SAIL हाउस लीज.. यदि ऐसा है.. तो अधिसूचना कलेक्टर के माध्यम से जारी करें- दानी
राज्य शासन के आदेश के बगैर जिला पंजीयन अधिकारी के अधिकार क्षेत्र के बाहर की बात है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष संजय दानी ने सवाल किए कि अधिकारी कैसे कराएंगे पुरानी दर पर रजिस्ट्री?
भिलाई, जनजागरुकता। सेल के भिलाई स्टील प्लांट एरिया टाउनशिप में हाउस लीज मामले पर लीज़-डीड की दरों को लेकर मैसेज वायरल हो रहा है। पर इसकी वास्तविकता को लेकर संबंधित विभाग के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी का लिखित बयान जारी नहीं हुआ है। ऐसे में आवास लीजधारियों के साथ राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारी इस मामले को चुनावी स्टंट मान रहे हैं। वहीं दो दशक पुराने लीज मामले पर राज्य सरकार पर भी ऊंगलियां उठ रही है। वहीं जिला पंजीयन अधिकारी से भी सवाल किया गया है।
यह मामला वर्ष 2001/2003 का है। उस दौरान के बीएसपी आवास का निर्धारित दरों के आधार पर पंजीयन करने के लिए जिला पंजीयक कार्यालय के किसी भी अधिकारियों का किसी भी तरह का अधिकृत बयान लिखित रूप से नहीं आया है। पर इस साल विधानसभा चुनाव है, इसे देखते हुए राजनीतिक लाभ के लिए लगभग 20 हजार से अधिक वोटरों को साधने की कोशिश जरूर की जा रही है। हर बार लीज मामले में दूसरा दावा सामने आ जाता है। इस बार जिला पंजीयन कार्यालय को लेकर सवाल सामने आया है।
मामले के अनुसार ये बात सामने आने लगी है कि लीज़-डीड की रजिस्ट्री पुरानी दरें यानि 2001/2003 में पंजीयन से संबंधित जो दरें जिला पंजीयन कार्यालय ने तय की थी उसी दर पर होगी। इस बात को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नगरीय निकाय प्रकोष्ठ के सह-संयोजक व पूर्व नेता प्रतिपक्ष संजय दानी ने सवाल उठाया है।
दानी ने इस मामले पर तर्कसंगत सवाल उठाया है। दानी ने संबंधित अधिकारियों से सवाल करते हुए कहा है कि पंजीयक व राजस्व अधिकारी लिखित में अधिकृत बयान दें कि 4500 आवासों के लीज़-डीड के पंजीयन को 22 वर्ष पुराने पंजीयन की दरों के आधार पर गणना की जाएगी।
क्या अधिकार राज्य सरकार ने सुनिश्चित किया है?
दानी ने सवाल किया है कि क्या जिला पंजीयन अधिकारी व राजस्व अधिकारियों को पुरानी दरों पर पंजीयन करने का अधिकार राज्य सरकार ने सुनिश्चित किया है? ऐसा है तो.. इसे सभी आवास लीजधारकों के सामने सार्वजनिक कर अधिसूचना कलेक्टर के माध्यम से जारी करें।
चुनावी स्टंट.. गलत सूचना से राजनीतिक लाभ की कोशिश
चुनावी स्टंट के इस दावे पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष संजय दानी ने आरोप लगाया है कि लीज-डीड मामले पर ऐसा कर भिलाई इस्पात संयंत्र के श्रमवीरों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास किया जा रहा है। गलत सूचना फैलाकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की जा रही है। पर वास्तविकता कुछ और है..।
पंजीयन अधिकारी इस बात को स्पष्ट करे
संजय दानी ने कहा लीज-डीड का मामला हजारों आवास लीजधारियों से जुड़ा है। जिसे लगभग 22 साल होने जा रहा है। पर 2001/2003 में निर्धारित दरों के आधार पर पंजीयन करने के लिए जिला पंजीयक कार्यालय के किसी भी अधिकारियों का किसी भी तरह का अधिकृत बयान लिखित रूप से नहीं आया है। दानी ने जिला पंजीयन अधिकारी से इस बात को स्पष्ट करने का अनुरोध किया है।
बताएं.. जमीन का पंजीयन करेंगे या आवंटित मलबा का भी?
दानी ने जिला पंजीयन अधिकारी से सवाल किया है कि वे बताएं कि लीज़-डीड के पंजीयन में जमीन का पंजीयन करेंगे या आवंटित मलबा का भी करेंगे। दानी ने बताया क्योंकि दो दशक पूर्व आवास धारकों को जब आवास का आवंटन किया गया था, उस दौरान भूमि खाली नहीं थी। 4500 आवास भी वहां खड़े थे।
जमीन व मलबे के पंजीयन की गणना का आधार क्या होगा?
दानी ने कहा अगर ऐसा है.. तो इस पर पंजीयन अधिकारी से सवाल किया कि बताएं बीएसपी की जमीन व मलबे के पंजीयन की गणना का आधार क्या होगा? और कितनी राशि अनुमानित प्रत्येक आवास लीजधारकों को प्रीमियम राशि के तहत देनी पड़ेगी?
कुछ नहीं ..ये 20 हजार मतदाताओं को साधने का स्टंट है
पूर्व नेता प्रतिपक्ष संजय दानी ने आगे कहा कि जितने दावे लीज-डीड मामले पर किए जा रहे हैं वह राज्य शासन के आदेश के बगैर जिला पंजीयन अधिकारी के अधिकार क्षेत्र के बाहर की बात है। दानी का कहना है कि ये बातें हड़बड़ी में इसलिए की जा रही है कि विधानसभा चुनाव सामने है। इसे देखते हुए इससे भिलाई टाउनशिप के 4500 आवास लीज़धारकों के परिवार के लगभग 20,000 मतदाताओं को साधा जा सके।
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