शिक्षाविदों की राय में कौटिल्य के 4 सूत्र आज भी कारगर, शिक्षक देश के सबसे बड़े जनमत निर्माताः सुशील त्रिवेदी
लोकतंत्र में शिक्षक की भूमिका पर राज्य स्तरीय संगोष्ठी। वक्ताओं ने कहा सकारात्मक स्थितियों के बावजूद वर्तमान समाज में शिक्षक को वह सम्मान नहीं मिल रहा जो गुरुकुल परंपरा में प्राप्त होता रहा।
रायपुर, जनजागरुकता। राजधानी के रंगमंदिर प्रेक्षागृह में एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट प्रोफेशनल ऑफ अनएडेड कॉलेज के तत्वावधान में लोकतंत्र में शिक्षक की भूमिका विषय पर राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। जहां शिक्षाविदों की राय में कौटिल्य के 4 सूत्र आज भी कारगर हैं। वक्ताओं ने कहा शिक्षक देश के सबसे बड़े जनमत निर्माता हैं।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ताओं में पूर्व आयुक्त राज्य निर्वाचन आयोग सुशील त्रिवेदी, डॉ. केएल वर्मा कुलपति पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, डॉ. एलएस निगम कुलपति शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, अजय तिवारी अध्यक्ष अशासकीय व अनुदान प्राप्त संस्था, डा. सुरेश शुक्ला अध्यक्ष ऐसोसिएशन ऑफ प्राइवेट प्रोफेशनल ऑफ अनएडेड कॉलेज की रहे।
इस दौरान सभी वक्ताओं ने कहा कि शिक्षक का कोई विकल्प नहीं है। चाहे शिक्षा में जितने बदलाव हो जाएं। उन्होंने माना कि आज भी शिक्षा को लेकर कौटिल्य के दिए गए 4 सूत्र काफी लाभकारी है। वक्ताओं ने कहा पर एक बड़ा सवाल भी उठाया कि इन तमाम स्थितियों के बावजूद वर्तमान में समाज में शिक्षक को वो सम्मान नहीं मिल रहा जो पहले गुरुकुल परंपरा में प्राप्त होता रहा है।
आयोजन में मुख्य वक्ता सुशील त्रिवेदी ने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था कि संविधान कितना ही अच्छा क्यों न बना हो जब तक उसके चलाने वाले अच्छे नहीं होंगे तो उसका महत्व नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अब प्रत्यक्ष लोकतंत्र समाप्त हो गया है प्राकृतिक लोकतंत्र आ गया है लेकिन दुनियां में जापान और स्वीटजरलैंड में आज भी प्राकृतिक लोकतंत्र है। उनका कहना था कि पहले विधायक या एमएलए को लॉ मेकर कहा जाता था, उन्हें कानून बनाने का अधिकार था पर आज यह अधिकार धन और बाहूबली के नियंत्रण में आ गया है।
त्रिवेदी ने बताया कि लोकतंत्र कैसे चलाना है यह जनता पर निर्भर करता है। देश की विभिन्नताओं और संस्कृति का सम्मान करने पर लोकतंत्र सुरक्षित रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक न्यायपूर्ण समाज बनाता है इसीलिए शिक्षक और शिक्षा का स्तर उंचा होना चाहिए। वे मानते हैं कि आने वाले दशक में भारत युवाओं का देश बन जाएगा।
1936 व 1940 में पढ़े-लिखे ही वोट देते थे
पूर्व निर्वाचन आयुक्त सुशील त्रिवेदी ने संगोष्ठी में संविधान पर बात रखते हुए एक विशेष उल्लेख में कहा कि 1936 व 1940 में चुनाव में पढ़े-लिखे लोगों को ही वोट देने का अधिकार था। इंग्लैड में महिलाओं को वोट देने के अधिकार नहीं थे। देश में संविधान लागू होने के बाद सभी को वोट देने का अधिकार मिल पाया।
शिक्षक का आदर्श व्यक्तित्व होना चाहिए
आयोजन में पं. रविवि के कुलपति डॉ. केसरी लाल वर्मा ने कहा कि देश में गुरुकुल षिक्षा पद्धति रही है इससे शिक्षा को आगे बढ़ते देखा है। उन्होंने बताया कि शिक्षक के माध्यम से नागरिक तैयार होते हैं। स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय हमारे संविधान का महत्वपूर्ण भाग रहा है जो लोकतंत्र को मजबूत बनाते हैं जिसे विद्यर्थियों को बताने की जरूरत है।
धर्म-अधर्म से विधार्थी को परिष्कृत करना शिक्षक का दायित्व
शंकराचार्य प्रोफेसनल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. लक्ष्मी शंकर निगम का कहना था कि विधा पर कौटिल्य ने चार सूत्र दिए हैं जो आज भी काफी महत्वपूर्ण है। अथर्ववेद, यजुर्वेद, सामवेद और ऋग्वेद जिसमें समस्त ज्ञान समाहित है। दूसरा दंडनीति जो शासन व्यवस्था को चलाने का तरीका सिखलाती है और वार्ता जो बात-चीत अर्थक गतिविधि के लिए उपयोगी रहा और सांख्य दर्शन व्यक्ति में विचार करने शक्ति को बताता है यही कौटिल्य के चार सूत्र हैं जो महत्वपूर्ण हैं। उनका कहना था कि लोकतंत्र सामाजिक न्याय की बात करता है जो आम व्यक्ति में गरिमा को सुरक्षित करता है। उन्होने बताया कि आज के शिक्षकों को बताने की जरूरत है कि विधार्थी धर्म, अधर्म में अंतर कैसे करे परंतु यहां तो संविधान की शपथ लेकर धज्जियां उड़ाई जाती हैं।
बिना भेदभाव के दी जाए शिक्षा- प्रो. मुखर्जी
आयोजन में वक्ता एवं महंत कालेज के प्राचार्य डॉ. देवाशीष मुखर्जी ने कहा कि शिक्षक कक्षा में बिना भेदभाव के ज्ञान दे इस बात का ध्यान रखना चाहिए। साथ में विषय में कमांड हो यह भी जरूरी है। आगे कहा कि शिक्षक सरल होना चाहिए और यह तभी संभव है जब शिक्षक में संचार स्कील बेहतर होगा क्योंकि परिवार के बाद ही शिक्षक से ही विधार्थी सीख प्राप्त करते हैं। आयोजन में आयोजक ऐसोसिएशन ऑफ प्राइवेट प्रोफेशनल ऑफ अनएडेड कॉलेज के अध्यक्ष सुरेश शुक्ला ने स्वागत उद्बोधन दिया, वहीं विषय पर सारगर्भित बात रखी। janjaagrukta.com