पार्टी पदाधिकारियों से नाराज दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने कांग्रेस का हाथ थामा
राजीव भवन में सीएम भूपेश बघेल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम की उपस्थिति में साय ने कांग्रेस की सदस्यता ली।
रायपुर, जनजागरुकता। 3 बार सांसद रहे, बीजेपी के दिग्गज आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका दिया है। पार्टी के पदाधिकारियों की गतिविधियों व उनके प्रति व्यवहार से खिन्न होकर बीजेपी की सदस्यता से इस्तीफा देकर हाथ का सहारा ले लिया है। आज सोमवार को राजीव भवन पहुंचकर नंदकुमार साय ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है।
इस दौरान राजीव भवन में सीएम भूपेश बघेल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम मौजूद रहे। ऐसे में नंदकुमार साय के बीजेपी छोड़ने का असर सरगुजा की राजनीति पर पड़ने वाला है। वरिष्ठ आदिवासी नेता डॉ. नंद कुमार साय ने इस्तीफा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को पत्र लिखकर सौंपा है। साथ ही साय ने पार्टी के नेताओं पर उनकी छवि धूमिल करने का आरोप भी लगाया है।
साय बिल्कुल ठीक कह रहे- सीएम
बता दें कि बस्तर में गृहमंत्री अमित शाह के कार्यक्रम में नहीं बुलाने से छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय नाराज चल थे। साय ने बीजेपी में आदिवासी नेताओं की उपेक्षा की बात कही है। इधर सीएम भूपेश बघेल ने कहा था कि नंदकुमार साय बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। भाजपा आदिवासी नेताओं की उपेक्षा करती है। सीएम बघेल ने कहा था कि, चाहे बलीराम कश्यप हो, ननकीराम कंवर, विष्णुदेव साय चाहे नंदकुमार साय हो, सभी आदिवासी नेताओं को हाशिए में डाल दिया गया।
बस्तर में आयोजन और मुझे नहीं बुलाया- साय
नंदकुमार साय ने मीडिया से चर्चा में कहा था कि अमित शाह बस्तर आए थे, लेकिन इसकी सूचना मुझे नहीं दी गई थी। मुझे बुलाते तो मैं निश्चित जाता। वहीं कोरबा में जब वे आए थे तो मुझे भी बुलाया गया और मैं कार्यक्रम में शामिल भी हुआ, लेकिन बस्तर के कार्यक्रम में नहीं बुलाया।
आदिवासी नेताओं की लगातार उपेक्षा
पहले भी नंदकुमार साय ने कहा था कि बस्तर को ठीक करने के लिए पुराने नेताओं की ड्यूटी लगाने की जरुरत है। उन्होंने कहा बीजेपी संगठन में लगातार आदिवासी नेताओं की उपेक्षा की जा रही है। विष्णुदेव साय को विश्व आदिवासी दिवस के दिन ही प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया।
ये है उनकी उपलब्धियां
बता दें कि वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय सरगुजा से वर्ष 2004 में सांसद रहे। इससे पहले साय 1989 और 1996 में रायगढ़ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे। वर्तमान में सरगुजा संभाग की 14 विधानसभा सीट में से एक पर भी भाजपा के विधायक नहीं हैं।
ऐसे चला राजनीतिक सफर
छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय रहे। 1977 में पहली बार विधायक बने। छत्तीसगढ़ के पहले नेता प्रतिपक्ष रहे। 2 बार राज्यसभा सदस्य रहे। 3 बार लोकसभा सदस्य रहे। 3 बार विधायक रहे हैं। छत्तीसगढ़ बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश के बीजेपी के अध्यक्ष। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहे। छत्तीसगढ़ में बीजेपी संगठन को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई है।