इसके बाद वाहन पार्किंग से आगे का रास्ता पैदल तय करना पड़ता है। सीढ़ियों और कच्चे पगडंडियों से गुजरते हुए जब श्रद्धालु ऊपर चढ़ते हैं, तो रास्ते में दिखने वाले प्राकृतिक दृश्य थकान को भूलने पर मजबूर कर देते हैं।
मंदिर पहुँचते ही ऊँचाई से दिखाई देने वाला नजारा इस यात्रा को अविस्मरणीय बना देता है। यह स्थान ‘दुर्गडोंगरी’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है ‘पर्वत पर स्थित किला’। कहा जाता है कि यहाँ कभी एक किला हुआ करता था, जिसके अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं। उसी स्थान पर स्थित किल्लेवाली माता का मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
दुर्गडोंगरी किल्लेवाली मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह एडवेंचर प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। ऊँचाई पर चढ़ाई, पहाड़ों के सुंदर दृश्य, और शांत वातावरण इसे एक बेहतरीन पर्यटन स्थल बनाते हैं। जो भी यहाँ आता है, वह इस प्राकृतिक सौंदर्य और मां किल्लेवाली की भक्ति में डूबकर रह जाता है।janjaagrukta.com