जनजागरूकता बड़ा खुलासाः भाजपा में चलने जा रही आदिवासी एक्सप्रेस, साय को हटाने से नाखुश असंतुष्ट नेता नड्डा और संघ से मिलने की तैयारी में, फोन पर रोज कर रहे मंत्रणा
सरगुजा संभाग, जशपुर जिला, रायगढ़ जिला होते हुए बस्तर संभाग से जो जानकारी प्रदेश भाजपा कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर रायपुर पहुंची, उसने प्रदेश नेतृत्व को बेचैन कर दिया है।
वीरेंद्र शुक्ला
रायपुर, जनजागरूकता ब्रेकिंग। क्या भाजपा में आदिवासी एक्सप्रेस चलने जा रही है? यह प्रश्न 27 अगस्त की शाम भाजपा के प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ परिसर की दीवारों के पीछे तैर रहा था। जनजागरूकता janjaagrukta.com सूत्र बताते हैं कि बंद कमरे में इस प्रश्न के समाधान ढूंढने के प्रयासों पर भी चर्चा हुई। उल्लेखनीय है कि हाल ही में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय (अब पूर्व) के स्थान पर अरूण साव को प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया है। साय (आदिवासी) 32 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि साव (साहू) मात्र 8 प्रतिशत आबादी का।
सरगुजा संभाग, जशपुर जिला, रायगढ़ जिला होते हुए बस्तर संभाग से जो आंतरिक जानकारी प्रदेश भाजपा कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर रायपुर पहुंची, उसने प्रदेश कार्यालय के स्थापित नेतृत्व को बेचैन कर दिया है। राजनीति और समाज के परस्पर संबंध आधुनिक राजनीति के अभिन्न अंग बन चुके हैं। कहा भी जाता है कि समाजशास्त्री राजनीतिशास्त्री होता है और राजनीतिशास्त्री समाजशास्त्री होता है लेकिन हाल ही में जो नेतृत्व परिवर्तन भाजपा ने किया है, उसमें यह गणित ही उलट गया है।
ठीक ऐसा ही विष्णुदेव साय के साथ हुआ। आदिवासी नेताओं में चर्चा है कि 32% जनसंख्या वाले आदिवासी समुदाय के प्रदेश अध्यक्ष को हटाकर 8% वाले समुदाय के व्यक्ति को अध्यक्ष बनाना लगभग अस्वीकार्य है। इन आदिवासी नेताओं का मानना है कि 10 सितंबर को राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रसाद नड्डा के सामने वे अपना दर्द रखेंगे।
विश्व आदिवासी दिवस पर ही परिवर्तन क्यों..
ऐसे आदिवासी नेता लामबंद हो चुके हैं, उनका मानना है कि ठीक विश्व आदिवासी दिवस के दिन आदिवासी नेता को पद से हटाना उचित नहीं था। यदि यह परिवर्तन करना भी था तो कुछ दिन बाद कर लेते।
Nandkumar Sai janjaagrukta.com
कैसे निपटेंगे भूपेश बघेल से..
