रेलवे का बड़ा फैसला- 'जनरल बोगी' में बदले जा सकेंगे अब रिजर्व डिब्बे
रेल मंत्रालय ने जारी किया जोनल अधिकारियों को फरमान, ऐसी ट्रेनों की पहचान की जाए।
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। रेल मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि अब रिजर्व डिब्बे भी 'जनरल बोगी' बनाए जा सकेंगे। इसके लिए ऐसी ट्रेनों की पहचान की जाए जिनमें रिजर्व स्लीपर कोचों में कम यात्री सवारी करते हैं। जिससे इन कोचों को अनरिजर्व कोचों में फिर बाद में उन्हें जनरल कोचों में बदला जा सके। रेल मंत्रालय ने इस सबंध में जोनल अधिकारियों को फरमान जारी किया है।
कोचों को जीएस में बदलने के निर्देश
रेल्वे सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रेलवे बोर्ड ने जीएससीएन (जनरल स्लीपर क्लास) कोचों को जीएस (अनारक्षित) में बदलने के निर्देश जारी किए हैं। खासतौर पर उन ट्रेनों में जिनमें दिन के समय बहुत कम सीटें होती हैं या फिर जहां मांग बहुत कम है।
अनारक्षित डिब्बों में भीड़भाड़ एक बड़ी समस्या
मामले के जानकार रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, “अनारक्षित डिब्बों में भीड़भाड़ एक समस्या बनी हुई है क्योंकि जनरल डिब्बों के टिकट तब तक जारी किए जाते हैं ।जब तक कि ट्रेन निकल नहीं जाती है और रास्ते में रुकने वाले स्टेशनों पर बिना किसी लिमिट के रुक जाती हैं।”
एसी थ्री-टायर कोचों को समायोजित करना ज्यादा लाभदायक
सीटों के मामले पर रेलवे के एक पूर्व अधिकारी ने बताया, “जनरल कोचों में भीड़भाड़ होने के पीछे की एक वजह ये भी है कि रेलवे पिछले कई सालों में ऐसे कोचों की संख्या में कमी कर रहा है जिससे कि एसी थ्री-टायर कोचों को समायोजित किया जा सके। ये ज्यादा लाभदायक हैं।”
किस कोच में कितनी सीटें?
एसी के फर्स्ट क्लास कोच में 18-24 बर्थ (पारंपरिक आईसीएफ या नए एलएचबी कोच के आधार पर) हो सकती हैं, एक टू-टियर एसी कोच में 48-54 बर्थ हो सकती हैं। एक थ्री-टीयर एसी कोच में 64-72 बर्थ और स्लीपर कोच में 72-80 बर्थ होती हैं। जबकि एक अनारक्षित कोच में 90 यात्री बैठ सकते हैं, आमतौर पर उनके अंदर 180 से अधिक यात्री पाए जाते हैं।