शहर की पार्किंग्स में चोरी के वाहन खड़े करने की आशंका

एक अनुमान के अनुसार रायपुर की कई पार्किंग्स में इस समय कई अज्ञात वाहन खड़े होने की संभावना है जिसकी भनक संचालकों को भी नहीं है।

शहर की पार्किंग्स में चोरी के वाहन खड़े करने की आशंका
मेकाहारा अस्पताल रायपुर परिसर की पार्किंग।

पार्किंग में क्षमता से अधिक खड़े हो रहे वाहन, लोग धौंस या पहुंच दिखाकर

भी खड़ा कर जाते हैं, ठेके पर देकर संचालक भी बने लापरवाह

रामप्रसाद दुबे

जनजागरुकता सरोकार

रायपुर, जनजागरुकता। राजधानी रायपुर के सरकारी व निजी स्थानों पर संचालित हो रही वाहन पार्किंग में खड़ी अज्ञात गाड़ियों को लेकर सवाल  उठने लगे हैं। इन पार्किंग्स में एक अंतराल के बाद संचालकों द्वारा की जाने वाली जांच के बाद बड़ी संख्या में लावारिस वाहन पाए जाते हैं। तब उन वाहनों को नजदीक के पुलिस केन्द्र में सूचना देकर सुपुर्द किया जाता है लेकिन वाहन की पार्किंग के दौरान कोई पूछताछ नहीं होती है। इससे वाहन चोरों व गिरोहों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। 

दरअसल पार्किंग के संचालक ठेका देकर लापरवाह हो जाते हैं और ठेकेदार को अपना पैसा निकालने से मतलब होता है। वाहन चोरी की वारदात होने पर पुलिस पर भी दवाब बनाया जाता है पर समस्या के मूल में जाकर प्रशासन सहित सभी पक्षों जिसमें संचालक भी शामिल हैं, इस दिशा में काम करना होगा। एक और बड़ी बात कि कई पार्किंग्स में सीसी कैमरे भी नहीं लगे हैं, जो बढ़ते अपराधों को रोकने में कारगर साबित हो सकते हैं, जबकि ये सारे नियम पार्किंग बनने से पहले ही तय हो जाने चाहिए। 

कलेक्टोरेट के पास स्थित मल्टीलेवल पार्किंग स्थल।

एक अनुमान के अनुसार रायपुर की कई पार्किंग्स में इस समय कई अज्ञात वाहन खड़े होने की संभावना है जिसकी भनक संचालकों को भी नहीं है क्योंकि वे पार्किंग को ठेके पर दे देते हैं। इसके बाद ठेका संचालक बहुत सीमित संख्या में कर्मचारी रखकर केवल पर्ची काटने व पाैसा वसूलने का काम करता है। पार्किंग का मुआयना न तो असल संचालक करता और न ही उसका ठेकेदार कि सब कुछ नियम से चल रहा है या नहीं। दबाव के अभाव में ठेका कर्मी पैसा कमाने के फेर में अज्ञात वाहनों को भी पार्किंग में स्थान दे देते हैं। 

दस्तावेज दिखाना अनिवार्य होना चाहिए

इन पार्किंगों में वाहन पार्किंग के दौरान नियमों में मजबूती लाई जाए और वाहन से संबंधित के दस्तावेज की परख कर पार्किग की अनुमति दी जाए तो संभव है कि वाहन चोरी की कई घटनाओं पर रोक लग सके। 

"जनजागरुकता" टीम ने महाराष्ट्र पासिंग की चोरी की गाड़ियों के साथ आरोपी के पकडे़

जाने के बाद 14 दिसंबर को रायपुर शहर के दो बड़े पार्किंग्स की पड़ताल की।

"जनजागरुकता" टीम ने पिछले दिनों महाराष्ट्र पासिंग की चोरी की गाड़ियों के साथ आरोपी के पकडे़ जाने के बाद 14 दिसंबर को रायपुर शहर के दो बड़े पार्किंग स्थानों मल्टीलेवल पार्किंग कलेक्टोरेट और मेकाहारा पार्किंग की सुरक्षा की पड़ताल की। टीम ने पाया कि इन पार्किंग के जिम्मेवार संचालक पार्किंंग में ऐसे अज्ञात वाहन के पाए जाने पर पुलिस को सूचित करने के साथ सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की बात कह रहे हैं पर क्या सिर्फ इतनी जिम्मेवारी काफी है जबकि हजारों लोग शहर व बाहर से आकर वाहनों की पार्किंग कर  रहे हैं। दरअसल नियमित पार्किंग कर रहे लोगों को तो भरोसा है कि उनका वाहन सुरक्षित रहेगा लेकिन जो लोग अवैधानिक तरीके से वाहन लाकर रखकर जा रहे हैं, उन्हें भी भरोसा है कि 10-12 रुपए की पर्ची से उनका चोरी का वाहन भी यहां सुरक्षित रहेगा।  

