नाबालिग बनी मां- बाल आश्रम में गैंगरेप के बाद अफसरों ने सालभर दबाए रखा मामला

बाल आयोग ने जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिलाया है, इधर पूर्व महिला बाल विकास मंत्री रमशीला साहू ने कहा अफसरों ने मामला दबाए रखा।

नाबालिग बनी मां- बाल आश्रम में गैंगरेप के बाद अफसरों ने सालभर दबाए रखा मामला

रायपुर, जनजागरुकता। राजधानी रायपुर के एक बाल आश्रम से गंभीर मामला सामने आया है। यहां रहने वाली एक नाबालिग युवती के साथ गैंगरेप हुआ था। अब वह मां बन चुकी है। मामले को संबंधित अफसरों ने दबाए रखा। मामले में राज्य बाल आयोग ने संज्ञान लेने की बात कही है। 

यह मामला रायपुर के माना स्थित एसओएस बाल आश्रम का है। जहां 14 साल की एक बच्ची से गैंगरेप हुआ था। उसके बाद मामला सालभर अफसरों ने दबाए रखा। बच्ची अब मां बन चुकी है। इस प्रकरण को लेकर बाल आयोग की अध्यक्ष तेजकुंवर नेताम ने कहा है हम इस प्रकरण की जानकारी लेंगे। उसके बाद दोषियों पर कार्रवाई करेंगे।

मामले मे सवाल-जवाब के बाद बाल आयोग अध्यक्ष तेजकुंवर नेताम ने कहा- कि मामला बेहद गंभीर है। पूरी घटना की जानकारी लेकर कार्रवाई करेंगे। वहीं नेताम ने कहा इस पर एसपी और कलेक्टर से चर्चा करेंगे। तथ्य मंगवाए जाएंगे, और नियमानुसार एक्शन लेंगे। अध्यक्ष नेताम ने कहा बाल आयोग बच्चों के लिए ही है, बच्चों के लिए ही हम जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। बच्ची के साथ न्याय हो यही प्रयास रहेगा।

बच्ची गर्भवती हुई तब एफआईआर दर्ज किया गया

राजधानी के पास माना में बाल आश्रम संचालित है, इसे एसओएस नाम की इंटरनेशनल एजेंसी संचालित करती है। जिला प्रशासन इसमें सहयोग करता है। यहां जून 2021 में घटना घटी थी। आश्रम में रह रही 1 बच्ची के साथ रेप किया गया था। घटना के बाद नवंबर 2021 में जब बच्ची की गर्भवती होने की जानकारी मिली तब मामले में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। 

डीएनए के बाद पता चला गैंगरेप हुआ

जांच में ये बात साबित हुई कि आश्रम का ही एक कर्मचारी अंजनी शुक्ला को इस मामले में आरोपी बनाया गया और उसे गिरफ्तार किया गया था। बच्ची ने जिस बच्चे को जन्म दिया उसका डीएनए आरोपी से मैच नहीं किया, उसके बाद अंदेशा है कि बच्ची के साथ शारीरिक संबंध किसी और ने भी बनाया। उसके बाद ये बात सामने आई कि आश्रम में बच्ची के साथ ज्यादती होती रही। वहां उसके साथ गैंगरेप होता रहा।

पूर्व मंत्री ने अफसरों पर लगाए आरोप

इधर बाल आश्रम में बच्ची से ज्यादती मामले में पूर्व महिला बाल विकास मंत्री रमशीला साहू ने कहा है कि यह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजधानी में बालिका सुधार गृह से ऐसी घटना निकलकर सामने आई है। उससे भी अधिक दुर्भाग्यजनक है महिला एवं बाल विकास विभाग अफसरों द्वारा मामले की लीपापोती करना और उसे दबाया जाना।

..उसके बाद भी बच्ची को घटना स्थल पर ही रखा गया

मामले पर पूर्व मंत्री साहू ने आगे कहा है कि राजधानी रायपुर में इतनी बड़ी घटना हो जाती है और मंत्री अनिला भेड़िया कहती हैं उनके संज्ञान में नहीं है यह शर्मनाक बात है। साहू ने कहा अधिकारी कुछ कहते हैं। पुलिस कुछ और कहती है, वहीं जांच रिपोर्ट में कुछ और ही बात सामने आती है। साहू ने सवाल उठाया कि पीड़िता को अभी तक घटना स्थल पर ही रखा जाता है जहां उसके साथ इतना बड़ा कांड हुआ था। पूर्व मंत्री साहू ने कहा इस घटना ने कांग्रेस राज में बेटियों और महतारियों के प्रति कार्यप्रणाली की पोल खोल दी है।

उठाए सवाल

पूरी घटना को लेकर पूर्व मंत्री रमशीला साहू ने कई गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा जिस महिला एवं बाल विकास विभाग के बाल संरक्षण इकाई ने मामले को दबा कर रखा था उन पर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई है? वे लोग कौन हैं जिन्हें बचाने के लिए पूरे मामले की रोज लीपापोती की जा रही है? जिस स्थान पर बलात्कार हुआ अभी तक उसे वहीं पर ही क्यों रखा गया है, क्या पीड़िता को दबाव में रखना चाहते हैं?

..और भी लोग संलिप्त है

पीड़िता के बच्चे व आरोपी के डीएनए रिपोर्ट मैच नहीं होने के बाद यह साफ है कि मामले में और लोग भी संलिप्त है। इसके बावजूद भी सामूहिक दुष्कर्म के नजरिए से इसकी जांच क्यों नहीं जा रही? क्यों बाकी लोगों को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा?

जिम्मेदार हो की पता नहीं मामला

इस पूरी घटना को बाल आश्रम और महिला बाल विकास विभाग के अफसरों ने दबाए रखा। महिला बाल विकास विभाग की मंत्री अनिला भेड़िया को भी इस केस की कानों-कान खबर नहीं लगने दी। अब मीडिया में मामला फूटा तो मंत्री को खबर लगी। इस मामले में मंत्री अनिला भेड़िया ने बयान में कहा है कि उन्हें भी ये केस पता नहीं था। खबरों के जरिए ही पता चला है। इसमें लड़की ने जिसे आरोपी बताया पुलिस ने उसे पकड़ा है। इस केस की फिर से पूरी तरह से जांच कराएंगे, जो भी जिम्मेदार होगा, दोषी होगा उस पर कार्रवाई करेंगे।

देखरेख करने वाले को ही प्रदेश से बाहर भेजा

पूरे केस में हुई चूक या जानबूझकर बरती गई ढिलाई को इस बात से समझा जा सकता है कि मामले की अहम कड़ी को ही छोड़ दिया गया। जिस बच्ची का रेप हुआ उसकी देखभाल करने वाली हाउस मदर (आया) को कांड के फौरन बाद दिल्ली तबादला कर दिया गया। मामले में उस महिला का बयान तक नहीं लिया गया।

अफसरों ने की गड़बड़ी

बाल आश्रम में बच्ची की गर्भवती होने, उसके रेप की खबर अफसरों ने लीक नहीं होने दी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में इस केस को दबाए रखा गया। वरना इतनी बड़ी घटना उजागर हो जाती। आश्रम के किसी अफसर या जिम्मेदारों पर इस मामले में कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई। मामले में आश्रम की डायरेक्टर निपुना सेन से संपर्क करने की कोशिश की गई पर उन्होंने जवाब नहीं दिया।

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