Rafale : भारत को राफेल पर विश्वास, फ्रांस से फिर खरीदेगा
फ्रांस यात्रा पर पीएम नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह जाने वाले हैं। जहां डील पक्की कर सकते हैं। इस बार कंपनी की बजाय डील फ्रांस सरकार से होगी।
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। भारत भविष्य के खतरे को देखते हुए अपनी सुरक्षा पर पूरा ध्यान केंद्रीत कर लिया है। इसी के तहत भारतीय नौसेना ने राफेल के नवल वर्जन की मंशा जाहिर की थी। केंद्र सरकार ने भी इस पर हामी भरी है। इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी इसके लिए जल्द ही फ्रांस की यात्रा पर होंगे।
समुद्री निगरानी के लिए अमेरिका एफ-18 सुपर हॉर्नेट्स का इस्तेमाल करता है। अब जबकि समुद्री क्षेत्र में चीन के साथ भारत का भी तनाव बढ़ रहा है, ऐसे में हमारी नौसेना को भी इस तरह के शक्तिशाली जेट की जरूरत है। इस कारण से इस लड़ाकू विमान की खासियत की वजह से भारत फ्रांस से एक बार फिर राफेल जेट खरीदने का मन बनाया है।
नई प्लेन राफेल का नवल वर्जन होगा जिसका इस्तेमाल नौसेना करेगी। माना जा रहा है कि दो दिवसीय फ्रांस यात्रा के दौरान इस डील को पीएम मोदी अंतिम रूप दे सकते हैं। योजना 24 से 30 जेट खरीदने की है। बताया जा रहा है कि रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक के बाद जेट की कीमतों का पता चलेगा। इस बार कंपनी की बजाय डील फ्रांस सरकार से होगी।
फ्रांस में बैस्टिल दिवस परेड में चीफ गेस्ट होंगे मोदी
बता दें फ्रेंच राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पीएम मोदी को बैस्टिल दिवस परेड में चीफ गेस्ट के तौर पर आमंत्रित किया है। इसके लिए पीएम मोदी 13-14 जुलाई को फ्रांस में होंगे। इसी दौरान राफेल मरीन जेट्स डील को अंतिम रूप दिया जा सकता है। समुद्री क्षेत्र में चीन के साथ तनाव बढ़ रहा है, इसे देखते हुए नौसेना को भी शक्तिशाली जेट की जरूरत है।
इस बार डील फ्रांस सरकार से
माना जा रहा है कि एयर फोर्स वर्जन के मुकाबले इसकी कीमतें कम होंगी। इस बार आधिकारिक डील होगी। आसान भाषा में कहें तो कंपनी की बजाय डील फ्रांस सरकार से होगी।
एयर फोर्स वर्जन के 36 राफेल अपने पास
इस मामले पर बता दें कि रक्षा मंत्री रक्षा अधिग्रहण परिषद के अध्यक्ष होते हैं। पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा से पहले परिषद की बैठक में कितनी जेट खरीदी जाएगी, उसकी कीमतें क्या होंगी और यह डील किस रूप में किया जाएगा, इसके बारे में पूरी जानकारी सामने नहीं आई है। अभी भारत के पास राफेल का एयर फोर्स वर्जन है। फ्रांस ने 36 राफेल फाइटर जेट दे चुका है। प्रति राफेल जेट की कीमत 1600 करोड़ पड़ी थी।
इसलिए नौसेना ने राफेल चुना
नौसेना के अनुसार समुद्री सुरक्षा में आईएनएस विक्रांत पर तैनाती के लिए नौसेना को शक्तिशाली जेट की जरूरत है। नौसेना के पास ऑप्शन के रूप में अमेरिकी एफ-18 सुपर हॉर्नेट्स भी था। मीडिया रिपोर्ट्स से बताया गया कि नौसेना ने राफेल के ही नवल वर्जन को चुना है, जिसमें एयर फोर्स वर्जन से 80 फीसदी मिलता-जुलता है। ऐसे में नौसेना का मानना है कि इससे ट्रेनिंग, रिपेयरिंग और रख-रखाव पर होने वाले संभावित खर्च की बचत होगी।