यूएस का खुलासा- भारत हो जाए सावधान, चीन के हिंद महासागर में गतिविधि बन रहा खतरा
चीन अपने मिलिट्री बेस तैयार करने के लिए छोटे देशों में ऐसे ठिकानों की तलाश में रहता है जिसका मकसद खुद को दूसरे देशों के मुकाबले मजबूत करना है।
वाशिंगटन, जनजागरुकता डेस्क। अमेरिका की तरफ से चीन की हरकतों को लेकर भारत को आगाह किया गया है। यूएस की डिफेंस एनुअल रिपोर्ट में भारत की सुरक्षा को लेकर चौंकाने वाले खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में ये बात कही गई है कि चीन की गतिविधि हिंद महासागर में भारत के लिए खतरा बन रहा है।
ये पूरी दुनिया को पता है कि चीन के अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ रिश्ते हमेशा ही असामान्य रहे हैं। इसका बड़ा कारण ये रहा है कि उसकी विस्तारवाद की नीति उसे रिश्तों में मजबूती से निभाने की आदत नहीं रही है। वहीं अमेरिकी रिपोर्ट में यह बताया गया है कि हमारी नजरों से बचने के लिए चीनी सेना कई तरह के हथकंडे अपना रही है।
भारत की ओर से देखा जाए तो गलवान हो या अरुणाचल चीन ने हर जगह धौंस जमाने की कोशिश की है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ चीन समुद्री क्षेत्र में भी भारत के लिए चुनौती बना हुआ है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी सेना की गतिविधियों को लेकर अमेरिका ने अपने डोजियर में कई खुलासे किए हैं।
रिपोर्ट में बताया कि चीन किस तरह हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा
अमेरिका की तरफ से चीन को लेकर जारी डिफेंस एनुअल रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे चीन अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है और साल 2035 तक चीन के पास 1500 से ज्यादा खतरनाक परमाणु हथियार होंगे। इस रिपोर्ट में उस जिबूती बेस का भी जिक्र किया गया है, जहां से चीन हिंद महासागर में अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा सकता है।
ऐसे मजबूत कर रहा इंफ्रास्ट्रक्चर
रिपोर्ट में आगे ये भी बताया गया है कि चीनी सेना की तरफ से जिबूती में जो इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है, उसमें किसी भी एयरक्राफ्ट कैरियर और सबमरीन को तैनात किया जा सकता है। यानी ये चीनी सेना के लिए युद्ध के एक बड़े बेस की तरह है, जहां से चीनी सेना किसी भी तरह की हरकत को अंजाम दे सकती है। चीन अपने मिलिट्री बेस तैयार करने के लिए छोटे देशों में ऐसे ठिकानों की तलाश में रहता है जिसका मकसद खुद को दूसरे देशों के मुकाबले मजबूत करना है।
सैटेलाइट से बचने हथकंडे अपना रहा है ड्रैगन
अमेरिकी रिपोर्ट में यह बताया गया है कि हमारी नजरों से बचने के लिए चीनी सेना कई तरह के हथकंडे अपना रही है। अमेरिकी ड्रोन्स और सैटेलाइट को ब्लाइंड करने के लिए जमीन पर लेजर लगाए गए हैं, साथ ही चीनी सेना अमेरिका के ड्रोन्स को भी लगातार टारगेट कर रही है।
भारतीय नौसेना की पेनी नजरें
भारतीय नौसेना के हालिया बयान के मुताबिक, वह हिंद महासागर क्षेत्र पर निगरानी रखती है जहां 'चीनी घुसपैठ के वाकये असामान्य नहीं हैं'। उसने कहा कि वह इस रणनीतिक क्षेत्र में देश के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। दक्षिणी नौसैन्य कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल एमए हंपीहोली ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि भारतीय नौसेना उपग्रहों तथा समुद्री टोही विमानों की मदद से क्षेत्र में नजर रखती है। उनका बयान इन खबरों के बीच आया है कि चीन का एक स्पाई शिप पिछले कुछ महीने में दूसरी बार हिंद महासागर क्षेत्र में घुसा है।
चीन की घुसपैठ असामान्य नहीं- हंपीहोली
हंपीहोली ने चीनी स्पाई शिप के श्रीलंकाई बंदरगाह पहुंचने की खबरों पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ''हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की घुसपैठ असामान्य नहीं है। वे पिछले कुछ समय से यहां आते रहे हैं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हम अपने हित वाले क्षेत्रों को पूरी तरह निगरानी में रखते हैं। हम विभिन्न तरीकों से ऐसा करते हैं।''
सेना ..ऐसे रखती है नजर
उन्होंने कहा कि नौसेना उपग्रहों, समुद्री टोही विमानों तथा तटरक्षक एवं उनके जहाजों के सहयोग से भी निगरानी रखती है। अधिकारी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि चीन की इन गतिविधियों या उनकी मौजूदगी पर हमारा ध्यान नहीं होता। करीब तीन महीने पहले चीन के एक बैलिस्टिक मिसाइल और उपग्रह ट्रैकिंग जहाज ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डाला था।
भारत ने जहाज के दौरे पर चिंता जताई थी
श्रीलंका की सरकार ने 13 अगस्त को जहाज को उस महीने 16 से 22 तारीख तक इस शर्त पर लंगर डालने की अनुमति दी थी कि वह देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र में अपनी स्वचालित पहचान प्रणाली (एआईएस) को बंद रखेगा और उसके जलक्षेत्र में कोई वैज्ञानिक अनुसंधान नहीं किया जाएगा। भारत ने जहाज के इस दौरे पर चिंता प्रकट की थी। उसकी चिंता जहाज की ट्रैकिंग प्रणाली से भारतीय प्रतिष्ठानों में तांकझांक की आशंका के बारे में थी। janjaagrukta.com