भारत में रहे अशांति, पाक का एक ही एजेंडा खालिस्तान

जब से पाकिस्तान बना तब से यही उद्देश्य कि भारत के हिंदुओं और सिखों में फूट डालकर सिख समुदाय का भारत के प्रति विचार बदला जाए।

भारत में रहे अशांति, पाक का एक ही एजेंडा खालिस्तान


नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। भारत से अलग होकर जब से पाकिस्तान बना है तब से पाक का एक ही उद्देश्य रहा है कि भारत में अशांति रखा जाए। हिंदुओं और सिखों में फूट डालकर सिख समुदाय का भारत के प्रति विचार बदला जाए। ऐसा करते कुछ समय तक पाक सफल भी हुआ ..पर अंत में मुंह की ही खानी पड़ी।

ऐसा ही एक और प्रयास पाकिस्तान का जारी है। खालिस्तान के एजेंडे पर पाकिस्तान चल रहा है। खालिस्तान समर्थक और ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन को तवज्जो दे रहा है। पर भारत के सिख समुदाय में खालिस्तान के लिए कोई समर्थन नहीं है। जहां तक अमृतपाल की बात है तो यही खबर है कि उसे पाकिस्तान ने बढ़ावा दिया।

पाकिस्तान अपने ऐसे घृणित एजेंडे में कभी कामयाब नहीं हुआ और न ही हो पाएगा। इसके बावजूद वह खालिस्तान के मुद्दे को कायम रखे हुए है। पहले की स्थिति देखें तो पाक न केवल खालिस्तानी आतंकियों को पाकिस्तान में पनाह देता रहा है, बल्कि अपने देश से लेकर पश्चिमी देशों में उन्हें पालता-पोसता भी आया है।

बता दें कि खालिस्तान समर्थक और ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का मुखिया अमृतपाल सिंह वर्तमान में भागता, छिपता फिर रहा है। सुरक्षा बलों की सख्ती के बाद से फरार है। अमृतपाल ने वीडियो के जरिए कहा कि वह देश से भागा नहीं है। भारत की क्षेत्रीय अखंडता के लिए किसी भी खतरे को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

वहीं ऐसे मामले पर पाक के कुछ वरिष्ठों ने पूर्व में अफसोस जताया था कि विभाजन के समय मुस्लिम लीग ने अपने कार्यकर्ताओं को पंजाब में सिखों पर हमला करने और उनकी हत्या करने से नहीं रोका। उनका यही मानना रहा कि नवगठित देश में सिख समुदाय को बने रहने और उनका भरोसा जीतने के हरसंभव उपाय करने चाहिए थे, क्योंकि कालांतर में यह वर्ग पाकिस्तान के लिए ट्रंप कार्ड साबित होता।

दशकों से देखें तो सिखों और हिंदुओं के रिश्ते ऐतिहासिक कड़ियों से जुड़े होने के साथ ही हमेशा मजबूत रहे हैं। हिंदुओं और सिखों में पारिवारिक रिश्ता’ रहा है। पर भी पाक आदत से बाज नहीं आ रहा है। वह रह-रहकर खालिस्तान के मुद्दे को तूल देता आया है।


सिखों को खुश करने की कोशिश
यहां देखा गया कि ननकाना साहिब पहुंचे सिख जत्थों के दौरे पर भी उसने खालिस्तान समर्थकों को दुष्प्रचार करने दिया। भारत की आपत्ति और जत्थे के सदस्यों की नाखुशी के बावजूद खालिस्तानी प्रोपेगंडा जारी रहा। पश्चिमी देशों में सिखों को लुभाने और उनमें सद्भावना बनाने के लिए पाकिस्तान सरकार ननकाना साहिब में बाबा गुरु नानक यूनिवर्सिटी बना रही है। पाकिस्तान की इन कवायदों का लक्ष्य भारत के प्रति सिखों की भावनाएं भड़काना है।

ऐसे में भारत की नाराजगी और आपत्ति उचित
अब अमृतपाल और उसके संगठन पर कार्रवाई के बाद ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की प्रतिक्रिया कहीं न कहीं यही दर्शाती है कि भारत से बाहर खालिस्तान से जुड़ी गतिविधियों को पाकिस्तान का सहयोग मिला हुआ है। ऐसे में भारत की नाराजगी और आपत्ति बिल्कुल उचित है। खासतौर से कनाडा में खालिस्तान समर्थकों को खासी शह मिली है।

पाकी मदद से बुने जाल में फंस गए कुछ सिख समूह
कुछ सिख समूह पाकिस्तानी मदद से बुने गए जाल में भी फंस गए हैं। वहां कई निर्वाचन क्षेत्रों में सिख समूहों के प्रभाव को देखते हुए राजनीतिक दल भी मजबूर दिखते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत खालिस्तान की इस मुहिम को कैसे काबू करे? उसे पश्चिमी देशों पर दबाव बनाना होगा। बड़ा सवाल यही है कि क्या भारत इन देशों के साथ उस सीमा तक जा पाएगा, जिनसे उसके व्यापक हित जुड़े हुए हैं? जो भी हो, ऐसे सवाल पूछे ही जाने चाहिए, भले ही वे कुछ तबकों को असहज करें।

कूटनीतिक मोर्चे पर भारत के हाथ बंध जाते हैं
हालांकि, समग्रता में देखें तो कूटनीतिक मोर्चे पर भारत के हाथ उन तमाम लोगों की वजह से कुछ बंध जाते हैं, जो इन देशों में बसना चाहते हैं और चाहते हैं कि उन्हें किसी भी तरह वहां का वीजा मिल जाए। यह बहस चाहे जहां तक जाए, लेकिन यह तय है कि पश्चिमी देशों में खालिस्तान समर्थकों और पाकिस्तान की गतिविधियां कभी भी भारत के प्रति सिख समुदाय के भरोसे और समर्पण को नहीं डिगा सकतीं। इसका यह अर्थ भी नहीं कि भारत आत्मसंतुष्ट होकर बैठ जाए, क्योंकि अमृतपाल जैसे लोगों की करतूतें देश को क्षति पहुंचा सकती हैं।

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