17 साल तक सुरक्षाबलों को छकाने वाला, 190 जवानों का हत्यारा नक्सली कमांडर मड़कम का समर्पण
5 लाख का इनाम घोषित मड़कम देवा के समर्पण पर यह पुरस्कार अब इन्हें प्रदान किया जाएगा। सल्वाजुडुम शिविर पर हमला सहित 12 से अधिक गंभीर अपराधों में ये आरोपी है।
रायपुर, जनजागरुकता। छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बल को बड़ी राहत मिली है। जंगल में फोर्स के लगातार बढ़ते दबाव ने कमाल कर दिया है। 17 साल से ज्यादा समय से सुरक्षा बलों को छकाने वाला, अनेक नक्सली घटनाओं में शामिल 190 सुरक्षा जवानों की जान लेने वाला नक्सली मड़कम देवा, उर्फ भगत ने अपने को समर्पण कर दिया है।
नक्सली लीडर पहाड़-जंगल की खाक छानते थक चुके व नक्सल सिद्धांतों से परेशान और गैर-आदिवासी सदस्यों के खिलाफ भेदभाव से निराश था। इस नक्सली लीडर पर पुलिस ने 5 लाख का इनाम घोषित कर रखा था, मड़कम देवा के समर्पण पर यह पुरस्कार अब इन्हें प्रदान किया जाएगा। सल्वाजुडुम शिविर पर हमला सहित 12 से अधिक गंभीर अपराधों में ये आरोपी हैं।
साल 2005 में नक्सल संगठन से जुड़ा देवा ने सुकमा की नक्सली सदस्य से 2009 में शादी कर ली थी। उन्होंने एएसआर जिला अधीक्षक तुहिन सिन्हा के सामने आत्मसमर्पण किया है।
बता दें कि मड़कम देवा उर्फ भगत दो दशक से कई नक्सली घटनाओं में मुख्य भूमिका निभाई है। इंजरम गांव के माओवादियों द्वारा सल्वाजुडेम शिविर पर भी हमला सहित 12 से अधिक गंभीर आपराधिक घटनाओं में आरोपी है। पुलिस अधिकारी के अनुसार, उसने एएसआर जिला अधीक्षक तुहिन सिन्हा के सामने आत्मसमर्पण किया है।
नक्सली कमांडरों की सुरक्षा में था तैनात
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार देवा साल 2005 में देवा कोंटा और दोरनापाल क्षेत्र समितियों के प्रभारी नक्सली नेता विजय के साथ गनमैन के रूप में तैनात किया गया था। उन्होंने 2007 तक काम किया। साल 2008 में देवा को 8वीं कंपनी में स्थानांतरित कर दिया गया। जहां उसने एक अन्य माओवादी नेता सिंगन्ना की कमान में एक साल तक काम किया, जिसने 2012 में आत्मसमर्पण कर दिया था।
ऐसे मिलती गई पदोन्नति
देवा ने 2009 में सुकमा की नक्सली सदस्य जो उनकी टीम में रही मादिवी मल्ले उर्फ गंगी से शादी कर ली थी। जो सुकमा जिले के किस्टाराम पुलिस स्टेशन क्षेत्र के मेट्टागुडेम गांव की मूल निवासी थी। वहीं इसी साल अगस्त-सितंबर में पहली बटालियन का गठन किया गया और देवा को पहली कंपनी की दूसरी प्लाटून में सेक्शन कमांडर के रूप में तैनात किया गया था। मार्च 2010 में बटालियन कमांडर मादिवी हिदुमा ने देवा को पीपीसीएम के रूप में पदोन्नत किया और उसे बटालियन के आपूर्ति टीम कमांडर के रूप में तैनात किया गया। सितंबर 2013 में देवा को कंपनी पार्टी समिति के सदस्य के रूप में पदोन्नत किया गया था।
ये बड़ी घटनाएं इनके नाम
देवा 2004 में कोंटा सहित माओवादियों द्वारा किए गए आईईडी विस्फोट में शामिल था, जिसमें लॉरी में यात्रा कर रहे 12 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। 2006 में, इंजरम गांव के माओवादियों द्वारा सल्वाजुडुम कैंप पर हमले में शामिल था, जिसमें दो सुरक्षा बल और 4 ग्रामीण मारे गए थे। 2006 में बड़े नक्सली हमले में शामिल था जिसमें 7 सीआरपीएफ कमांड शहीद हो गए थे। 2008 में सुकमा जिले के चिंतागुप्पा गांव के पास मिनपा गांव में तीसरी और 8वीं कंपनी सहित माओवादियों द्वारा लगाए गए हमले में शामिल था, जिसमें 12 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे।
ये घटनाएं भयानक रही थी
वर्ष 2009 में सुकमा जिले के चिंतागुप्पा गांव के पास, सिंगन्ना मडुगु गांव में पहली बटालियन सहित माओवादियों द्वारा लगाए गए हमले में शामिल थे, जिसमें 6 कोबरा कमांडो शहीद हुए थे। वर्ष 2010 में सुकमा जिले के चिंतागुप्पा थाने के पास पहली बटालियन और दूसरी सीआरसी जरमेटा गांव में माओवादियों द्वारा लगाए गए हमले में शामिल था, जिसमें 76 सीआरपीएफ कमांडो शहीद हो गए थे।
2014 में 14 सीआरपीए जवान शहीद हुए
2014 में सुकमा जिले के चिंतागुप्पा थाने के पास कसालपाडु गांव में पहली बटालियन सहित माओवादियों द्वारा लगाए गए हमले में भी शामिल था, जिसमें 14 सीआरपीएफ कमांडो मारे गए थे।
नक्सली विचारधारा से परेशान था
एपी पुलिस ने बताया कि सरेंडर नक्सली मड़कम देवा नक्सल सिद्धांतों से परेशान और गैर-आदिवासी सदस्यों के खिलाफ भेदभाव से निराश था। इसी वजह से उसने सरेंडर करने का फैसला किया।