राजीव गांधी हत्याकांडः दोषियों को रिहा करने के आदेश के खिलाफ केंद्र की सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को राजीव हत्याकांड में जेल की सजा काट रहे छह आरोपियों को 31 साल तक जेल में रहने के बाद रिहा करने का आदेश दिया था
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। पूर्व पीएम राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के फैसले के खिलाफ मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। मामले में केंद्र ने पुनर्विचार याचिका दायर की है। सरकार ने नलिनी समेत 6 लोगों को रियायत देने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से दोबारा विचार करने की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को राजीव हत्याकांड में जेल की सजा काट रहे छह आरोपियों को 31 साल तक जेल में रहने के बाद रिहा करने का आदेश दिया था। शीर्ष कोर्ट के आदेश के बाद नलिनी सहित 6 दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया था। इसी साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य दोषी एजी पेरारिवलन को आर्टिकल 142 का हवाला देते हुए रिहा किया था।
21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में चुनावी रैली के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया था। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी मारे गए थे।
अपने फैसले में क्या कहा था?
11 नवंबर को फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा था कि जिस नियम के तहत एजी पेरारिवलन को रिहाई दी गई थी, वो इस मामले में दोषी पाए गए अन्य पर भी लागू होती है। पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा था, 'राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचार-विमर्श के आधार पर रिहाई का फैसला किया था। अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना उचित होगा।'
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