पूर्वी साजापहाड़ इलाके में 6 दिनों से घूम रही बाघिन का सफल रेस्क्यू..

वन मंत्री केदार कश्यप के निर्देश पर बाघिन का रेस्क्यू, एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम ने बाघिन को ट्रैंकुलाइज किया।

पूर्वी साजापहाड़ इलाके में 6 दिनों से घूम रही बाघिन का सफल रेस्क्यू..
Successful rescue of tigress roaming in East Sajapahar area for 6 days

रायपुर, जनजागरुकता। वन मंत्री केदार कश्यप (Kedar Kashyap) के निर्देशन में कोरिया वनमंडल के अंतर्गत आने वाले नगर निगम चिरमिरी के रिहायशी इलाकों में बीते एक सप्ताह से विचरण कर रही बाघिन को ट्रैंकुलाइज करने के बाद सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया है।

सरगुजा से वन संरक्षक (वन्यप्राणी) केआर बढ़ई की अगुवाई में बाघिन (tigress) को रेस्क्यू करने कानन पेंडारी से डॉ. पीके चंदन, तमोर पिंगला एलीफेंट रेस्क्यू सेंटर से डॉ. अजीत पांडेय व जंगल सफारी रायपुर से डॉ. वर्मा पहुंचे थे। उनकी निगरानी में सोमवार शाम 4 बजे बाघिन को रेस्क्यू कर सुरक्षित ले जाया गया। मादा बाघ को नगर निगम चिरमिरी के हल्दीबाड़ी बघनच्चा दफाई के पास जंगल में ट्रैंकुलाइज किया गया। फिर उसे ग्रीन नेट से ढंककर पिंजरे में डाला गया। इसके बाद वन विभाग के ट्रक में लोड कर ले जाया गया। इस दौरान बाघिन को देखने बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। वन मुख्यालय रायपुर से निर्देश मिलने पर बाघिन को किसी टाइगर रिजर्व छोड़ा जाएगा।

गौरतलब है कि बीते एक सप्ताह से कोरिया वनमण्डल बैकुण्ठपुर के पूर्वी साजापहाड़ बीट में बाघिन के विचरण के प्रमाण मिलने के बाद से ही वन विभाग का अमला पूरी तरह से अलर्ट रहकर लगातार निगरानी बनाए हुए था। बाघिन के विचरण क्षेत्र में वनों के चारों ओर गांव बसे हुए हैं, इसको ध्यान में रखते हुए विशेष सावधानी बरती जा रही थी। वन मंडलाधिकारी ने बाघिन के रेस्क्यू और उसे सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के लिए छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य वनसंरक्षक वन्यप्राणी को पत्र लिखकर ट्रैंकुलाईजेशन और परिवहन की अनुमति भी मांगी थी।

वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने बताया कि इस बाघिन के विचरण की पुष्टि ट्रैप कैमरा एवं प्रत्यक्ष रूप से हुई थी। इसके बाद वन विभाग का अमला सक्रिय होकर ग्रामीणों और चरवाहों को सावधानी बरतने तथा जंगल ने जाने की लगातार हिदायत दे रहा था। यह बाघिन आज नगर निगम चिरमिरी के वार्ड क्रमांक 15 एवं 6 नम्बर गोलाई (बगनचा) में एक बाड़ी में घुस गई थी। गश्ती दल बाघिन के मूव्हमेंट पर चौबीसों घंटे निगरानी रख रहा था। बाघिन ने 2 मवेशी का शिकार भी किया था।

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