कलेक्टोरेट के 400 की पार्किंग में 1050 फ्री 

सरकारी वाहन, लोग देते हैं पहुंच की धमकी

कलेक्टोरेट में संचालित हो रहे मल्टीलेवल पार्किग के संचालक मोहम्मद शोएब कहते हैं कि वर्ष 2021 में 15 लाख में ठेका प्राप्त किया है, तब से सीसीटीवी कैमरे के

साथ पार्किंग का संचालन कर रहे हैं। इसमें कई बार कई लोग सीएसपी, सांसद, विधायक और अफसरों की धौंस दिखाकर धमकी देकर वाहन रखते हैं।

उनका कहना था कि पार्किंग की क्षमता 400 व्हीकल की है पर तत्कालीन कलेक्टर सौरभ कुमार ने एक आदेश जारी कर 1050 सरकारी वाहनों को फ्री में पार्किंग की व्यवस्था देने को कहा है। ऐसे आदेशों का पालन सर्वोपरि हो जाता है। उन्होंने पीड़ा साझा कर कहा- कौन पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर लेगा। उन्होंने बताया कि पार्किंग में खड़े अज्ञात वाहन को 15 दिन देखभाल के साथ रखते हैं, फिर पुलिस व साइबर सेल को सूचना देते हैं। अब तक इस पार्किंग से चोरी की गाड़ियां नहीं निकली हैं।

क्रॉस चेक में मिली अज्ञात गाड़ी, पता किया तो वारिस जेल में बंद, वाहन झारखंड के य़ुवक का

मल्टीलेवल पार्किंंग में काम करने वाले कर्मचारी अजय कुमार मिश्रा और प्रवीण साहू ने बताया कि उनकी पार्किंग में एक दुपहिया वाहन काफी समय से खड़ा था, क्रॉस चेक किया तो पता नहीं लगा।पुलिस को जानकारी दी और गाड़ी के संबंध में खोजबीन की तो पता लगा कि वाहन झारखंड के युवक का है, जो जेल में बंद है। वह वाहन को पार्क कर कोर्ट पेशी में गया और जेल हो गई तो लौटा ही नहीं। दोनों ने जनजागरुकता को बताया कि संदेह होने पर कागजात की जांच जरूर करते हैं पर हर वाहन की जांच कर पाना संभव नहीं है।

फ्री पार्किंग वाहनों की कलेक्टोरेट से जारी सूची।

 

अज्ञात वाहन मिलने पर शपथ पत्र के बाद ले जाने की अनुमति

इन कर्मचारियों ने बताया कि कई बार अज्ञात वाहन के मिलने पर वारिस से शपथ पत्र लेकर या आधार कार्ड या लाइसेंस या पेनकॉर्ड लेकर जांच की जाती है। उसके बाद अनुमति दी जाती है। कर्मचारी अजय मिश्रा का कहना था कि वाहन चोरी के संबंध में पुलिस का तलाशी अभियान के दौरान पार्किंग में जांच होती रहती है पर इस पार्किंग से चोरी के वाहन नहीं मिले। 

वाहन पार्क कर घर गया और फांसी लगा ली

मेकाहारा पार्किंग के कर्मचारी शंकर राव बताते हैं कि उनकी पार्किंग में एक वाहन काफी दिन से खड़ा था। जांच की और पुलिस को सूचना दी तो पता चला कि उक्त वाहन का मालिक घर में जाकर फांसी लगा ली है। बाद में वारिस के तौर पर पत्नी वाहन लेने आई थी। इसी तरह एक बार पुलिस जांच में 10 से 15 दुपहिया चोरी के मिले थे जिसे पुलिस जब्त कर ले गई थी।

कलेक्टोरेट के पास स्थित मल्टीलेवल पार्किंग स्थल।

मुखबीर और सीसीटीवी कैमरे से की जाती है निगरानी- डीएसपी क्राइम

पार्किंग्स में अज्ञात वाहन के मुद्दे पर डीएसपी क्राइम दिनेश सिन्हा का कहना था कि वाहन पार्किंग की जगह पर मुखबीर से जानकारी या संदेह होने पर सरप्राइज चेकिंग की जाती है, साथ ही सीसीटीवी कैमरे से भी निगरानी की जाती है। ऐसे अज्ञात वाहनों के बारे में जानकारी मिलने पर कार्रवाई की जाती है। इसके अलावा क्राइम ब्रांच की टीमें जानकारियां लेती रहती हैं। कई बार फुटेज के आधार पर आरोपी वाहन के साथ पकड़े गए हैं।

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