एशिया का सबसे बड़ा स्लम एरिया- धारावी अब अडानी का, झुग्गी की जगह दिखाई देगी गगनचुंबी इमारतें

दुनिया में धारावी की पहचान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के तौर पर होती है। ये प्रोजेक्ट 2.5 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले 6.5 लाख झुग्गीवासियों का पुनर्वास करेगा।

एशिया का सबसे बड़ा स्लम एरिया- धारावी अब अडानी का, झुग्गी की जगह दिखाई देगी गगनचुंबी इमारतें

मुंबई, जनजागरुकता डेस्क। सबसे ऊंची बोली लगाकर अडानी ग्रुप ने रिमॉडलिंग प्रोजेक्ट हासिल कर लिया है। अब यहां झुग्गी की जगह शानदार गगनचुंबी इमारतें दिखाई देंगी। रेजिडेंशियल कॉलोनी और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में बदली नजर आएगी।

भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई की पहचान सपनों की नगरी के तौर पर होती है, लेकिन यहां एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती 'धारावी' भी है जो मखमल में टाट का पैवंद सी लगती है। दुनिया में इसकी पहचान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के तौर पर होती है। ये प्रोजेक्ट 2.5 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले 6.5 लाख झुग्गीवासियों का पुनर्वास करेगा।

जिंदगी की असली जद्दोजहद यहीं

यहां की छोटी- छोटी झुग्गियों में 60 हजार कुनबे बसते हैं तो संकरी गलियों में कई फैक्ट्रियां भी चलती हैं। इंसानी जिंदगी की असली जद्दोजहद का मुकाबला देखना हो तो इसके लिए इस बस्ती से बेहतरीन जगह नहीं है। महज दो जून की रोटी के जुगाड़ में बुनियादी सुविधाओं को दरकिनार करना कोई यहां के लोगों से सीखे। खैर अब इस बस्ती के दिन पलटने वाले हैं और ये काम करने जा रहा है अडानी ग्रुप। आखिर इस ग्रुप ने धारावी की तस्वीर बदल देने वाला मेगा प्रोजेक्ट जो हासिल किया है।

अडानी ग्रुप करेगा रिडेवलपमेंट

धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत यहां डेवलपमेंट का काम किया जाना है। ये काम देश के सबसे बड़ा अडानी ग्रुप करने जा रहा है। दरअसल 1882 में अंग्रेजों की बसाई गई इस झुग्गी-बस्ती के रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी की कंपनी ने सबसे ऊंची बोली लगाई है।

अडानी ग्रुप ने 5,069 की बोली लगाई

पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक 29 नवंबर को महाराष्ट्र सरकार ने धारावी के रिडवलेपमेंट के लिए जो बिड्स लगाई गई थी, उसमें अडानी ग्रुप ने सबसे ऊंची बोली लगाकर इसे अपने नाम कर दिया है। इस प्रोजेक्ट के लिए अडानी ग्रुप ने 5,069 की बोली लगाई, जबकि इसमें 2 अन्य ग्रुप भी शामिल हुए थे, जिसमें नमन ग्रुप क्वालीफाई नहीं कर पाया और डीएलएफ लिमिटेड की तरफ से इस प्रोजेक्ट के लिए 2,025 करोड़ की बोली लगाई गई थी।

डीएलएफ लिमिटेड से दोगुनी बोली लगाई

धारावी पुनर्विकास परियोजना के सीईओ एसवीआर श्रीनिवास के मुताबिक अडानी ग्रुप ने डीएलएफ लिमिटेड से दोगुनी बोली लगाई, जिसके बाद इसके रिडेवलपमेंट का काम अडानी ग्रुप करेगा, लेकिन इससे पहले इसका पूरा ब्यौरा महाराष्ट्र सरकार को भेजा जाएगा। महाराष्ट्र सरकार की मंजूरी के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा।

बनेंगे पक्के मकान और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स

इस स्लम एरिया के पुर्नविकास के तहत यहां रहने वाले लोगों के लिए पक्के मकान, बुनियादी सुविधाएं, साफ-सफाई और रहने के लिए बेहतर जगह मुहैया कराई जाएगी। इससे आने वाले वक्त में इसकी पहचान सबसे गंदी कंजस्टेड झुग्गी बस्ती की जगह सबसे विकसित जगह के तौर पर होगी। यहां बनी झुग्गी झोपड़ियों और तंग गलियों की जगह अच्छे मकान और खुली सड़कें होंगी, साथ ही कमर्शियल कॉम्प्लेक्स भी बनाए जाएंगे।

