डिप्टी सीएम अजित पवार ने ठोंका एनसीपी पर दावा, शरद पवार ने कहा- जनता तय करेगी

राकांपा में घमासान जारी है। चाचा-भतीजे आपस में भिड़ गए हैं। राकांपा का एक धड़ा अजीत पवार के नेतृत्व में एक दर्जन विधायक एनडीए में शामिल हो गए।

डिप्टी सीएम अजित पवार ने ठोंका एनसीपी पर दावा, शरद पवार ने कहा- जनता तय करेगी

मुबंई, जनजागरुकता डेस्क। महाराष्ट्र की पार्टी राकांपा में फूट पड़ जाने से राजनीति में बड़ा उलटफेर हो गया है। राकांपा का एक धड़ा अजीत पवार के नेतृत्व में एक दर्जन विधायक एनडीए में शामिल हो गए। महाराष्ट्र सरकार में बकायदा उन्हे डिप्टी सीएम बनाकर उनके साथी समर्थकों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। शपथ लेने के बाद राकांपा नेता अजीत पवार ने एनसीपी पर दावा ठोंक दिया है। वहीं शरद पवार ने कहा है कि जनता तय करेगी कि एनसीपी किसकी है।

राकांपा का नाम और चिन्ह हमारे साथ, चुनाव भी लड़ेंगे- अजित पवार

राकांपा नेता अजित पवार ने डिप्टीसीएम बनने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पार्टी का नाम और चिन्ह हमारे साथ रहेगा। इस तरह अजित पवार ने एनसीपी पर दावा ठोंक दिया है। वहीं शरद पवार ने कहा है कि जनता तय करेगी कि एनसीपी किसकी है। शपथ ग्रहण के बाद अजित पवार ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि पार्टी और चुनाव चिन्ह उनके साथ हैं और वह एनसीपी के चुनाव चिन्ह पर ही अगले चुनाव लड़ेंगे। इस तरह अजित पवार ने एनसीपी पर दावा किया है।

जनता तय करेगी कि पार्टी किसकी- शरद पवार

वहीं शरद पवार ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि कुछ लोग पार्टी पर दावा कर रहे हैं लेकिन यह जनता तय करेगी कि पार्टी किसकी है। इन दोनों बयानों से साफ है कि पार्टी को लेकर लड़ाई हो सकती है। ऐसे में फिर से दल बदल विरोधी कानून के प्रावधानों की चर्चा होगी। महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर उलटफेर हुआ है और नेता विपक्ष अजित पवार शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार में शामिल हो गए हैं।  

क्या है दल-बदल विरोधी कानून

दल बदल विरोधी कानून के तहत किसी जनप्रतिनिधि को अयोग्य घोषित किया जा सकता है, अगर- कोई निर्वाचित सदस्य स्वेच्छा से किसी राजनीतिक पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है या चुनाव के बाद कोई अन्य राजनीतिक पार्टी में शामिल हो जाता है या वह किसी जरूरी वोटिंग से नदारद रहता है। 1985 में 52वें संविधान संशोधन के तहत दल-बदल विरोधी कानून पारित किया गया। संविधान की दसवीं अनुसूची में दल-बदल विरोधी कानून शामिल है और संशोधन के जरिए इसे संविधान में जोड़ा गया।

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