एक तरफ मातृशक्ति की उपासना का पर्व तो दूसरी तरफ डायन के संदेह में 3 महिलाओं से मारपीट कर उन्हें मलमूत्र खिलाकर गर्म रॉड से दागा

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति जागरूकता अभियान के साथ इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी कर रही है।

एक तरफ मातृशक्ति की उपासना का पर्व तो दूसरी तरफ डायन के संदेह में 3 महिलाओं से मारपीट कर उन्हें मलमूत्र खिलाकर गर्म रॉड से दागा

ये अंधविश्वास है, अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति राष्ट्रीय महिला आयोग तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से शिकायत करेगी- डॉ .दिनेश मिश्र

रायपुर, जनजागरुकता। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा झारखंड के दुमका के असवारी गांव से डायन के संदेह में 3 महिलाओं सहित 4 लोगों को मल मूत्र खिलाने, मारपीट करने, उन्हें गर्म रॉड से दागने की घटना अत्यंत निंदनीय, शर्मनाक और अमानवीय है। उन्होंने कहा कि कोई नारी डायन नहीं होती, सभी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा है कि अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति जागरूकता अभियान के साथ  इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी कर रही है। समिति प्रताड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि यह एक विडंबना ही है कि जब पूरे देश में मातृशक्ति के प्रतीक नवरात्रि मनाने की शुरुआत की जा रही थी, तब वहीं दूसरी ओर झारखंड में ये निर्दोष महिलाएं अंधविश्वास के कारण नर्क जैसी यातनाएं भुगतने को मजबूर थीं। 

लाठी-डंडों से हमला कर ये आरोप लगाया था दबंगों ने-जादू-टोने से पशु व बच्चे बीमार हो रहे

डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि झारखंड के दुमका के सरैयाहाट अंतर्गत असवारी गांव के दबंगों ने 4 व्यक्तियों को जिनमें 3 महिलाएं हैं, डायन का आरोप लगाकर उनसे मारपीट की, जबरन मल-मूत्र पिलाया और उन्हें लोहे की गर्म छड़ों से दागा। दबंगों के खौफ से प्रताड़ित लोग घंटों तक दर्द से तड़पते रहे, वो ना तो पुलिस के पास जाने की हिम्मत जुटा सके और ना ही किसी को इस बारे में बता पाए। बाद में चारों को पहले सरैयाहाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, इसके बाद इनकी गंभीर हालत को देखते हुए देवघर स्थित अस्पताल ले जाया गया। बताया गया कि शनिवार की रात ज्योतिन मुर्मू नाम के व्यक्ति ने गांव के लोगों की बैठक बुलाई थी जिसमें श्रीलाल मुर्मू के घर की 3 महिलाओं को डायन करार दिया गया। कहा गया कि इनके जादू-टोने की वजह से गांव के पशु और बच्चे बीमार हो रहे हैं, इसके बाद करीब दर्जन भर लोगों ने लाठी-डंडों और हथियारों से लैस होकर श्रीलाल मुर्मू के घर पर हमला कर दिया। लाठी-डंडों और हथियारों से लैस लोगों ने परिवार की 3 महिलाओं सोनामनी टुडू, रसी मुर्मू, कोसा टुडू के साथ-साथ श्रीलाल मुर्मू की बुरी तरह पीटा।  इसके बाद इन चारों को पकड़कर उनके मुंह में जबरन मल-मूत्र डाला, हमलावरों ने उन्हें गर्म छड़ों से भी दागा। चारों लोग चीखते-चिल्लाते रहे लेकिन गांव का कोई भी व्यक्ति उन को बचाने नहीं आया।  पूरी घटना अत्यंत अमानवीय और दिल दहला देने वाली है। 

दोषी व्यक्तियों को गिरफ्तार कर उन पर कड़ी कार्रवाई हो

डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा जादू टोना जैसे अंधविश्वास के कारण हुई यह घटना अत्यंत निर्मम और शर्मनाक है। दोषी व्यक्तियों को गिरफ्तार कर उन पर कड़ी कार्रवाई होनी  चाहिए। डॉ. मिश्र ने कहा जादू टोने का कोई अस्तित्व नहीं है इसलिए जादू टोने से किसी भी व्यक्ति को बीमार करने, नुकसान पहुंचाने की धारणा मिथ्या है। इस अंधविश्वास के कारण किसी भी महिला या किसी भी ग्रामीण को प्रताड़ित करना अनुचित, गैरकानूनी है।  कोई महिला टोनही नहीं होती। 

कुछ परंपराएं, अंधविश्वासों के रूप में बदल गई हैं, इनसे निपटने वैज्ञानिक सोच का विकास जरूरी

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक जागरूकता के विकास से विभिन्न अंधविश्वासों व कुरीतियों का निर्मूलन संभव है। हमारे देश में अनेक जाति, धर्म के लोग हैं जिनकी परंपराएं व आस्था भी भिन्न-भिन्न हैं लेकिन धीरे धीरे कुछ परंपराएं, अंधविश्वासों के रूप में बदल गई हैं। इनके कारण आम लोगों को शारीरिक व मानसिक प्रताडऩा से गुजरना पड़ता है। डॉ. मिश्र ने कहा देश के अनेक प्रदेशों में डायन/टोनही के संदेह में प्रताडऩा की घटनाएं आम हैं, जिनमें किसी महिला को जादू-टोना करके नुकसान पहुंचाने के संदेह में हत्या, मारपीट कर दी जाती है जबकि कोई नारी टोनही या डायन नहीं हो सकती, उसमें ऐसी कोई शक्ति नहीं होती जिससे वह किसी व्यक्ति, बच्चों या गांव का नुकसान कर सके। जादू-टोने के आरोप में प्रताड़ना रोकना आवश्यक है। अंधविश्वासों के कारण होने वाली टोनही प्रताडऩा/बलि प्रथा जैसी घटनाओं से भी मानव अधिकारों का हनन हो रहा है।

 

चिकित्सा, अनुसंधानों ने कई बीमारियों, संक्रामकों पर नियंत्रण प्राप्त किया है

डॉ. मिश्र ने कहा समाज में जादू-टोना, टोनही आदि के संबंध में भ्रमक धारणाएं काल्पनिक हैं, जिनका कोई प्रमाण नहीं है। पहले बीमारियों के उपचार के लिए चिकित्सा सुविधाएं न होने से लोगों के पास झाड़-फूंक व चमत्कारिक उपचार ही एकमात्र रास्ता था लेकिन चिकित्सा विज्ञान के बढ़ते कदमों व अनुसंधानों ने कई बीमारियों, संक्रामकों पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया है तथा कई बीमारियों के उपचार की आधुनिक विधियां खोजी जा रही हैं। बीमारियों के सही उपचार के लिए झाड़-फूंक, तंत्र-मंत्र की बजाय प्रशिक्षित चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।अभी कोरोनाकाल में चिकित्सा विज्ञान के कारण महामारी के नियंत्रण में सफलता मिली है और वैक्सीन के बनने और लगने से काफी प्रभाव पड़ा है।