पूर्व सीएम बघेल के घर छापेमारी के बाद ईडी की गाड़ी पर हमला, पुलिस ने दर्ज किया मामला
ईडी ने कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भिलाई के मानसरोवर कॉलोनी स्थित बघेल के आवास और दुर्ग के अन्य 13 स्थानों पर छापा मारा था। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान करीब आठ घंटे की तलाशी में 30 लाख रुपये नकद और कुछ दस्तावेज जब्त किए गए।

छत्तीसगढ़, जनजागरुकता। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी के बाद उनकी गाड़ी पर हमले का मामला सामने आया है। दुर्ग पुलिस ने ईडी के वाहन को रोकने और पथराव करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है। यह कार्रवाई उस समय हुई जब ईडी की टीम पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में उनके आवास की तलाशी लेने पहुंची थी।
ईडी की गाड़ी पर हमला, 15-20 लोगों पर एफआईआर
सोमवार को पुरानी भिलाई थाना क्षेत्र में ईडी की शिकायत पर सन्नी अग्रवाल सहित 15-20 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। बताया जा रहा है कि छापेमारी के बाद जब ईडी की टीम वापस लौट रही थी, तब प्रदर्शनकारियों ने उनकी गाड़ी को घेर लिया और कुछ लोग बोनट पर चढ़ गए। इसी दौरान किसी ने पत्थर फेंका, जो वाहन के आगे के शीशे पर लगा।
ईडी की छापेमारी और जब्त संपत्तियां
ईडी ने कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भिलाई के मानसरोवर कॉलोनी स्थित बघेल के आवास और दुर्ग के अन्य 13 स्थानों पर छापा मारा था। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान करीब आठ घंटे की तलाशी में 30 लाख रुपये नकद और कुछ दस्तावेज जब्त किए गए।
हमले में शामिल प्रदर्शनकारियों पर विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज
पुलिस ने इस मामले में दंगा भड़काने [191(2)], गैरकानूनी रूप से एकत्र होने (190), सरकारी काम में बाधा डालने (221), सरकारी कर्मचारी पर हमले (132) और गलत तरीके से रोकने [126(2)] समेत सार्वजनिक संपत्ति विनाश अधिनियम की धारा 3 के तहत एफआईआर दर्ज की है।
भूपेश बघेल और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
छापेमारी के दौरान भूपेश बघेल घर पर मौजूद थे। उन्होंने ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह छापेमारी एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। कांग्रेस पार्टी ने भी इसे संसद के बजट सत्र में सरकार से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया।
ईडी की अगली कार्रवाई
ईडी इस मामले में चैतन्य बघेल को पूछताछ के लिए रायपुर स्थित कार्यालय में बुला सकती है। जांच एजेंसी के अनुसार, यह कथित शराब घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ, जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार थी। ईडी का दावा है कि इस घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध आय शराब सिंडिकेट से जुड़े लोगों की जेब में गई।janjaagrukta.com