भोरमदेव अभ्यारण्य में नहीं बनेगा टाइगर रिजर्व, जनहित याचिका खारिज

राज्य वन्य जीव बोर्ड के निर्णय को कांग्रेस ने बिलासपुर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी थी।

भोरमदेव अभ्यारण्य में नहीं बनेगा टाइगर रिजर्व, जनहित याचिका खारिज

बिलासपुर, जनजागरुकता। भोरमदेव वन्य जीव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित नहीं करने के लिए राज्य वन्य जीव बोर्ड के निर्णय को चुनौती दने वाली जनहित याचिका छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। ऐसे में छत्तीसगढ़ का भोरमदेव अभयारण्य में टाइगर रिजर्व नहीं बनाया जाएगा। 

भोरमदेव अभयारण्य मामले से जुड़ी जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने बीजेपी शासनकाल में इस निर्णय का विरोध किया था। अब कांग्रेस सरकार के पक्ष में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। छत्तीसगढ़ के भोरमदेव वन्य जीव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व  नहीं बनाने के पक्ष में फैसला सुनाया है। 

इसलिए याचिका लगाई गई थी

बता दें कि वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। यह याचिका वन्य जीव बोर्ड द्वारा टाइगर रिजर्व घोषित नहीं करने के निर्णय को चुनौती देते हुए दायर की गई थी। 24 नवंबर को टाइगर रिजर्व घोषित नहीं करने का निर्णय लिया गया था।

यह दिया गया तर्क

न्यायालय में प्रकरण की सुनवाई के दौरान सरकार द्वारा अपना पक्ष रखा गया। जिसमें कहा गया कि भोरमदेव अभयारण्य में टाइगर रिजर्व घोषित करने से स्थानीय आदिवासियों के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। साथ ही उन्हें विस्थापित कर दूसरे स्थान पर बसाना होगा।" इस पर हाईकोर्ट ने अभ्यारण्य में टाइगर रिजर्व नहीं बनाने के पक्ष में फैसला सुनाया है।

आदिवासियों को दिलाया भरोसा- मंत्री अकबर ने कहा हम साथ हैं

मामले पर प्रदेश के वन मंत्री छत्तीसगढ़ शासन मोहम्मद अकबर ने कहा है कि राज्य शासन आदिवासियों के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा। उन्होंने प्रस्तावित भोरमदेव अभ्यारण क्षेत्र के आदिवासियों एवं बैगा जनजाति के लोगों को भरोसा दिलाया है कि वे कतई चिंता न करें। इस क्षेत्र के विधायक होने के नाते वे (अकबर) हर स्थिति में उनके हितों की रक्षा करेंगे। वन मंत्री मोहम्मद अकबर के प्रयास से राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में 24 नवबंर 2019 को कवर्धा स्थित भोरमदेव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित नहीं करने का निर्णय लिया गया था। 

विरोध में चलाया था आंदोलन

कांग्रेस पार्टी ने भाजपा के कार्यकाल में भोरमदेव अभ्यारण को टाईगर रिजर्व घोषित करने के विरोध में मोहम्मद अकबर के नेतृत्व में आंदोलन चलाया गया था। बाद में परिस्थितियां बदल गयी तथा राज्य में कांग्रेस की सरकार बन गई। 

नहीं तो 39 गांवों को करना पड़ता विस्थापित

बता दें कि टाइगर रिजर्व की घोषणा करने से 39 गांवों को विस्थापित करना पड़ता और वहां पीढ़ियों से रह रहे 17566 लोगों को उनके मूल स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करना पड़ता। इन निवासियों में बड़ी संख्या बैगा जनजाति के लोगों की है। उनके विस्थापन से उनकी प्राचीन संस्कृति, जंगलों से उनके रिश्ते आदि का विस्थापन हो जाता।

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