दुर्घटना रोकने कई तरह की जांच- रेलवे ट्रैक की सेंसर मशीनों में खामियां, जांच में खुलासा
इंजीनियरों ने सेंसर मशीनों को बदलने का अल्टीमेटम दिया है। ओडिशा में हुई रेल दुर्घटना के बाद से भारतीय रेलवे बोर्ड कई तरह की जांच करवा रहा है।
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। ओडिशा में हुई रेल दुर्घटना के बाद से भारतीय रेलवे बोर्ड सतर्क हो गया है। रेलवे इंजीनियरों से रेलवे ट्रैक की सेंसर मशीनों की जांच में कई तरह की खामियां पाईं हैं। इन खामियों को देखकर इंजीनियरों ने चेतावनी दी है यदि फाल्ट सेंसर मशीनों को वापस नहीं लिया गया तो खराब इकाइयों के कारण बालासोर जैसी घटना हो सकती है। बड़ी बात ये है कि सात जोन में 3000 इकाइयां पहले से ही मौजूद हैं।
कई तरह की जांच करवा रहा रेलवे बोर्ड
ओडिशा में हुई रेल दुर्घटना के बाद से भारतीय रेलवे बोर्ड कई तरह की जांच करवा रहा है। जिसमें रेलवे ट्रैक के काम पर इस्तेमाल की जाने वाली एक सेंसर मशीन शामिल हैं। इस मशीन को रेलवे ने अपनी डिजाइन और मानक इकाई आरडीएसओ द्वारा अनुमोदित विशिष्टताओं के अनुसार चालू किया था और फिर अधिकारियों ने इसका परीक्षण किया जिसके बाद बताया कि इस मशीन में कई तरह की खामियां हैं।
सात जोन में 3000 सेंसर मशीनें पहले से ही मौजूद
अधिकारियों ने कहा कि एमएसडीएसी प्रणाली की लगभग 4,000 इकाइयां रेलवे द्वारा 5 लाख रुपये प्रति यूनिट की लागत से खरीदी गई हैं। बड़ी बात ये है कि 7 जोन में 3000 इकाइयां पहले से ही मौजूद हैं। इसका परीक्षण पहले से किया जा रहा है। अब तक, परीक्षण चरण के हिस्से के रूप में पूर्वी रेलवे, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे, उत्तर रेलवे, मध्य रेलवे, उत्तर पश्चिम रेलवे और उत्तर मध्य रेलवे में ऐसी 3,000 संभावित दोषपूर्ण इकाइयां पहले ही स्थापित की जा चुकी हैं।
सेंसर मशीन किसी भी धातु के संपर्क में आने पर भेजता है सिग्नल
बता दें कि एमएसडीएसी (मल्टी सेक्शन एक्सल काउंटर) एक प्रणाली है जिसका उपयोग रेलवे सिग्नलिंग में दो बिंदुओं के बीच ट्रैक के एक खंड की स्पष्ट स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है। सिस्टम में आमतौर पर एक व्हील सेंसर और सेक्शन के अंदर और बाहर ट्रेन के एक्सल की गिनती के लिए एक मूल्यांकन इकाई होती है। यह मूल रूप से स्टेशन मास्टर को बताता है कि ट्रैक ट्रेन की आवाजाही के लिए खाली है या नहीं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सिस्टम इतना ख़राब है कि अगर यह किसी धातु के संपर्क में आता है तो सिग्नल भेजता है। कभी-कभी सेंसर ट्रॉली की गतिविधियों का पता लगाते हैं और कभी-कभी नहीं (अप्रत्याशित)। यह भी देखा जाता है कि कभी-कभी ट्रॉली के दो पहिये गुजरते हैं लेकिन सिस्टम केवल एक का ही पता लगाता है।