"इस पर ताली नहीं बजेगी..." – अमिताभ बच्चन शायरी वाले डायलॉग के खिलाफ थे, टीनू आनंद ने ऐसे मनाया

जब फिल्म कालिया के सेट पर अमिताभ बच्चन और निर्देशक टीनू आनंद के बीच एक डायलॉग को लेकर बहस हो गई थी। कालिया फिल्म को दर्शकों ने खूब पसंद किया था, लेकिन इसे बनने में करीब चार साल लगे थे।

"इस पर ताली नहीं बजेगी..." – अमिताभ बच्चन शायरी वाले डायलॉग के खिलाफ थे, टीनू आनंद ने ऐसे मनाया
"इस पर ताली नहीं बजेगी..." – अमिताभ बच्चन शायरी वाले डायलॉग के खिलाफ थे, टीनू आनंद ने ऐसे मनाया

अंतराष्ट्रीय, जनजागरुकता डेस्क। फिल्मी दुनिया में अमिताभ बच्चन ने कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया है। बड़े निर्देशक और निर्माता उनके साथ काम करने के अनुभव साझा करते रहते हैं। अक्सर ऐसा होता है कि कलाकार किसी डायलॉग को बोलने से इनकार कर देते हैं या उसमें बदलाव की मांग करते हैं। ऐसा ही एक किस्सा तब हुआ जब फिल्म कालिया के सेट पर अमिताभ बच्चन और निर्देशक टीनू आनंद के बीच एक डायलॉग को लेकर बहस हो गई थी। कालिया फिल्म को दर्शकों ने खूब पसंद किया था, लेकिन इसे बनने में करीब चार साल लगे थे। 

फिल्म के निर्देशक टीनू आनंद ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि अमिताभ बच्चन एक खास डायलॉग को बोलने के लिए तैयार नहीं थे। टीनू ने बताया, "फिल्म के एक सीन में अमिताभ को शायरी में संवाद बोलना था, लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि पहले भी कई डायरेक्टर उन्हें बताते रहे हैं कि इस डायलॉग पर तालियां बजेंगी, लेकिन थिएटर में ऐसा नहीं होता। इसी वजह से वह इसे नहीं बोलना चाहते थे।" जब अमिताभ बच्चन ने डायलॉग बोलने से इनकार कर दिया, तो टीनू आनंद भी अड़ गए और कहा कि जब तक यह डायलॉग नहीं बोला जाएगा, तब तक शूटिंग आगे नहीं बढ़ेगी। टीनू ने आगे बताया, "कुछ देर बाद अमिताभ अपनी कुर्सी से उठे और लाइटमैन के पास जाकर बोले – 'शुरू करो, साहब तो मानेंगे नहीं।'" टीनू आनंद ने बताया कि जब फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई, तो सबसे ज़्यादा तालियां उसी डायलॉग पर बजीं, जिस पर बहस हुई थी। वह डायलॉग था:

"तू आतिश-ए-दोज़ख से डराता है,

जिन्हें वो आग को पी जाते हैं पानी करके।"

दरअसल, अमिताभ बच्चन का मानना था कि यह बात सीधे शब्दों में भी कही जा सकती थी, फिर शायरी की क्या ज़रूरत थी। लेकिन अंत में यही डायलॉग दर्शकों को सबसे ज़्यादा पसंद आया।janjaagrukta.com