Rajasthan में 108 किमी लंबे कोटा-सवाई माधोपुर रेल खंड पर कवच 4.0 स्थापित..

दो महीने में 108 किलोमीटर रेल ट्रैक पर कवच 4.0 स्थापित किया गया।

Rajasthan में 108 किमी लंबे कोटा-सवाई माधोपुर रेल खंड पर कवच 4.0 स्थापित..
Kavach 4.0 installed on 108 km long Kota-Sawai Madhopur railway section in Rajasthan..

बिलासपुर, जनजागरुकता। भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने चलती हुई ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए “कवच”  नामक एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन) प्रणाली विकसित की है । यह पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक है और ट्रेनों के संचालन की हर पल निगरानी करती है । यह प्रणाली सिग्नल एवं स्पीड से संबन्धित दुर्घटनाओं को रोकने में पूर्णतया सक्षम है । 

उपलब्धियां

  • 130 टावरों की स्थापना 
  • 78 कवच भवनों का निर्माण 
  • 178 सिग्नलिंग इंटरफेस और एक आईपी 
  • एमपीएलएस नेटवर्क स्थापित ।
  • 87 लोको कवच सिस्टम, 130 स्टेशन कवच यूनिट एवं 48 रिमोट इंटरफेस यूनिट को कवच 4.0 के साथ एकीकृत किया गया

विशेषताएं एवं लाभ

  • रेल संरक्षा में बढ़ोतरी होगी और दुर्घटनाओं में कमी आएगी । 
  • ट्रेन की गति स्वतः नियंत्रित की जा सकेगी । 
  • ट्रेन की परिचाल दक्षता में सुधार होगा । 
  • ट्रेन संचालन में सटीकता एवं समयपालन सुनिश्चित होगा । 
  • 'सिंग्नल पासिंग एट डेंजर' पर लगाम लगेगी । 
  • कोहरे में सुगम ट्रेन संचालन संभव होगा

ट्रेनों का संचालन मुख्यतया स्टेशन पर विद्यमान परिचालन प्रणाली एवं ट्रेन ड्राइवरों द्वारा किया जाता है । अतः ट्रेनों की सुरक्षा की सर्वाधिक ज़िम्मेदारी स्टेशनों के  स्टेशन मास्टर एवं ट्रेन ड्राइवरों पर है । स्टेशन मास्टर से ट्रेनों  के परिचालन में कोई गलती न हो यह सिग्नल एवं दूरसंचार सिस्टम की इंटरलॉकिंग द्वारा सुनिश्चित किया जाता है । किन्तु मानवीय भूलों के लिए ट्रेन ड्राइवरों के पास अब तक कोई ऐसी विश्वसनीय मदद नहीं थी ।  ऐसी स्थिति में “कवच” (ट्रेन कोलाईजन एवोइडेंस सिस्टम) प्रणाली ट्रेन ड्राइवरों की मदद के लिए एक विश्वसनीय साथी है । यदि ड्राइवर कहीं स्पीड कंट्रोल करना या ब्रेक लगाना भूल जाता है तो “कवच” प्रणाली “ब्रेक इंटरफेस यूनिट” द्वारा ट्रेन को स्वचालित रूप से कंट्रोल कर लेती है । 

इस प्रणाली में पूरे सेक्शन में विश्वसनीय वायरलेस कम्यूनिकेशन स्थापित किया जाता है  तथा सभी स्टेशनों व सभी इंजिनों में डिवाइस लगाई जाती है जिससे ट्रेन का इंजिन सम्पूर्ण ट्रैक में लगे हुए रेडियो फ्रिक्वेन्सी टैग द्वारा ट्रैक व सिग्नल से संबन्धित विवरण प्राप्त करता है । इंजिन में स्थित डिवाइस (लोको यूनिट) स्टेशन के इंटरलाकिंग सिस्टम, सिग्नल के निर्देश और समपार फाटकों से विवरण लेती है और कंप्यूटरीकृत प्रणाली के निर्देशानुसार  ट्रेन का संचालन सुरक्षित गति से करती है । अर्थात ट्रेन की गति सिग्नल की स्थिति-पोजीशन के साथ इंटरलॉक होती है । 

‘कवच’ प्रणाली दवारा ऑटोमैटिक तकनीक के जरिए अब दो गाड़ियों के बीच आमने-सामने से टक्कर नहीं होगी ।  खास बात ये है कि इस तकनीक को देश में तैयार किया गया है ।  माननीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव द्वारा मार्च 2022 में कवच सुरक्षा तकनीक का सफल जीवंत परीक्षण दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद मंडल में लिंगमपल्ली-विकाराबाद खंड पर गुल्लागुडा-चिटगिड्डा रेलवे स्टेशनों के बीच किया गया था । 

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के नागपुर-झारसुगुड़ा सेक्शन को कवच परियोजना के लिए चिन्हित किया गया है, और इस पर कार्य प्रगति पर है । 

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