भारत के दोस्त इजरायल की किस्मत बुलंदी पर, समंदर में मिला गैस और तेल का भंडार

नया क्षेत्र में करीब 68 बिलियन क्यूबिक मीटर मिलने का अनुमान, भारत को फायदा होगा।

भारत के दोस्त इजरायल की किस्मत बुलंदी पर, समंदर में मिला गैस और तेल का भंडार

तेल अवीव, जनजागरुकता डेस्क। भारत के खास दोस्‍त इजरायल की किस्मत बुलंदी पर है। इजराइल को समंदर में अरबों का एक ऐसा खजाना मिला है जो उसकी किस्‍मत को बदलकर रख देगा। देश के ऊर्जा और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर मंत्रालय और ग्रीक-ब्रिटिश हाइड्रोकार्बन एक्‍सप्‍लोरेशन और उत्पादन कंपनी एनर्जियन ने ऐलान किया है कि देश में प्राकृतिक गैस और तेल का भंडार मिला है। इसका सबसे ज्यादा फायदा भारत को होगा। जिस क्षेत्र पर प्राकृतिक गैस क्षेत्र की खोज हुई उसे कैटलन नाम दिया गया है, जिसे हिब्रू में 'ओर्का' कहा जाता है। 

नया क्षेत्र करीब 68 बिलियन क्यूबिक मीटर

बताया जाता है कि साल 2015 के बाद से इजरायल द्वारा मान्यता प्राप्त पहली प्राकृतिक गैस खोज है।देश के ऊर्जा मंत्री इजरायल काट्ज ने प्राकृतिक गैस क्षेत्र की खोज के लिए एक औपचारिक पहचान प्रमाण पत्र एनर्जेन के सीईओ मैथ्यू रिगास को सौंपा है। एक अनुमान के नया क्षेत्र करीब 68 बिलियन क्यूबिक मीटर है और तकनीकी तौर पर इसे मई 2022 में तलाशा गया था।

इजराइल के लिए यह खोज काफी अहम

प्राकृतिक गैस और तेल का भंडार से इजराइल के राजस्व में जबरदस्त इजाफा होगा।इजरायली तट के अन्य क्षेत्रों की तुलना में कैटलन को छोटा माना जाता है। फिर भी इस खोज को काफी अहम करार दिया जा रहा है।

पहली बार प्राकृतिक गैस का भंडार 2004 में मिला

साल 2004 में इजरायल के तट पर पहली बार प्राकृतिक गैस का भंडार मिला था। तब से देश के राजस्व में करीब 20 अरब इजरायली शेकेल यानी 5.35 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। साल 2022 में, इजरायल को अपने अपतटीय गैस क्षेत्रों का दोहन करने वाली कंपनियों से रॉयल्टी में 1.7 अरब शेकेल यानी 45.5 लाख डॉलर हासिल हुए थे।

 

करीश क्षेत्र से उत्पादन अक्टूबर 2022 में शुरू हुआ

समुद्र के अंदर कैटलन गैस फील्ड इजरायल के आर्थिक जल क्षेत्र के तहत आता है। इससे अलग एफ्रोडाइट क्षेत्र ज्यादातर साइप्रस के प्रादेशिक जल में है। एनर्जेन ने साल 2016 में भूमध्य सागर में इजरायल के आर्थिक जल में स्थित कारिश और तानिन प्राकृतिक गैस क्षेत्रों का अधिग्रहण किया था। सरकार ने घरेलू ऊर्जा बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की मांग की थी। करीश क्षेत्र से उत्पादन अक्टूबर 2022 में शुरू हुआ।

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