संस्कृति विभाग के कार्यक्रम में किरकिरी, सेलिब्रिटी गेस्ट्स हमर पहुना में पंकज उधास का नाम ही गलत

हमर पहुना के नाम से आयोजित कार्यक्रम में नामी कलाकार आते हैं जो लाेगों से, मीडिया से बात करते हैं। छत्तीसगढ़ की संस्कृति से रूबरू होते हैं।

संस्कृति विभाग के कार्यक्रम में किरकिरी, सेलिब्रिटी गेस्ट्स हमर पहुना में पंकज उधास का नाम ही गलत

रायपुर, जनजागरुकता। छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग ने खुद की किरकिरी करवा ली है। मशहूर बॉलीवुड सिंगर पंकज उधास का सरकारी कार्यक्रम में नाम ही गलत लिख दिया है। संस्कृति विभाग के मार्गदर्शन में अभी रायपुर में सेलिब्रिटी गेस्ट्स के कार्यक्रम राजधानी में हो रहे हैं। हमर पहुना के नाम से आयोजित कार्यक्रम में नामी कलाकार आते हैं जो लाेगों से, मीडिया से बात करते हैं। छत्तीसगढ़ की संस्कृति से रूबरू होते हैं।

शनिवार की शाम रायपुर में बॉलीवुड सिंगर पंकज उधास पहुंचे। संस्कृति विभाग ने अपने दफ्तर के बाहर मुक्तकाशी मंच पर पंकज का कार्यक्रम हमर पहुना आयोजित किया। यहां शाम 5 बजे पंकज को पहुंचना था, करीब डेढ़ घंटे की देर से ये कार्यक्रम शुरू हुआ। यहीं पंकज से मीडिया और आम लोगों ने बात की। कार्यक्रम में संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने जो बोर्ड लगवाया है उस पर पंकज उधास की बजाए उदास लिखा गया था। जबकि पंकज का सरनेम उधास है, उदास नहीं।

कार्यक्रम से पहले संस्कृति विभाग के हमर पहुना कार्यक्रम में पंकज उधास ने बताया कि एक बार प्लेन में राजकपूर जी भी बैठे थे। मैं अपनी सीट की तरफ जा रहा था, तो उनके पैर छूए। राजकपूर साहब ने मुझे देखा और कहा कि पंकज उधास अमर हो गया, पहले तो मुझे समझ ही नहीं आया कि वो क्या कह रहे हैं। फिर उन्होंने कहा चिट्‌ठी आई है यह गीत राजेंद्र कुमार ने मुझे सुनाया था, उन्हें गाना बेहद पसंद आया। फिल्म नाम फिल्म के निर्माता राजेंद्र कुमार ही थे। इस गीत का पिक्चराइजनेशन पंकज पर ही किया था। पंकज ने कहा कि फिल्म का गीत फिल्म की आत्मा थी। मेरा सौभाग्य है कि यह गीत मुझे गाने को मिला।

पकंज उधास ने शहर के डीडी ऑडिटोरियम में उन्होंने लाइव कंसर्ट में परफॉर्म किया। कार्यक्रम में उन्होंने अपनी फेमस गजलें और सुपरहिट बॉलीवुड सॉन्ग चिट्‌ठी आई है भी परफॉर्म किया। इस कार्यक्रम में बतौर अतिथि प्रदेश की राज्यपाल अनुसुइया उइके, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू पहुंचे और पंकज उधास को सम्मानित भी किया।

संजीदगी भरे गीत पसंद थे

पंकज उधास ने कहा- शुरुआत में मैं कॉलेज में मुकेश साहब के गीतों को गाता था, क्योंकि मुझे संजीदगी भरे गीत पसंद थे। मुकेश साहब की आवाज में दर्द था। उनका एक गीत-कहीं दूर जब दिन ढल जाए, सांझ की दुल्हन बदन चुराए… मुझे काफी पसंद था। बाद में मैंने गजलों को प्राथमिकता दी। उर्दू जुबान से मुझे इश्क हुआ और उर्दू गजलों के शब्द मुझे अच्छे लगते हैं। पहले की फिल्मों में सुरीला संगीत और काफी गीत होते थे, उनके बोल में अर्थ छिपा होता था। गीतों के दम पर फिल्में भी चलती थीं।