इन नेताओं का मानना है कि एक तरफ जब भूपेश बघेल जब लगातार छत्तीसगढ़ियों यानी सभी समुदायों को प्रतिनिधित्व दे रहे हैं और लगातार तीज-त्योहार के मौके पर अपनी राजनीतिक जड़ें और गहरी कर रहे हैं, ऐसे वक्त में इस तरह अचानक भाजपा के शीर्ष नेतृत्व मे परिवर्तन करना प्रदेश और वर्ग विशेष को गलत संदेश देता है।
Vishnudev Sai
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आदिवासी नेता रोज कर रहे गंभीर मंत्रणा
भाजपा के बड़े-बड़े दिग्गज आदिवासी नेता गंभीर नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं और एक-दूसरे से मोबाइल के माध्यम से संपर्क कर आगे की रणनीति पर विचार कर रहे हैं। आदिवासी नेताओं का स्पष्ट आरोप है कि मुखौटे के रूप में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पद पर आदिवासी को बैठा जरूर दिया जाता है लेकिन रिमोट कंट्रोल किसी दूसरे के पास रहता है और वह उसे काम करने नहीं देता।
Ramvichar Netam
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सही प्लेटफॉर्म की तलाश
सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि समय आने पर इसका पार्टी के सही प्लेटफॉर्म पर चाहे राजधानी रायपुर हो, चाहे नई दिल्ली, ताकत के साथ पूरी बात रखी जाएगी। बताना जरूरी है कि पूर्व में प्रदेश अध्यक्ष के पद से विक्रम उसेंडी को भी हटा दिया गया था। विक्रम उसेंडी को तो काम करने का मौका ही नहीं मिला।
Vikram Usendi
रमन सिंह और सौदान सिंह का प्रयोग फेल हो गया था
इन असंतुष्ट आदिवासी नेताओं के बीच चर्चा है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में डॉ. रमन सिंह और सौदान सिंह ने एक प्रयोग किया था। दोनों ने 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 14 विधानसभा क्षेत्रों में साहू समाज के व्यक्तियों को टिकिट दे दिया था। इसमें 13 प्रत्याशी जो साहू समाज के थे, वे चुनाव हार गए। एकमात्र धमतरी विधानसभा क्षेत्र से रंजना साहू विजयी हुई थीं। इन नेताओं का मानना है कि रंजना की जीत बहुत कम मतों से हुई थी, जिसे जीत नहीं कहा जा सकता।
Kedar Kashyap
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जहर नहीं, अमृत देकर मारने का नया गणित
2018 के विधानसभा चुनाव में जब 14 साहू समाज के प्रत्याशियों को टिकट दिया गया था इससे नाराज होकर अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग और अति पिछड़ा वर्ग के लोग लामबंद हो गए थे। जब इसकी भनक साहू समाज को लगी तो उनकी बैठक में ही यह चर्चा निकली कि भाजपा ने तो हमें अमृत देकर मार दिया, लोग तो जहर देकर मारते हैं। भाजपा ने हमारे साथ बहुत बड़ा षड़यंत्र किया और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को साहू समाज के विरुद्ध आक्रोशित कर दिया जो उचित नहीं माना गया। नतीजा...साहू समाज के प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा।
पिछड़ा वर्ग के कार्ड की चर्चा
एक बार फिर भाजपा जिला संगठन में अध्यक्ष पदों के लिए पिछड़ा वर्ग का कार्ड खेला जा रहा है, जिसकी चर्चा हर जिले में हो रही है। इस मुद्दे को रायशुमारी के लिए जिलों में भेजा जा रहा है। इस दौरान यह स्पष्ट मत दिया जा रहा है कि जिस समाज से जिला अध्यक्ष बनाना है, हमें सभी का समर्थन प्राप्त हो सके, ऐसे नामों का हमें सुझाव दें। इस बात को लेकर भी अधिकांश के दिलों में नाराजगी अब धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है।
हमें गंभीरता से लेंः असंतुष्ट
लगता है भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अभी तक छत्तीसगढ़ के आमजनों की भावनाओं को समझने में असफल रहा है। इस बात को क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री, छत्तीसगढ़ व भाजपा प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी और छत्तीसगढ़ के सहप्रभारी नितिन नवीन को गंभीरता से लेना होगा, ऐसा इन असंतुष्ट नेताओं का मानना है।
नड्डा और संघ के नेताओं से मिलने की तैयारी
9 सितंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रसाद नड्डा रायपुर पहुंच रहे हैं और 10 सितंबर से 12 सितंबर तक संघ की बैठक में भी यहां उपस्थित रहेंगे। चर्चा तो यह भी है कि उस समय असंतुष्ट आदिवासी नेतृत्व उनसे मिलकर अपना विरोध दर्ज करवाने का प्रयास करेगा। इस बारे में गंभीर मंथन चल रहा है, बात न बनी तो ये असंतुष्ट नेता संघ के नेताओं से भी भेंट कर सकते हैं। janjaagrukta.com