रोड पर एक्सीडेंट करके भाग जाने वालों की अब नहीं खैर, जल्द ही सख्त होगा कानून

इस कानून की जानकारी गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में दी है।

रोड पर एक्सीडेंट करके भाग जाने वालों की अब नहीं खैर, जल्द ही सख्त होगा कानून

 
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। केंद्र सरकार द्वारा रोड एक्सीडेंट करके भाग जाने वाले लोगों के लिए एक सख्त कानून जल्द ही लागू होने वाला है। अब कोई भी रोड एक्सीडेंट करके नही भाग सकते, ऐसा करते पाए जाने पर सख्त सजा हो सकती है, क्योंकि इनसे जुड़े कानून लोकसभा में लागू हो गया है। इस कानून के मुताबिक रोड एक्सीडेंट करके भागने वालो को 10 साल की सजा होगी, चूंकि इसमें राहत के प्रावधान है।

अधिकतर देखा जाता है कि कोई शख्स रोड एक्सीडेंट करके रफूचक्कर हो जाता है, लेकिन अब ऐसा नही होगा अगर ऐसा करते पाया गया तो उसे 10 साल की सजा होगी। अगर वह एक्सीडेंट वाला शख्स घायल व्यक्ति को अस्पताल लेकर जाता है तो उसकी सजा कम कर दी जाएगी। इस कानून की जानकारी गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में दी है।

पहले क्या था प्रावधान
बता दें कि पहले आईपीसी की धारा 104 के तहत सड़क दुर्घटना के दौरान लापरवाही से मौत या फिर जल्दबाजी या लापरवाही से हुई मौत के अपराध में पहले 2 साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान था. बहरहाल, नए कानून को लोकसभा से मंजूरी मिल गई है और अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा, जिसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह कानून की शक्ल ले लेगा।

संसद में कल क्या हुआ
लोकसभा ने औपिनवेशिक काल से चले आ रहे तीन आपराधिक कानूनों के स्थान पर सरकार द्वारा लगाए गए विधेयकों को बुधवार को मंजूरी दे दी। सदन ने लंबी चर्चा और गृहमंत्री अमित शाह के विस्तृत जवाब के बाद भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक, 2023 को ध्वनमित से अपनी स्वीकृति दी. ये तीनों विधेयक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी),1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 के स्थान पर लाये गए हैं।

अमित शाह ने क्या कहा?
विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि ‘व्यक्ति की स्वतंत्रता, मानवाधिकार और सबके साथ समान व्यवहार’ रूपी तीन सिद्धांत के आधार पर ये प्रस्तावित कानून लाये गए हैं। गृहमंत्री का कहना था कि आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव किया जा रहा है, जो भारत की जनता का हित करने वाले हैं। अमित शाह ने कहा कि इन विधेयकों के माध्यम से सरकार ने तीनों आपराधिक कानूनों को गुलामी की मानसिकता से मुक्त कराया है। उनका कहना था, ‘पहले के कानूनों के तहत ब्रिटिश राज की सलामती प्राथमिकता थी, अब मानव सुरक्षा, देश की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।’
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