बड़ी सफलता : 30 लाख का ईनामी उग्रवादी दिनेश गोप गिरफ्तार
पुलिस और सुरक्षाबलों के लिए यह बड़ी कामयाबी है कि 102 केस दर्ज वाले आतंकी पकड़ा गया है। गिरफ्तारी की एनआईए ने पुष्टि की है।
रांची, जनजागरुकता। उग्रवादी संगठन पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप की गिरफ्तारी पुलिस और सुरक्षाबलों के लिए बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। दिनेश गोप के खिलाफ 102 आपराधिक मामले दर्ज हैं। उस पर झारखंड पुलिस ने 25 लाख व एनआईए ने पांच लाख यानी कुल 30 लाख का इनाम रखा था।
आतंक का पर्याय बना उग्रवादी दिनेश गोप आखिरकार सुरक्षाबलों के हत्थे चढ़ गया। प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीएलएफआई के सुप्रीमो दिनेश गोप की गिरफ्तारी की एनआईए ने पुष्टि की है।
2 दिनों की ट्रांजिट रिमांड पर लेकर पुलिस रांची पहुंची
बता दें कि गिरफ्तारी के बाद एनआईए एसपी प्रशांत आनंद के नेतृत्व में पुलिस की टीम उसे 2 दिन के ट्रांजिट रिमांड पर लेकर रविवार की शाम को रांची पहुंची। मूल रूप से खषूंटी के कर्रा का रहने वाला दिनेश गोप उर्फ कुलदीप यादव उर्फ बड़कू 20 साल से फरार था। दिनेश गोप पर 30 लाख रुपये का इनाम घोषित था। इनमें से 25 लाख रुपये झारखंड सरकार और 5 लाख रुपये का इनाम एनआईए ने घोषित कर रखा था।
रांची सहित 4 जिलों में दिनेश गोप का प्रभाव
पुलिस के अनुसार बता दें कि दिनेश ने प्रभाव वाले जिलों में लेवी वसूल कर बेहिसाब संपति बनाईं है। 2007 में मसीहचरण पूर्ति के साथ मिल दिनेश ने पीएलएफआई की नींव रखी थी। पहले वह झारखंड लिबरेशन टाइगर नाम का उग्रवादी संगठन चलाता था। दिनेश गोप ने अपने प्रभाव क्षेत्र वाले कई जिलों में आपराधिक छवि के युवाओं को पीएलएफआई की फ्रेंचाइजी दी। पीएलएफआई का प्रभाव रांची, खूंटी, सिमडेगा, गुमला, चाईबासा आदि जिलों में है।
दिनेश पर 102 केस दर्ज, एनआईए ने दायर की थी चार्जशीट
एनआईए ने टेरर फंडिंग के केस में भी दिनेश गोप पर चार्जशीट दायर की थी। उसके खिलाफ झारखंड, ओडिशा और बिहार में कुल 102 केस दर्ज हैं। सभी हत्या, अपहरण, फिरौती और लेवी वसूलने से जुड़े हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने दिनेश गोप के खिलाफ आरसी 02/2018 में चार्जशीट की थी। नोटबंदी के बाद दिनेश ने सहयोगियों के जरिए 25.38 लाख रुपये खपाने का प्रयास किया था।
मुठभेड़ के बाद नेपाल में शरण ली थी
बता दें कि चाईबासा के गुदड़ी इलाके में 3 फरवरी 2022 को दिनेश के दस्ते के साथ सुरक्षाबलों की मुठभेड़ हुई थी। उस वक्त जंगल का फायदा उठाकर दिनेश भाग गया था। मुठभेड़ के बाद उसने नेपाल में शरण ली थी। वहां कुछ स्थानीय नेताओं के सहयोग से उसने निवेश भी किया।