5 हजार से ज्यादा रजिस्टर्ड कारोबारी

एक रिपोर्ट के मुताबिक धारावी झुग्गी बस्ती में 5 हजार से ज्यादा रजिस्टर्ड कारोबारी हैं, जो यहां खुद का बिजनेस करते हैं। यहां 15 हजार से ज्यादा कारखाने भी हैं, हालांकि जगह कम होने के चलते ये कारखाने बेहद छोटी-छोटी गलियों में ही सिमटे हुए हैं।

शौचालय की नहीं है सुविधा

मुंबई की इस झुग्गी बस्ती को जहां एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती कहा जाता है, वहीं गंदगी के मामले में भी ये सबसे आगे है। यहां रहने वाले 80 फीसदी से ज्यादा लोग पब्लिक शौचालयों का इस्तेमाल करते हैं। संकरी गलियों के चलते यहां साफ-सफाई की उचित व्यवस्था नहीं है।

बस्ती लगभग 620 एकड़ में फैली हुई है

धारावी झुग्गी बस्ती लगभग 620 एकड़ में फैली हुई है, जिसमें से अडानी ग्रुप को रिडेवलपमेंट के लिए जमीन दी जाएगी। इस प्रोजेक्ट के तहत यहां रहने वाले लाखों लोगों का पुनर्वास होगा जो अभी छोटे से एक कमरे के मकान में रहने अपना गुजारा करते हैं। यहां छोटी सी झुग्गियों में एक साथ कई लोग रहते हैं जहां शौचालय, किचन आदि की पर्याप्त सुविधा नहीं होती। महाराष्ट्र सरकार का ये धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट 20 हजार करोड़ रुपये का है जिसे 7 सालों में पूरा किया जाना हैं।

22 साल से अटका हुआ था मामला

धारावी झुग्गी बस्ती के रिडेवलपमेंट का काम काफी सालों से अटका हुआ था। पहली बार साल 1999 में महाराष्ट्र सरकार इसके रिडेवलपमेंट का प्रस्ताव लेकर आई थी, जिसके बाद साल 2003-2004 में सरकार ने इसका प्लान तैयार किया। सरकार ने किसी कंपनी के साथ मिलकर इसका रिडेवलपमेंट करने की योजना बनायी थी, जिसके बाद अब अडानी ग्रुप ने इस प्रोजेक्ट के लिए सबसे ऊंची बोली लगाकर इस प्रोजेक्ट को हासिल कर लिया है। 

डेवलपमेंट के लिए लगातार किए प्रयास

मिंट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में भी सरकार ने इसके रिडेवलपमेंट को लेकर टेंडर निकाले थे लेकिन तब किसी कंपनी को ये प्रोजेक्ट नहीं मिल सका, फिर साल 2018 में दोबारा से सरकार ने इसके प्रयास किए थे, तब अडानी ग्रुप ने भी इस प्रोजेक्ट को पाने की कोशिश की थी, लेकिन अडानी ग्रुप उस दौरान इस प्रोजेक्ट को हासिल नहीं कर सका था। उस दौरान सेनक्लिंक टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन ने इसकी सबसे ऊंची बोली लगाई थी, लेकिन फिर साल 2020 में इस डील को रद्द कर दिया गया।

बोली में विदेश की कंपनियां भी हुईं शामिल

फिर इस साल 2022 में इस प्रोजेक्ट को लेकर फिर से बोली लगना शुरू हुआ, जिसमें दक्षिण कोरिया समेत संयुक्त अरब अमीरात की कई विदेशी कंपनियों ने भी हिस्सा लिया। लेकिन वो फाइनल डील तक नहीं पहुंच सकीं। इसमें अदानी ग्रुप, डीएलएफ लिमिटेड और नमन ग्रुप भी शामिल थे, लेकिन नमन ग्रुप को अयोग्य घोषित कर दिया गया और फिर अदानी ग्रुप और डीएलएफ लिमिटेड में से अडानी ग्रुप ने सबसे ऊंची बोली लगाकर इस प्रोजेक्ट को अपने नाम कर लिया।

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