चीन को खबरदार करने होगा भारत-अमेरिकी युद्धाभ्यास

यह जमीनी सैन्य अभ्यास उत्तराखंड के औली में भारत व अमेरिका के बीच होगा। यह स्थान एलएसी से लगभग 100 किमी की दूरी पर है।

चीन को खबरदार करने होगा भारत-अमेरिकी युद्धाभ्यास

नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। चीन के साथ तनातनी के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी पर भारत ने अमेरिका सहित कई देशों के साथ बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास का निर्णय किया है। ऐसा कर भारत चीन को लद्दाख में घुसपैठ व विस्तारवादी मंसूबों से खबरदार करने की चेतावनी देना चाहता है।

यह जमीनी सैन्य अभ्यास उत्तराखंड के औली में भारत व अमेरिका के बीच होगा। यह स्थान एलएसी से लगभग 100 किमी की दूरी पर है। इस दौरान बंगाल की खाड़ी में युद्धपोत, पनडुब्बियां, लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर तैनात किए जाएंगे। 

भारत व अमेरिका 15 नवंबर से 2 दिसंबर तक यह साझा सैन्य अभ्यास करेंगे। वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी पर चीन के साथ तनातनी के बीच भारत ने अमेरिका समेत कई देशों के साथ बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास का फैसला किया है। उत्तराखंड के औली में भारत व अमेरिका के बीच जमीनी सैन्य अभ्यास होगा। इस दौरान बंगाल की खाड़ी में युद्धपोत, पनडुब्बियां, लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर तैनात किए जाएंगे। बुधवार को ही भारत ने बंगाल की खाड़ी में सिंगापुर के साथ सैन्य अभ्यास शुरू किया। 

8 से 18 नवंबर तक मालाबार अभ्यास

इस बीच 8 से 18 नवंबर तक मालाबार युद्धाभ्यास भी होगा। इसमें क्वाड देशों भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की सेना शामिल होगी। दरअसल, भारत ने क्वाड देशों के साथ कई सैन्य अभ्यास की योजना बनाई है। इसमें मालाबार अभ्यास के अलावा चीन के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी के समीप अमेरिका के साथ ऊंचाई पर साझा अभ्यास शामिल है। 

राजस्थान में ऑस्ट्रा-हिंद अभ्यास

उधर, ऑस्ट्रेलिया और भारत की सेना भी पहली बार 28 नवंबर से 11 दिसंबर तक राजस्थान की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में 'ऑस्ट्रा-हिंद' अभ्यास करेंगी। बता दें, चीन समूचे हिंद प्रशांत क्षेत्र में विस्तारवादी गतिविधियों में शामिल है। ताइवान को लेकर भी उसके मंसूबे हाल ही में सामने आए थे। इसके बाद अमेरिका ने उसकी घेराबंदी की थी। भारत के लद्दाख तो भूटान के डोकलाम में उसने घुसपैठ का प्रयास किया था, जिसका कड़ा प्रतिवाद करने पर वह नरम पड़ा। लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच दशकों बाद सैन्य टकराव हुआ था, इसके बाद सैन्य वार्ता शुरू हुई और धीरे-धीरे सेना की वापसी चालू हुई। 

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