श्राद्धपक्ष.. धन के अभाव में ऐसे करें श्राद्ध..
अत: प्रत्येक गृहस्थ को अपनी शक्ति व सामर्थ्य के अनुसार पितरों के निमित्त श्राद्ध व तर्पण अवश्य करना चाहिए।
जीवन मंत्र.. मानें चाहे न मानें..
जनजागरुकता, धर्म डेस्क। पितृपक्ष का समय सनातन धर्म के अनुसार हमारे पितरों, दिवंगत पूर्वजों के लिए पर्व का समय है। उनके लिए समर्पित होने का सयम है। अत: प्रत्येक गृहस्थ को अपनी शक्ति व सामर्थ्य के अनुसार पितरों के निमित्त श्राद्ध व तर्पण अवश्य करना चाहिए।
श्राद्धपक्ष में श्रद्धा से, मन से अपने पितरों के लिए बहुत कुछ करने का मन करता है। पर कई बार ऐसी भी परिस्थिति बनती है कि पैसे के आभाव में हाथ बंध जाते हैं। ऐसे में मनमसोसकर रह जाना पड़ता है। तो कभी कभी आज की दौड़ती-भागती दुनिया में समय आभाव यानि रोजगार की चिंता में भी परिस्थितिवस कुछ नहीं कर पाते।
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ऐसे में ब्रह्मपुराण में बताया गया है कि धन के अभाव में श्रद्धापूर्वक केवल शाक से भी श्राद्ध किया जा सकता है। यदि इतना भी न कर सको तो अपनी दोनों भुजाओं को उठाकर कह देना चाहिए कि मेरे पास श्राद्ध के लिए न धन है और न ही कोई वस्तु। अत: मैं अपने पितरों को प्रणाम करता हूूं.. वे मेरी श्रद्धा भक्ति से ही तृप्त हों।
पितरों से मांगें आशीर्वाद
अपने पितरों से क्षमा मांगते हुए आशीर्वाद मांगें कि हे मेरे पूर्वजों मुझ पर ऐसी कृपा करें कि मैं आपके अर्पण के लिए सक्षम बनूं। जीवन में ऐसा काम करूं कि आपकी आत्मा को शांति मिले। आपको मुक्ति मिले। भगवान के चरणों में आपको स्थान मिले।
जीवन में कर सकूं रचनात्मक काम
हे मेरे पितरों ऐसा आशीर्वाद दें, ऐसा सक्षम बनाएं कि मैं धर्म का काम, रचनात्मक काम कर सकूं जिससे आपका नाम रौशन हो। मेरे द्वारा सभी जीवों को सुख मिले। उनकी तकलीफ दूर हो। आने वाली पीढ़ी भी धर्म के काम में लगा रहे।