जीवन शून्य था.. नए हाथ और पैर देख झूमने लगा शख्स..

भारतीय जैन संगठना बिलासपुर ने 25 से 30 जून तक निःशुल्क दिव्यांग सेवा एवं स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाया है।

जीवन शून्य था.. नए हाथ और पैर देख झूमने लगा शख्स..

बिलासपुर, जनजागरुकता। मानव सेवा ही नारायण सेवा है को चरितार्थ करते हुए दिव्यांगों के दर्द को कम करने भारतीय जैन संगठना बिलासपुर ने 25 से 30 जून तक निःशुल्क दिव्यांग सेवा एवं स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाया है। जहां बड़ी संख्या में निःशक्त लाभ उठा रहे हैं।

शिविर में ऐसे ही एक दिव्यांग का जीवन बन गया है। जी हां.. हम बता रहे हैं महासमुंद से आए 45 वर्षीय शरद चंद जी के बारे में, जिन्हें कुछ साल पहले अपने दोनों हाथ और दोनों पैर गंवाने पड़े थे। मलेरिया के कारण 2007 में उनके पैर के नाखून से इंफेक्शन फैलता हुआ हाथ तक पहुंच गया था। ऐसे में उनकी जान को खतरा था। अंत में डॉक्टरों को उनके दोनों हाथ और पैर काटने पड़े थे।

जैन संघटना के शिविर में फिर से जीवन संवर गया है.. ज़ब शरद चंद ने नए हाथ और पैर के साथ अपने को देखा तो खुशी के मारे बीजेएस की टीम के साथ झूमने लगा। इस दौरान शिविर में मौजूद लोगों में भी उत्साह का संचार हो गया। खुशियां छा गई। 

बता दें कि शिविर का उद्घाटन न्यायमूर्ति माननीय गौतम जी चौरड़िया, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग रायपुर ने किया था। विशिष्ट अतिथि भारतीय जैन संघठना के राष्ट्रीय सचिव डॉ. पंकज चोपड़ा, भारतीय जैन संघठना के प्रदेश महासचिव विजय गंगवाल, भारतीय जैन संघठना छत्तीसगढ़ के मेडिकल कैंप के चेयरपर्सन अरिहंत कोठरी एवं भारतीय जैन संघठना के पूर्व अध्यक्ष एसके जैन रहे। कार्यक्रम की शुरुआत भगवान महावीर के छायाचित्र के सामने दीप प्रज्ज्वलन और जैन महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण से की गई।

इस दौरान भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति जयपुर के प्रतिनिधि उजागर सिंह लाम्बा ने अपनी संस्था के बारे में जानकारी दी। कहा कि 1975 में इस संस्था की शुरुआत पद्म विभूषण मेहता जी ने की थी। तब से लेकर आज तक यह संस्था 30 से अधिक देशों के 21 लाख से अधिक दिव्यागों को कृत्रिम हाथ, पैर, बैसाखी, व्हील चेयर, ट्राय साइकिल वितरित कर चुकी है। 

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