महानदी के जल बंटवारे का 40 साल बाद सुलझेगा विवाद.. पहुंची सुप्रीम कोर्ट की टीम

छत्तीसगढ़ और ओडिशा की जीवन दायिनी महानदी जल विवाद को सुलझाने सुप्रीम कोर्ट की टीम नदी के उद्गम स्थल का निरीक्षण कर रही है।

महानदी के जल बंटवारे का 40 साल बाद सुलझेगा विवाद.. पहुंची सुप्रीम कोर्ट की टीम

धमतरी, जनजागरुकता। छत्तीसगढ़ और ओडिशा की जीवन दीयिनी है महानदी। दोनों राज्य इसके पानी का पूरा उपयोग करते हैं। प्यास बुझाने के साथ ही सिंचाई और उद्योग में इसके जल का बड़ा महत्व है। 

पर इसके जल के बंटवारे को लेकर पिछले 4 दशक से दोनों राज्यों के बीच विवाद चल रहा है। 40 साल बाद अब जाकर इसके समाधान की उम्मीद जगी है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के जजों की टीम छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला पहुंची है जहां महानदी का उद्गम स्थल है... जी हां यह बात सच है कि महानदी धमतरी के सिहावा पर्वत से निकलकर बंगाल की खाड़ी में इसका पानी गिरता है।

छत्तीसगढ़ में टीम का शैड्यूल 18 से 22 अप्रैल तक का है। सभी जज प्रथम दिवस महानदी के उद्गम स्थल क्षेत्र का निरीक्षण कर रहे हैं और दूसरे दिन गंगरेल जल क्षेत्र देखेंगे। इस टीम में माननीय न्यायाधीश श्री एएम खानविलकर (उच्चत्तम न्यायालय नई दिल्ली से), माननीय न्यायाधीश श्री डॉ. रावि रंजन (उच्च न्यायालय पटना से) और श्रीमती न्यायाधीश इंदरमीत कौर कोचर (उच्च न्यायालय नई दिल्ली से) मौजूद हैं। 

ये है विवाद का मुख्य कारण

बता दें महानदी का 53 प्रतिशत पानी छत्तीसगढ़ के पास है और 46.5 प्रतिशत ओडिशा के पास, इस नदी में छोटे-बड़े लगभग 2 हजार बांध और बैराज बने हुए हैं। मोगरा बैराज, मोनियारी टैंक और कोडर जलाशय को लेकर दोनों राज्यों के झगड़ा चल रहा है। यही कारण है कि यह नदी छत्तीसगढ़ और ओडिशा दोनों राज्यों के लिए जीवनदायिनी है। 

धमतरी के सिहावा पर्वत से निकली है महानदी

आपको बता दें, महानदी धमतरी के सिहावा पर्वत से निकलकर बंगाल की खाड़ी में इसका पानी गिरता है। यह नदी पांच राज्यों से होती हुई जाती है इसमें ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड शामिल है। छत्तीसगढ़ और ओडिशा दोनों ही राज्य में खेती, उद्योग और अर्थव्यवस्था में इस नदी की महत्वपूर्ण भूमिका है। 

1983 में शुरू हुआ था विवाद

महानदी के पानी को लेकर विवाद 1983 में शुरू हुआ था। मुख्य वजह ओडिशा के संबलपुर स्थित हीराकुंड बांध है, यह बांध भीमा नदी पर बना है। बता दें कि 1957 में एक कानून बना जिसमें नदी को राष्ट्रीय संपत्ति का दर्जा दिया गया है, जहां से नदी गुजरेगी वहां इसका उपयोग किया जा सकता है। इसी को आधार मानकर उड़ीसा ने कोर्ट में अपना दावा प्रस्तुत किया। 

एमपी के समय समझौता हुआ था

बता दें जब छत्तीसगढ़ अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा था तब दोनों राज्यों के बीच समझौता हुआ था जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ महानदी के पानी का 53% और उड़ीसा 46.5% उपयोग करेगा

ये है ओडिशा सरकार का आरोप

नदी के जल को लेकर छत्तीसगढ़ पर उड़ीसा का आरोप है कि महानदी पर बने बांध के कारण नदी की धारा प्रभावित हो रही है। इस वजह से हीराकुंड बांध में पर्याप्त पानी नहीं पहुंचता। इधर छत्तीसगढ़ का कहना है कि समझौते के अनुसार दोनों राज्यों में जो पानी का बंटवारा हुआ है ओडिशा में उससे ज्यादा पानी की खपत की जा रही है। खपत भी औद्योगिक प्रयोजन के लिए की जा रही है। 

सुप्रीम कोर्ट ने महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया

यह मामला जब केंद्र सरकार के पास पहुंचा तो पता चला कि केंद्र सरकार के पास जल बंटवारे को लेकर अधिकार नहीं है। इसलिए 2016 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुलझाने के लिए 2018 में महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया। इस न्यायाधिकरण के जज अब धमतरी पहुंचे हैं जो जल क्षेत्रों का निरीक्षण कर रहे हैं। वही जजों की टीम के साथ जिले के प्रशासनिक अधिकारी सहित पुलिस के टीम मौजूद है।

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