20 साल बाद दिखा बांस का फूल : इसको एक घटना मानते हैं ग्रामीण, मन में है शंका-कुशंका
बांस का खिलना तो एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, पर ग्रामीणों का मानना है कि ये अकाल का संकेत है। पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिकों के शोध में बांस की विभिन्न प्रजातियों में विभिन्न अंतराल पर फूल आना बताया गया है।
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, जनजागरुकता। बांस पर उनका फूल देखना दुर्लभ माना जाता है। अगर ऐसा हुआ भी तो जीव विज्ञान में प्राकृतिक घटना है। फूल का खिलना प्राकृतिक प्रक्रिया है, पर ग्रामीणों का मानना अलग है। उनके अनुसार बांस पर फूल दिखना यानि अकाल का संकेत है। यहा कहा जाता है कि पेड़ का अंतिम समय है।
यह घटना गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में सामने आई है। जहां इन दिनों बांस के पेड़ पर फूल दिखाई देने लगे हैं। लगभग 20 साल बाद लोगों को बांस के फूल देखने को मिले हैं। अंचल में इसे लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। जिले में ये फूल कोटमी कला के सकोला में सोन नदी से कुछ दूरी पर एक खेत से लगे बांस प्लांट में देखने को मिला है।
हालांकि बहुत से ग्रामीण बांस के फूलों को अच्छा शगुन भी मानते हैं। उनका मानना है कि बांस के फूल खिलने से खुशहाली आती है। बांस में फूल आने को लेकर ग्रामीण काफी आशंकित नजर आते हैं। ऐसा माना जाता है कि बांस में फूल आने के बाद अचानक चूहों की तादाद बढ़ जाती है, जिससे किसानों की फसल को नुकसान होता है।
जीवन काल पूरा कर चुका इसलिए आते हैं फूल
कई का मानना है कि बांस के पेड़ पर उसके अंतिम समय में फूल आते हैं। बांस में फूल आने का मतलब यह होता है कि वह पेड़ अब अपना जीवन काल पूरा कर चुका है। इसके फूलों में गेहूं के दाने की तरह बीज लगते हैं। फूल लगने के बाद पौधे खुद ही मर जाते हैं। वैसे तो बांस के पौधे में फूल लगने का कोई निश्चित समय नहीं होता। वानिकी छात्रा व प्रकृति प्रेमी स्वभा सोनी के अनुसार क्षेत्र में कई प्रजाति के बांस पाए जाते हैं, लेकिन एक ही प्रजाति के बांस में एक ही समय फूल आते हैं।
जीवन में पहली बार देखे बांस के फूल
पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिकों के शोध में जो तथ्य सामने आए हैं, उसमें बांस की विभिन्न प्रजातियों में विभिन्न अंतराल पर फूल आना बताया गया है। यह अंतराल 15 से 20 वर्ष तक या इससे भी ज्यादा का हो सकता है। कई लोगों ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में पहली या दूसरी बार बांस में फूल देखे हैं। वहीं पर्यावरण प्रेमी हर्ष सोनी ने बताया कि जिस प्रजाति के बांस के पौधों में फूल लगते हैं, वह प्रजाति एक ही समय में वहां से समाप्त हो जाती है। कई ग्रामीण बांस में फूल आने को अशुभ संकेत भी मानते हैं।
जीवन 1 से 50 साल का
बांस का जीवन 1 साल से 50 साल तक होता है, लेकिन इसमें फूल पेड़ के आखिरी समय में ही खिलते हैं। इसके फूल बहुत छोटे, गेहूं के रंग के, बिना डंठल और छोटे-छोटे गुच्छों में पाए जाते हैं। बांस का फूल जब आता है, तो सूखे के कारण खेती मारी जाती है। माना जाता है कि ये अकाल का संकेत होता है। फूल खिलने पर बांस के पेड़ों की पत्तियां झड़ जाती हैं।
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