राजिम माघी पुन्नी मेला- आस्था, अध्यात्म और संस्कृति का त्रिवेणी संगम, आठवीं शताब्दी से है महत्व
ऐतिहासिक स्थल होने की वजह से यहां की धार्मिक मान्यता भी है। इसलिए यहां देशभर से पर्यटक आते हैं।
गोबरा नवापारा-राजिम, जनजागरुकता। छत्तीसगढ़ का प्रयाग धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल गरियाबंद जिले के राजिम में स्थित है। पवित्र धार्मिक नगरी राजिम में
प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक पंद्रह दिनों का मेला लगता है। धार्मिक स्थल के नाम से यहां के इतिहास की बड़ी महिमा है। जहां प्रदेश के साथ देशभर से श्रद्धालु भागीदारी देने पहुंचते हैं और 3 नदियों के संगम त्रिवेणी संगम में में लोग स्नान करते हैं।
यहा मुख्य रूप से तीन नदियां महानदी, पैरी और सोंढूर का संगम है। संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव जी विराजमान हैं। ऐतिहासिक स्थल होने की वजह से यहां की धार्मिक मान्यता भी है। इसलिए यहां देशभर से पर्यटक आते हैं।
मेले की शुरुआत कल्पवास से
मेला की शुरुआत कल्पवास से होती है। राज्य शासन ने इस स्थल की महत्ता को देखते हुए 2001 से राजिम मेले को राजीव लोचन महोत्सव के रूप में मनाया जाता था। उसके बाद 2005 से इसे कुम्भ के रूप में मनाया जाता रहा रहा। और अब 2019 से राजिम माघी पुन्नी मेला के रूप में मनाया जा रहा है। यह आयोजन छत्तीसगढ़ शासन धर्मस्व एवं पर्यटन विभाग व स्थानीय आयोजन समिति के तत्वावधान में होता है।
मेला के पखवाड़े भर पहले से श्रद्धालु पंचकोशी यात्रा प्रारंभ कर देते हैं। पंचकोशी यात्रा में श्रद्धालु पटेश्वर, फिंगेश्वर, ब्रह्मनेश्वर, कोपेश्वर और चम्पेश्वर नाथ का पैदल भ्रमण कर दर्शन करते हैं और धुनी रमाते हैं। 101 किलोमीटर की यात्रा का समापन होता होते ही माघ पूर्णिमा से मेला का आगाज होता है।
हजारों साधु-संतों का होगा आगमन
इस वर्ष 5 फरवरी माद्य पूर्णिमा से 18 फरवरी 2023 महाशिवरात्रि तक राजिम माद्यी पुन्नी मेला आयोजित किया गया है। मेले में देशभर से हजारों साधु-संतों का आगमन होता है। वहीं प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में नागा साधु, संत विशेष पर्व स्नान तथा संत समागम में भाग लेते हैं। मेला में अनेक राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान श्री राजीव लोचन तथा श्री कुलेश्वर नाथ महादेव जी का दर्शन कर अपना जीवन धन्य मानते हैं।
जगन्नाथपुरी की यात्रा के बाद कुलेश्वर नाथ का दर्शन
छत्तीसगढ़ के लोगों में मान्यता है कि भगवान जगन्नाथपुरी जी की यात्रा तब तक पूरी नहीं मानी जाती, जब तक भगवान श्री राजीव लोचन तथा श्री कुलेश्वर नाथ के दर्शन नहीं कर लिए जाते। इसलिए राजिम माघी पुन्नी मेला का अंचल में अपना एक विशेष महत्व है।
भगवान श्री राजीव लोचन जी का स्थल
बता दें कि राजिम अपने आप में एक विशेष महत्व रखने वाला धार्मिक, ऐतिहासिक एक छोटा सा शहर है। राजिम गरियाबंद जिले का एक तहसील है। प्राचीन समय से राजिम अपने पुरातत्वों और प्राचीन सभ्यताओं के लिए प्रसिद्ध रहा है। राजिम की मुख्य रूप से भगवान श्री राजीव लोचन जी के मंदिर के कारण प्रसिद्धि है।
यहां आठवीं शताब्दी का मंदिर
राजिम का यह मंदिर आठवीं शताब्दी का है। यहां कुलेश्वर महादेव जी का भी मंदिर है। जो संगम स्थल पर विराजमान हैं। राजिम माघी पुन्नी मेला प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक चलता है। इस दौरान प्रशासन विविध सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजन कराता है।
प्रतिदिन शाम को सांस्कृतिक आयोजन
इस दौरान प्रतिदिन शाम 5.30 बजे से रात 10 बजे तक छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कलाकारों की शानदार प्रस्तुति होगी। मेला के प्रारंभ दिवस 5 फरवरी को रंग सरोवर के भूपेंद्र साहू बारुका और स्वर्णा/गरिमा दिवाकर रायपुर की शानदार प्रस्तुति होगी।
6 फरवरी को पद्मश्री डॉ. ममता चंद्राकर की प्रस्तुति
इसके बाद 6 फरवरी को पद्मश्री डॉ. ममता चंद्राकर रायपुर, 7 फरवरी को अल्का परगनिहा रायपुर, 8 फरवरी को पीसी लाल यादव गण्डई, पद्मश्री ऊषा बारले भिलाई, 9 फरवरी को ननकी ठाकुर, चम्पा निषाद रायपुर, 10 फरवरी को हिम्मत सिन्हा छुरिया, 11 फरवरी को गोरेलाल बर्मन रायपुर, 12 फरवरी को अनुराग शर्मा रायपुर, 13 फरवरी को दुष्यंत हरमुख भिलाईकी प्रस्तुति होगी।
आरु साहू और दीपक चंद्राकर दर्शकों को रिझाएंगे
इसी तरह 14 फरवरी को दिलीप षडंगी रायगढ़, आरु साहू नगरी, 15 फरवरी को सुनील सोनी दुर्ग, 16 फरवरी को रिखी क्षत्रीय भिलाई, पद्मश्री डोमार सिंह कुंवर लाटाबोड़, 17 फरवरी को दीपक चंद्राकर अर्जुन्दा और 18 फरवरी को सुनील तिवारी रायपुर के कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।
आस्था के संगम में नगर का गंदा पानी
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित पवित्र धार्मिक नगरी राजिम में माघी पूर्णिमा के मेले में श्रद्दा की डूबकी लगाने के लिए प्रदेशभर के साथ देश के अनेक प्रदेशों से श्रद्धालु लाते हैं। माघी पूर्णिमा के अवसर पर तड़के सुबह से ही वे स्नान करने पहुंचते हैं। इसके लिए प्रशासन ने नदी में स्नान कुंड बनाया है। लेकिन दुख की बात ये है कि इस श्रद्धा के कुंड में राजिम नगर का नंदा पानी समाहित होता है। इसकी रोकथाम के लिए अब तक प्रशासन ने कोई स्थाई व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया है। नतीजतन अशुद्ध पानी में ही श्रद्धालु पूर्णिमा स्नान करने को मजबूर होंगे।
janjaagrukta.com