Aligarh Muslim University के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर SC का बड़ा फैसला..
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर फैसला सुनाते हुए इसे बरकरार रखने का निर्णय लिया। 4-3 के बहुमत से इस फैसले में 4 जजों ने सहमति जताई, जबकि 3 जज असहमत रहे।
जनजागरुकता डेस्क। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर फैसला सुनाते हुए इसे बरकरार रखने का निर्णय लिया। 4-3 के बहुमत से इस फैसले में 4 जजों ने सहमति जताई, जबकि 3 जज असहमत रहे। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश और जस्टिस पारदीवाला का विचार समान था, जबकि जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा का रुख अलग था। सीजेआई ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अल्पसंख्यक दर्जा बनाए रखने के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि संस्थान का अल्पसंख्यक चरित्र सुरक्षित रहे, साथ ही शैक्षणिक संस्थानों को विनियमित किया जा सकता है और धार्मिक समुदायों को अपनी संस्थाएं स्थापित करने का अधिकार है।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना 1875 में सर सैयद अहमद खान ने एक मुस्लिम कॉलेज के रूप में की थी, जिसका उद्देश्य मुस्लिम समाज को शैक्षिक रूप से सशक्त करना था। 1920 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा मिला और इसे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के नाम से जाना जाने लगा।
AMU एक्ट 1920 में 1951 और 1965 के संशोधनों को लेकर हुए कानूनी विवादों ने इस पूरे मामले को जन्म दिया। 1967-68 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि AMU एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, इसलिए इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता। अदालत का कहना था कि इसका गठन केंद्रीय अधिनियम के तहत हुआ ताकि इसके डिग्री की सरकारी मान्यता सुनिश्चित हो सके।