सभी धर्म के लोगों के लिए एक कानून हो- आलोक कुमार
केंद्रीय प्रबंध समिति की राष्ट्रीय बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि एक धर्म विशेष के लोग मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।
रायपुर, जनजागरुकता। विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि सांसद और विधायक भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखने की शपथ लेते हैं, लेकिन वे संविधान लागू होने के 73 वर्षों में भारत के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता अधिकार लाने में विफल रहे हैं। इसकी देश को महती आवश्यकता है। एक धर्म विशेष द्वारा लगातार महिलाओं और बच्चों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।
केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लिया
केंद्रीय प्रबंध समिति की राष्ट्रीय बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू होने में देरी के लिए केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लिया। केंद्रीय प्रबंध समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि एक देश में दो कानून नहीं चलेगा। संविधान लागू होने के 73 वर्ष बाद भी देश समान नागरिक संहिता लागू होने का इंतजार कर रहा है।
समान नागरिक संहिता का अधिकार देश की जरूरत
विहिप नेताओं ने कहा कि वर्तमान दौर में समान नागरिक संहिता लागू करने की सख्त जरूरत है, ताकि सभी धर्म के लोग एक कानून के दायरे में आ सके। पत्नी, बच्चों के अधिकार, तलाक, वैवाहिक अधिकार और विवाह के लिए आयु संबंधी अधिकार किसी अन्य धर्म के लिए अलग नहीं हो सकता। एक देश में एक कानून जरूरी है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-44 का घोर उल्लंघन
विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि भारत के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता अधिकार लाने में विफल रहे हैं। एक धर्म विशेष द्वारा लगातार महिलाओं और बच्चों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। यही कारण है कि अब राष्ट्रीय विधि आयोग ने भी आम लोगों से इस संदर्भ में सुझाव आमंत्रित किया है। 14 जुलाई तक हर नागरिक सुझाव दे सकते हैं। विहिप ने साफ तौर पर एलान किया है कि कुछ लोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद-44 का घोर उल्लंघन कर रहे हैं।