Korba : बंद सुराकछार खदान में मिला 200 लाख टन का कोयला भंडार, जानिए पूरी खबर..
इस पर प्रबंधन खुद इस नए फेस में उत्पादन करने पर भी विचार कर रही है। ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कोल इंडिया देशभर की 20 बंद खदानों को फिर से शुरू करने जा रहा है। इसमें एसईसीएल की चार खदान शामिल हैं। बंद पड़ी रजगामार भूमिगत खदान में खनन चालू करने के लिए पहले ही एक निजी कंपनी से अनुबंध किया जा चुका है।
कोरबा, जनजागरुकता डेस्क। साऊथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की दो साल से बंद भूमिगत सुराकछार कोयला खदान को शुरू किया जाएगा। यहां 200 लाख टन कोयले का नया भंडार मिला है। सन 1963 में रशियन पद्धति से यहां कोयला उत्खनन शुरू हुआ था। अब अत्याधुनिक कंटीन्यूअर्स माइनर मशीन खदान में उतारे जाने की तैयारी है।
खदान के गहरे सतह व मुहाने से लंबी दूरी होने से कोयला उत्खनन में लागत बढ़ गई थी। साथ ही उपयोग होने वाले श्रम के मुकाबले बहुत कम कोयला का उत्पादन हो रहा था। इस वजह से प्रबंधन ने वर्ष 2022 में खदान को बंद कर दिया था। उस समय प्रतिदिन सौ टन कोयला उत्पादित हो रहा था। यहां आठ सौ नियमित व दो सौ ठेका कर्मचारी कार्यरत थे। आधे से अधिक कर्मचारियों को आसपास के संचालित कोयला खदान में स्थानांतरित कर दिया गया है। सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (CMPDI) के नियमित सर्वेक्षण में सुराकछार के मेन माइंस में नया भंडार मिलने की पुष्टि की गई है।
इसके साथ ही इस खदान को पुनर्जीवित करने की योजना प्रबंधन ने बनाई है। पहले ही कोयला मंत्रालय माइन डेवलपर एंड आपरेटर (एमडीओ) से देश भर के बंद 20 कोयला खदानों को शुरू करने सूचीबद्ध कर चुकी है। इनमें चार खदान एसईसीएल का शामिल है। यदि सुराकछार में एमडीओ मोड में काम शुरू किया जाता है तो खनन अनुभव वाली निजी कंपनी उत्खनन कार्य कंटीन्यूअर्स माइनर मशीन की उपलब्धता की शर्त पर सौंपा जा सकता है। हालांकि इस पर प्रबंधन खुद इस नए फेस में उत्पादन करने पर भी विचार कर रही है। ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कोल इंडिया देशभर की 20 बंद खदानों को फिर से शुरू करने जा रहा है। इसमें एसईसीएल की चार खदान शामिल हैं। बंद पड़ी रजगामार भूमिगत खदान में खनन चालू करने के लिए पहले ही एक निजी कंपनी से अनुबंध किया जा चुका है।
बंद सुराकछार कोयला खदान में पुन: कोयला उत्पादन के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से अनुमति लेनी होगी। साथ ही राज्य के वन विभाग व पर्यावरण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा। यहां बताना होगा कि गेवरा, दीपका, कुसमुंडा जैसे मेगा ओपनकास्ट प्रोजेक्ट कोरबा में संचालित हैं, लेकिन सुराकछार भूमिगत कोयला खदान में उत्पादित होने वाले कोयले की स्पंज आयरन समेत निजी उद्योगों में अधिक मांग है। यहां के कोयले का ग्रेड बेहतर है।
नए वित्तीय वर्ष से शुरू होगा रजगामार खदान
मशीन नहीं पहुंचने की वजह से नए वित्तीय वर्ष 2025 में शुरू हो चुका है। इसके लिए प्रबंधन ने उत्पादन लक्ष्य भी निर्धारित कर लिया है।janjaagrukta.com