छत्तीसगढ़ में आरक्षण का मुद्दा पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, सरकार ने मांगा समय, सुनवाई अब 16 जनवरी को
न्यायमूर्ति बीआर गवई के सामने आज सुनवाई हुई, जिसमें समाज की तरफ से समाजिक कार्यकर्ता और वकील बीके मनीष ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट सुनवाई के लिए आवेदन किया।
रायपुर, जनजागरुकता। छत्तीसगढ़ में सरकार ने पिछले दिनों छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर 76 प्रतिशत आरक्षण बिल को पास कराया था। उसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। आरक्षण पर सुनवाई अब 16 जनवरी को होगी।
आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर त्वरित याचिका पर आज शुक्रवार को सुनवाई होनी थी। जिसमें राज्य सरकार की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने समय मांगा है। उसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 16 जनवरी की तारीख तय कर दी है।
अर्जेंट सुनवाई के लिए आवेदन लगाया है
मामले पर इससे पहले न्यायमूर्ति बीआर गवई के सामने आज सुनवाई हुई, जिसमें समाज की तरफ से समाजिक कार्यकर्ता और वकील बीके मनीष ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट सुनवाई के लिए आवेदन किया। आदिवासी हित और प्रदेश में संवैधानिक स्थिति का हवाला देते हुए बीके मनीष ने त्वरित सुनवाई की याचिका दायर की थी, जिसके बाद कोर्ट ने आज सुनवाई की तारीख तय की थी।
समाजिक कार्यकर्ता ने अर्जेंट सुनवाई की याचिका लगाई है
आरक्षण मुद्दे पर राज्य सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी नियुक्त किए गए हैं। सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि ये बहुत संवेदनशील मुद्दा है, जिसे लेकर राज्य सरकार का पक्ष जानना बेहद जरूरी है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम राहत पर सुनवाई 16 जनवरी तक टल गई है। जिसमें सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने समय मांग लिया। समाजिक कार्यकर्ता बीके मनीष ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट सुनवाई की याचिका दायर की है।
विशेष सत्र में 76 प्रतिशत आरक्षण बिल पास
बता दें कि राज्य सरकार ने पिछले दिनों छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर 76 प्रतिशत आरक्षण बिल को पास कराया था। इसके तहत 32 प्रतिशत आदिवासियों को अनुसूचित जाति-SC को 13% और सबसे बड़े जातीय समूह अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC को 27% आरक्षण मिलेगा। वहीं सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% आरक्षण दिया जाना है। इस बिल पर राज्यपाल का हस्ताक्षर होना बाकी है, जिसे लेकर राजनीति गरमायी हुई है। आज सीएम भूपेश बघेल ने भी आरक्षण बिल में हस्ताक्षर नहीं होने को लेकर राजभवन को निशाने पर लिया था।
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