पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से दुनिया की नजरें टिकी, चीन-पाक परेशान
मोदी का अमेरिका दौरा 21 जून से शुरू हो रहा है। पीएम मोदी वॉशिंगटन में प्रमुख कंपनियों के सीईओ, पेशेवरों सहित अन्य हितधारकों के साथ बातचीत करेंगे। जानते हैं अमेरिका दौरे से भारत को क्या मिलेगा?
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। पीएम नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा कई मायनों में काफी अहम माना जा रहा है। पूरी दुनिया की नजर इस दौरे पर टिकी हुई है। खासकर पाकिस्तान और चीन दोनों देश परेशान नजर आ रहे हैं। मोदी का अमेरिका दौरा 21 जून से शुरू हो रहा है। पीएम मोदी वॉशिंगटन में प्रमुख कंपनियों के सीईओ, पेशेवरों सहित अन्य हितधारकों के साथ बातचीत करेंगे। खैर, सवाल ये उठता है कि आखिर पीएम मोदी के इस दौरे से भारत को क्या-क्या मिलेगा ?
इस बारे में विदेश मामले के जानकार डॉ. आदित्य पटेल ने कई महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की ताकत बढ़ेगी। हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते कदम को रोकने अब पश्चिमी देशों ने हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र के देशों को एकजुट करने के लिए भारत को आगे किया है। भारतीय पीएम मोदी इसे बखूबी कर भी रहे हैं। बड़े पैमाने पर निवेश की संभावना है। इन्ही बातों को लेकर चीन और पाकिस्तान चिंतित हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी ताकत
दुनिया के बड़े देशों में अभी भारत ही ऐसा देश है, जो पूरी तरह से गुट निरपेक्ष है। मतलब किसी भी गुट में शामिल नहीं है। इसके बावजूद हर गुट का पसंदीदा देश बना हुआ है। भारत के रूस से भी अच्छे रिश्ते हैं और अमेरिका से भी। भारत तेजी से वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है। ऐसे में पीएम मोदी राजकीय दौरे पर अमेरिका जा रहे हैं। राजकीय दौरा इसलिए अहम होता है क्योंकि इसका पूरा खर्च मेजबान देश ही करता है। पीएम मोदी 21 जून को योग दिवस के जरिए भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रसार पूरी दुनिया में करेंगे।
कई रणनीतिक साझेदारी होगी
इसके बाद वह जो बाइडेन के साथ बैठक करेंगे। इस बैठक में भारत और अमेरिका के बीच कई रणनीतिक साझेदारी भी होगी। डिजिटल इकॉनामी, अंतरिक्ष मिशन, रक्षा, व्यापार समेत कई बिंदुओं पर दोनों देशों के बीच समझौते होंगे। इससे साफ है कि भारत की ताकत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बढ़ेगी। रक्षा उत्पादों की खरीदारी को लेकर भी दोनों देशों के बीच डील हो सकती है।
हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन को रोकने में भारत की भूमिका अहम
पश्चिमी देशों से एशिया को प्रशांत क्षेत्र ही जोड़ता है। यहां 50 से ज्यादा छोटे देश और आईलैंड हैं। इस क्षेत्र में चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना के तहत पापुआ न्यू गिनी के करीब सोलोमन द्वीप समूह के साथ एक सुरक्षा समझौता किया था, जिसके बाद चीन ने राजधानी होनियारा में बंदरगाह बनाने का एक अनुबंध हासिल किया। चीन के इस कदम को देखते हुए पापुआ न्यू गिनी बीजिंग की ओर झुकाव दिखा रहा है। बीजिंग ने कहा था कि चीन और पापुआ न्यू गिनी दोनों अच्छे दोस्त हैं। जो क्वाड समूह के देश भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के लिए एक बड़ी चिंता है। अब पश्चिमी देशों ने हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र के देशों को एकजुट करने के लिए भारत को आगे किया है। भारतीय पीएम मोदी इसे बखूबी कर भी रहे हैं।
भारत का दबदबा बढ़ने से चीन का प्रभाव कम होगा
उन्होंने हिंद क्षेत्र में चीन के बढ़ते कदम को रोकने की दिशा में पहला और बड़ा कदम बढ़ाया। जिस तरह से प्रशांत क्षेत्र में बसे देश और आईलैंड्स ने पीएम मोदी का स्वागत किया, वो भी बड़ा कूटनीतिक संदेश दे रहा है। अब अमेरिकी दौरे के दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच इस मसले पर भी बातचीत होगी। अमेरिका चाहता है कि पीएम मोदी प्रशांत महासागर क्षेत्र के साथ-साथ अन्य एशियाई देशों को एकजुट करे और उसका नेतृत्व करे। इससे चीन का प्रभाव कम हो सकता है।
भारत में बड़े पैमाने पर निवेश की संभावना
पीएम मोदी अपने इस दौरे के दौरान अमेरिका के कई बड़े उद्योगपतियों के साथ मुलाकात करेंगे। कारोबारियों से मुलाकात के दौरान भारत में निवेश को लेकर भी बातचीत होगी। बताया जाता है कि इस दौरान माइक्रॉन टेक्नोलॉजी एक अरब डॉलर से अधिक के निवेश का एलान कर सकता है।
भारत की बढ़ती धमक से चीन और पाकिस्तान परेशान
विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल ने कहा, ‘दुनिया में भारत की बढ़ती धमक से चीन और पाकिस्तान पहले से ही परेशान हैं। एक तरफ पाकिस्तान में कई तरह की समस्याएं हैं तो दूसरी ओर चीन भी लगातार विवादों में घिरा हुआ है। ऐसे समय में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। इससे दोनों देश चिंतित हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि अगर भारत का विकास हो जाएगा तो इससे दुनिया में उनकी अहमियत खत्म हो जाएगी।’
एशिया में भारत के बढ़ने से चीन-पाक को होगा नुकसान
डॉ. आदित्य के अनुसार, ‘दोनों देश ये जानते हैं कि एशिया में भारत के बढ़ने से उन्हें नुकसान होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत तेजी से एशियाई और हिंद प्रशांत क्षेत्र के देशों को अपने साथ जोड़ रहा है। अगर ऐसा हो जाता है तो इसका सीधा नुकसान चीन और पाकिस्ताान को होगा। ये दोनों देश कमजोर और अलग-थलग पड़ जाएंगे। भारत में कई चीजों का उत्पाद शुरू हो गया है, जिसके लिए पहले लोग चीन पर निर्भर रहा करते थे। अब लोग चीन की बजाय भारत की तरफ देखने लगे हैं। इससे भारत की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है। उधर, चीन को इससे झटका लगा है।
पीएम मोदी के अमेरिका दौरे का शैड्यूल
21 जून को पीएम नरेंद्र मोदी न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह की अगुआई करेंगे।
22 जून को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ पीएम मोदी की उच्च स्तरीय बैठक होगी।
22 जून की शाम को पीएम मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडेन द्वारा उनके सम्मान में आयोजित किए गए राजकीय रात्रिभोज शामिल होंगे।
22 जून को अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे।
23 जून को अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में दोपहर भोज की मेजबानी करेंगे।
पीएम मोदी वाशिंगटन में प्रमुख कंपनियों के सीईओ, पेशेवरों, अन्य हितधारकों के साथ बातचीत करेंगे।