राकांपा में हुआ शक्ति प्रदर्शन, अजित पवार का पलड़ा भारी
अजित के साथ 35 विधायक, अजित का दावा- 30 जून को ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाए जा चुके शरद पवार, राकांपा का कमान अब मेरे पास है।
मुबंई, जनजागरुकता डेस्क। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अंदरुनी घमासान के चलते दो गुटों में बंट गई है। एक गुट का नेतृत्व शरद पवार कर रहे हैं, तो दूसरे गुट का अजित पवार। राकांपा के दोनों गुटों ने बीच बुधवार को शक्ति प्रदर्शन हुआ। एनसीपी प्रमुख अजित पवार और शरद पवार की ओर से विधायकों को बैठक में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया गया। बैठक में राकांपा के 53 विधायकों में से 35 विधायक अजित पवार गुट के साथ खड़े हुए नजर आए। इस संख्या बल के आधार पर अजित पवार ने राकांपा के चुनाव चिन्ह व पार्टी पर दावा ठोंक दिया है। वहीं शरद पवार ने कहा कि हमारा चुनाव चिह्न न कहीं जाएगा, न हम उसे कहीं जाने देंगे।
अब पार्टी का कमान मेरे पास
राकांपा नेता व डिप्टी सीएम अजित पवार ने दावा करते हुए कहा 30 जून को कार्यकारिणी की बैठक हुई थी, एनसीपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शरद पवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से शरद पवार को हटाने के संबंध में प्रस्ताव पारित हुआ था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अध्यक्ष चुन लिया गया था। उन्होंने कहा कि प्रफुल्ल पटेल ने यह बैठक बुलाई थी।इस तरह 30 जून को ही राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार पद से हटाए जा चुके। अब पार्टी का कमान मेरे पास है।
राजनीति में उम्र ज्यादा मायने नहीं रखती- रोहित पवार
राकांपा विधायक रोहित पवार ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि उम्र ज्यादा मायने रखती है। जब शरद पवार लोगों के बीच जाएंगे तो पता चल जाएगा कि लोग किसके साथ हैं। जब हमने 2019 में राजनीति में प्रवेश किया और विधानसभा चुनाव लड़ा, तो पवार साहब 82 वर्ष के थे। हममें से अधिकांश लोग उनके कारण चुनकर आए थे।
शरद पवार गुट तैयार कर रहा शपथ पत्र
एनसीपी प्रमुख शरद पवार गुट की ओर विधायकों और पदाधिकारियों के लिए शपथ पत्र तैयार किया जा रहा है।
82 साल का शेर अभी भी जिंदा है- अनिल देशमुख
अजीत पवार की शरद पवार के लिए सेवानिवृत्ति वाली टिप्पणी पर अनिल देशमुख ने भी पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि 82 साल का शेर अभी भी जिंदा है। वे आज भी एक शेर की तरह लड़ रहे हैं।
महाराष्ट्र की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण- दीपेंद्र हुड्डा
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हु्ड्डा ने कहा कि महाराष्ट्र की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा इस तरह से तंत्र का प्रयोग कर ऐसी कार्रवाई कर रही है, लेकिन हरियाणा में उल्टा हो रहा है। पिछले एक साल में 29 पूर्व विधायक भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए हैं।