राज्यसभा मणिपुर मुद्दे पर गरमाया, सभापति और टीएमसी सांसद के बीच तीखी नोंकझोंक

राज्यसभा में विपक्ष और सरकार के बीच पेंच इस बात पर फंसा है कि मणिपुर पर चर्चा किस नियम के तहत हो। आप सांसद संजय सिंह पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित किया गया है।

राज्यसभा मणिपुर मुद्दे पर गरमाया, सभापति और टीएमसी सांसद के बीच तीखी नोंकझोंक

नई दिल्ली, जनजागरुकता। राज्यसभा में सोमवार को मणिपुर मुद्दे को लेकर माहौल गरमाया हुआ रहा। एक तरफ राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सभापति जगदीप धनखड़ और टीएमसी के डेरेक ओ’ब्रायन के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। वहीं, सभापति ने आप सांसद संजय सिंह को मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया।

मणिपुर पर बहस को लेकर नियमों का पेंच

दरअसल, राज्यसभा में विपक्ष और सरकार के बीच पेंच इस बात पर फंसा है कि मणिपुर पर चर्चा किस नियम के तहत हो। क्योंकि सरकार नियम 176 के तहत बहस करना चाहती है तो विपक्ष नियम 267 के तहत चर्चा करने की मांग पर अड़ा हुआ है। इसी नियमों को लेकर राज्यसभा में नोटिस जमा कराए गए थे। 

सभापति ने नियम 176 पर दी जानकारी, 11 नोटिस मिले

सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान पहले नियम 176 के तहत मिले नोटिसों का विवरण देते हुए सांसदों और उनसे जुड़े राजनीतिक दलों के नाम पढ़े, जिनमें से ज्यादातर राजकोषीय पीठों से थे, जिसमें राजस्थान से लेकर मणिपुर तक के राज्यों में हिंसा पर अल्पकालिक चर्चा की मांग की गई थी। उन्होंने बताया कि उन्हें नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा के लिए 11 नोटिस मिले हैं। सभी नोटिस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।

चर्चा के लिए अलग-अलग कई नोटिस मिले 

धनखड़ ने बताया कि भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने पंचायत चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर, भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने पटना में भाजपा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन के दौरान हुए पुलिस लाठी चार्ज पर, भाजपा के लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने तेलंगाना में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार पर, भाजपा के जीवीएल नरसिम्हा राव ने छत्तीसगढ़ में फर्जी जाति प्रमाण को लेकर अनुसूचित जाति व जनजाति के युवाओं के प्रदर्शन पर, भाजपा के हरनाथ सिंह यादव ने छत्तीसगढ़ में महिलाओं की स्थिति से जुड़ी चिंता पर और भाजपा के ही घनश्याम तिवाड़ी ने राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मुद्दे पर नोटिस दिए हैं। 

सभी नोटिस पर वह गंभीरता से विचार कर रहे हैं

सभापति ने इसी प्रकार भाजपा के अन्य सदस्यों के नोटिस का उल्लेख किया। इसी क्रम में उन्होंने बताया कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के डॉ. वी शिवदासन ने मणिपुर में जातीय हिंसा पर नोटिस दिया है। धनखड़ ने कहा कि आखिरी नोटिस को छोड़कर शेष सभी नोटिस पर वह गंभीरता से विचार कर रहे हैं।

नोटिस पर चर्चा कराने में कोई आपत्ति नहीं

उन्होंने कहा कि जहां तक आखिरी नोटिस का सवाल है तो आपको याद होगा कि 20 जुलाई को मैंने इस बारे में अपनी व्यवस्था दे दी थी। मणिपुर में हिंसा को लेकर दिए गए नोटिस मैंने स्वीकार कर लिए थे। उन्होंने कहा कि उसी दिन सदन के नेता पीयूष गोयल ने सरकार की तरफ से कहा था कि उन्हें इन नोटिस पर चर्चा कराने में कोई आपत्ति नहीं है।

नियम 276 के तहत मिले नोटिस में दलों के नाम का उल्लेख नहीं

वहीं, जब उन्होंने विपक्षी दलों के सांसदों से नियम 267 के तहत प्राप्त नोटिस को पढ़ना शुरू किया तो उन्होंने पार्टी के नाम का उल्लेख नहीं किया। बता दें, विपक्षी दल मणिपुर मुद्दे पर लंबी चर्चा की मांग कर रहे हैं। सभापति ने बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिए चर्चा कराने के लिए 27 नोटिस मिले हैं। उन्होंने जैसे ही उल्लेख करना आरंभ किया कि तो टीएमसी के डेरेक ओब्रायन ने आपत्ति जताई और सभापति से पूछा कि ये सदस्य किस दल के हैं उनका भी जिक्र किया जाना चाहिए। जिसे लेकर तीखी नोंकझोंक हुई।

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