आयुर्वेद का खजाना.. रसोई में है छोटी बीमारियों का इलाज.. 1

प्रकृति से ही औषधि तैयार की जाती रही है। छोटी बीमारी हो, या फिर गंभीर.. हर तरह के इलाज के लिए आयुर्वेद के खजाने का ही सहारा लिया जाता रहा है।

आयुर्वेद का खजाना.. रसोई में है छोटी बीमारियों का इलाज.. 1

दादी-नानी की रसोई से..

जनजागरुकता, हेल्थ डेस्क। मानव शरीर हो या फिर पशु-पक्षियों सभी के लिए स्वास्थ्य लाभ लेने धरती पर प्रकृति का खजाना है। वहीं से जीवन चलता है और वहीं से हम खाद्य की चीजों से शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भी औषधि तैयार करते हैं।

आदिकाल से बीमारियों के इलाज के लिए पेड़-पौधे, जड़ी-बूटी ही सहारा है। प्रकृति से ही औषधि तैयार की जाती रही है। छोटी बीमारी हो, या फिर गंभीर.. हर तरह के इलाज के लिए आयुर्वेद के खजाने का ही सहारा लिया जाता रहा है। हमारे बुजुर्ग आज भी वही प्रक्रिया अपनाते दिखाई देते हैं।

घर के आसपास हो, या फिर जंगल, पहाड़, नदी, नालों के किनारे उगे पौधे हमारे स्वास्थ्य के लिए बड़े काम की चीज होती है। नियमानुसार इसका उपयोग किया जाए तो हमारे शरीर को निरोगी, दीर्घायु रखने में हमारी सहायता करते हैं। हम यहां जो जानकारी दे रहे हैं वह बड़े का की, आप इसे सुरक्षित कर लें।

हम छोटी-छोटी बीमारियों का इलाज स्वयं कर सकते हैं। छोटे-छोटे प्रयोग जिनको आप अवश्य अपनाएं, कुछ प्रयोग जो आपके घर में ही उपलब्ध है उसे आजमाएं और लाभ लें। ..पर हम यह भी बता देते हैं कि किसी भी दवा के उपयोग से पहले अनुभवी, बुजुर्ग या फिर आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना अति आवश्यक है। 

ये है घरेलु नुस्खे..

खराश-सूखी खांसी के लिये

गले में खराश या सूखी खांसी होने पर पिसी हुई अदरक में गुड़ और घी मिलाकर खाएं। गुड़ और घी के स्थान पर शहद का प्रयोग भी किया जा सकता है। मरीज को आराम मिलेगा।

मुंह और गले की तकलीफ के लिए

भोजन के बाद दोनों समय आधा चम्मच सौंफ चबाने से मुख की अनेक बीमारियां और सूखी खांसी दूर होती है। बैठी हुई आवाज़ खुल जाती है, गले की खुश्की ठीक होती है और आवाज मधुर हो जाती है।

बदन दर्द में प्रयोग

10 ग्राम कपूर, 200 ग्राम सरसों का तेल दोनों को शीशी में भरकर मजबूत ढक्कन लगा दें तथा शीशी धूप में रख दें। जब दोनों वस्तुएं मिलकर एक रस होकर घुल जाए तब इस तेल की मालिश से नसों का दर्द, पीठ और कमर का दर्द और, मांसपेशियों के दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं।

जोड़ों का दर्द

बथुआ के ताजा पत्तों का रस 15 ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक-चीनी आदि कुछ न मिलाएं। नित्य प्रातः खाली पेट लें या फिर शाम चार बजे। इसके लेने के आगे-पीछे दो-दो घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें।

भोजन से पहले अदरक

भोजन करने से दस मिनट पहले अदरक के छोटे से टुकड़े को सेंधा नमक में लपेट कर (थोड़ा ज्यादा मात्रा में) अच्छी तरह से चबा लें। दिन में दो बार इसे अपने भोजन का आवश्यक अंग बना लें, इससे हृदय मजबूत और स्वस्थ बना रहेगा, दिल से सम्बंधित कोई बीमारी नहीं होगी और निराशा व अवसाद से भी मुक्ति मिल जाएगी।

नोट- किसी भी तरह की दवा को लेने से पहले चिकित्सक से सलाह अवश्य ले लें। इन नुस्खों के आजमाने पर किसी को कोई नुकसान होता है, तो "जनजागरुकता मीडिया" की किसी भी तरह की कोई जवाबदारी नहीं होगी। हम नानी-दादी से, और आज के समय में सोशल मीडिया से आती जानकारियों के माध्यम से मिली जानकारी आप तक पहुंचा रहे हैं।

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