राजस्थान में बिजली संकट, गहलोत सरकार ने छत्तीसगढ़ से मांगा ज्यादा कोयला

थर्मल विद्युत संयंत्र बंद होने के कगार पर होने से गहलोत सरकार ने छत्तीसगढ़ को लिखा पत्र।

राजस्थान में बिजली संकट, गहलोत सरकार ने छत्तीसगढ़ से मांगा ज्यादा कोयला

नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। राजस्थान में विधानसभा चुनाव होना है। लेकिन प्रदेश में चुनाव से पहले बिजली संकट का खतरा मंडराने लगा है। इसे लेकर गहलोत सरकार चिंतित है। इस संकट उबारने के लिए गहलोत सरकार ने छत्तीसगढ़ से गुहार लगाई है। 

गहलोत सरकार ने छत्तीसगढ़ को पत्र लिखकर कोयला आपूर्ति की मांग की है। 

गहलोत सरकार ने छत्तीसगढ़ को भेजा एसओएस

आगामी विधानसभा चुनाव कुछ ही महीने शेष है। इससे पहले राजस्थान में बिजली संकट गहराने लगा है। इस संकट से भयभीत अशोक गहलोत सरकार ने कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ को पीईकेबी कोयला ब्लॉक के दूसरे चरण को सौंपने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए एक एसओएस भेजा है ।क्योंकि गहलोत सरकार को थर्मल विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

छत्तीसगढ़ से राजस्थान को प्रतिदिन 5 से 6 रेक की आपूर्ति

दरअसल राजस्थान में चुनाव होने वाले हैं और गहलोत सरकार ने मुफ्त बिजली का वादा किया है, जिससे राजस्थान सरकार पर दबाव बढ़ गया है, क्योंकि उसे छत्तीसगढ़ के कोयला ब्लॉक से प्रतिदिन 5 से 6 रेक ही मिल रही हैं।

आरवीयूएन ने सरगुजा कलेक्टर को लिखा पत्र

छत्तीसगढ़ के सरगुजा कलेक्टर को लिखे एक पत्र में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम (आरवीयूएन) ने तर्क दिया है कि कोयले की आपूर्ति पर इसके थर्मल पावर स्टेशन में छह-सात दिनों की गिरावट आई है और कोयले की कम आपूर्ति के कारण बिजली कम हो रही है।

वन मंजूरी और पेड़ों को काटने की अनुमति में देरी

सूत्रों ने बताया कि, पीईकेबी खदानों से रेक की आवाजाही से आरवीयूएन को 4,200 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए सौंपा गया था, लेकिन वन मंजूरी और पेड़ों को काटने की अनुमति की प्रक्रिया में समय लग गया। परिणामस्वरूप, विरोध के कारण 135 हेक्टेयर में से लगभग 91 हेक्टेयर का काम पूरा नहीं हो सका।

छत्तीसगढ़ सरकार जल्द कदम उठाए

पेड़ों की कटाई के मामले में आरयूवीएन ने छत्तीसगढ़ से इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कहा है, क्योंकि देरी के परिणामस्वरूप पीईकेबी कोयला खदान से आपूर्ति बंद हो जाएगी। जिससे राजस्थान में बिजली सप्लाई प्रभावित होगी। यह भी तर्क दिया गया है कि, देरी से खनन स्थल पर सामाजिक अशांति हो सकती है, क्योंकि 5,000 परिवार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोयला ब्लॉक पर निर्भर हैं।

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