महावीर स्वामी के अनुयायी- दो पंत.. श्वेताम्बर और दिगंबर

जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म बिहार के कुंडाग्राम में हुआ था।

महावीर स्वामी के अनुयायी- दो पंत.. श्वेताम्बर और दिगंबर

जीवन मंत्र.. मानें चाहे न मानें..

जनजागरुकता, धर्म डेस्क। प्रतिवर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महावीर जयंती मनाई जाती है। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म बिहार के कुंडाग्राम में हुआ था। भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। जैन धर्म दो पंतों में बंटा हुआ है श्वेताम्बर और दिगंबर।

श्वेताम्बर और दिगंबर में अंतर जानें 

श्वेताम्बर और दिगंबर, जैन धर्म के दो प्रमुख सम्प्रदाय हैं। लेकिन इनमें, अंतर क्या होता है आइए जानते हैं...

श्वेताम्बर क्या है ?

श्वेतांबर जैन धर्म का एक प्रमुख सम्प्रदाय है, जिसे मानने वाले संत स्वेत अर्थात सफेद वस्त्र को धारण करते हैं। श्वेतांबर का अर्थ होता है, “श्वेत+अम्बर अर्थात श्वेत अम्बर को धारण करने वाले श्वेताम्बर” या दूसरी भाषा में कहें तो “श्वेत है अम्बर जिनका, अर्थात श्वेत वस्त्र धारी।

..इसलिए वस्त्र धारण करते हैं

श्वेतांबर मतानुसार, मोक्ष की प्राप्ति के लिए वस्त्र का त्याग करना आवश्यक नहीं है। श्वेतांबर मतानुसार महावीर विवाहित थे। श्वेतांबर मतानुसार, 19वीं तीर्थकर स्त्री थी। श्वेतांबर मतानुसार, स्त्रियां निर्वाण की अधिकारी हैं। श्वेतांबर मतानुसार, कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति के बाद भी लोगों को भोजन की आवश्यकता है। इसलिए वे श्वेतांबर महावीर की स्तुति करते हैं और उनके बताए हुए मार्ग का अनुसरण करते हैं।

दिगंबर क्या है..?

दिगंबर जैन धर्म का दूसरा सम्प्रदाय है। दिगंबर को मानने वाले, संत वस्त्रहीन रहते हैं। इनका मानना है कि मोक्ष की प्राप्ति के लिए वस्त्रहीन रहना आवश्यक है। दिगम्बर का अर्थ है, दिक्अ+म्बर,अर्थात जिनका अम्बर दिशाएं ही हैं, अर्थात नग्न स्वरुप वाले। या दूसरी भाषा में कहें तो “दिशाएं हैं अम्बर जिनका, अर्थात नग्न” है।

..इसलिए वस्त्र का त्याग करते हैं

दिगंबर मतानुसार, मोक्ष प्राप्त करने के लिए वस्त्र का त्याग करना आवश्यक है। दिगंबर मतानुसार महावीर अविवाहित हैं। दिगंबर मतानुसार 19वें तीर्थकर पुरुष थे। दिगंबर मतानुसार स्त्रियों का निर्वाण प्राप्त करना संभव नहीं है। दिगंबर मतानुसार, केवली प्राप्ति के बाद भोजन की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए दिगंबर महावीर जी की पूजा-अर्चना भगवान के रूप में करते हैं।

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