गर्व की बात- छत्तीसगढ़ के एकमात्र आदिवासी राजा को एमपी सरकार ने दिया सम्मान
मध्य प्रदेश में आयोजित एक समारोह में छत्तीसगढ़ के एकमात्र आदिवासी राजा स्व. नरेशचन्द्र की मूर्ति का सीएम शिवराज सिंह चौरहान ने अनावरण किया।
भोपाल, जनजागरुकता डेस्क। यह गर्व की बात है कि छत्तीसगढ़ के राजा रहे जो मध्यप्रदेश के समय के एकमात्र आदिवासी मुख्यमंत्री रहे स्व. नरेशचन्द्र जी को आज के समय में एमपी में बीजेपी की सरकार में सम्मान मिला है। यहां उनकी मूर्ति का अनावरण किया गया है। इस दौरान राजा का पूरा परिवार मौजूद रहा।
इसके लिए मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 26 सितंबर को समारोह रखा गया था। जहां बीजेपी की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने एमपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों की मूर्तियां लगवाई हैं, जिसका अनावरण किया। यह छत्तीसगढ़ के लिए सम्मान की बात है। यहां सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों की मूर्तियों के बीच एक मूर्ति छत्तीसगढ़ के सपूत गोंड आदिवासी नेता, राजा नरेशचंद्र की भी है।
एमपी के इतिहास में रहे एक आदिवासी मुख्यमंत्री
एमपी के सीएण शिवराज सिंह चौहान के हाथों अनावरण कार्यक्रम के समय स्व. नरेशचन्द्र जी के परिवार के सदस्यों में उनकी पुत्री पूर्व सांसद पुष्पा देवी सिंह, सुपुत्री एमपी में पूर्व मंत्री रहीं कमला देवी सिंह, कुलिशा मिश्रा और परिवेश मिश्रा उपस्थित थे। इतिहास को देखें तो मध्य प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में छत्तीसगढ़ से एकमात्र आदिवासी मुख्यमंत्री बने थे।
सारंगढ़ रियासत के थे राजा
बता दें कि छत्तीसगढ़ के गोंड आदिवासी नेता राजा नरेशचंद्र सिंह जिन्होंने अपना पूरा जीवन जनता की सेवा में समर्पित कर दिया। मगर अफसोस उन्हें राजनैतिक दलों ने विस्मृत कर दिया। आजादी के बाद क़रीब 2 दशक तक मध्य प्रदेश में मंत्री पद संभालने वाले गोंड आदिवासी नेता राजा नरेशचंद्र सिंह जो कि सारंगढ़ रियासत के राजा थे।
राजनीतिक उठापटक से त्रस्त थे
भारत की आज़ादी के साथ ही उन्होंने अपनी रियासत का विलय भारतीय संघ में कर दिया था। अपना पूरा जीवन रियासत और सियासत में बिताने वाले राजा नरेशचंद्र ने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ली और आख़िर में राजनीतिक उठापटक से त्रस्त होकर राजनीति से संन्यास ले लिया था।
एमपी के समय के इतिहास के अनुसार..
राजा सारंगढ़ रियासत के राजा नरेशचन्द्र सिंह थे, जिन्होंने मध्यप्रदेश के पहले मंत्रिमंडल के सदस्य रहे। उन्होंने आदिवासी कल्याण, बिजली विभाग समेत अनेक महत्वपूर्ण पदों की ज़िम्मेदारी संभाली थी।
उनका जन्म 21 नवम्बर, 1908 को हुआ था उन्होंने राजकुमार कॉलेज, रायपुर से शिक्षा हासिल की थी।
शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने रायपुर में मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य कर प्रशासनिक दक्षता हासिल की। इसके बाद अपने पिता स्वर्गीय राजाबहादुर जवाहर सिंह, सीआईई के राज्यकाल में शिक्षा मंत्री के पद पर भी कार्य किया।
48 में आज़ाद भारत में सियासत विलीन कर दिया
1936-37 में महानदी की भयंकर बाढ़ के समय सहायता-कार्य में सक्रिय भागीदारी निभाई। जहां बाढ़ पीड़ितों को अन्न, वस्त्र व आवास संबंधी सहायता की। वहीं हैजा महामारी फैलने पर जनता की मदद की।
राजा नरेशचन्द्र सिंह ने 1942 में फुलझर राजा (सराईपाली-बसना) की सुपुत्री ललिता देवी से विवाह किया। 1948 में उन्होंने अपने राज्य को नये आज़ाद भारत में विलीन कर दिया।
सितम्बर 1949 में छत्तीसगढ़ के विलय हुए रियासतों के प्रतिनिधि के रूप में सारंगढ़ के राजा नरेशचन्द्र सिंह को विधानसभा में मनोनीत किया गया और फिर मंत्रीमंडल में शामिल किया गया था।
1951 में जब देश में प्रथम आमचुनाव हुआ तब कांग्रेस पार्टी की ओर से राजा नरेशचन्द्र सिंह ने सारंगढ़ सीट से ऐतिहासिक जीत हासिल की। इस चुनाव के बाद विद्युत के साथ ही लोकनिर्माण तथा आदिवासी कल्याण विभाग का दायित्व भी उन्हें दिया गया।
राजनीतिक तिकड़म से हो गए थे त्रस्त
13 मार्च 1969 को नरेशचंद्र सिंह मुख्यमंत्री बने, लेकिन उसके 13वें दिन ही यानि 25 मार्च 1969 को राजनीतिक तिकड़म और दांव-पेचों से त्रस्त होकर उन्होंने मुख्यमंत्री के पद के साथ विधानसभा से इस्तीफ़ा देकर राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी।
1969 में उनके इस्तीफे के चलते पुसौर विधानसभा खाली हुई। यहां उपचुनाव में उनकी पत्नी रानी ललिता देवी निर्विरोध चुनी गईं।
राजा नरेशचन्द्र सिंह जी के हाथों से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के हित में सरकारी विभाग और कार्यक्रमों की नींव पड़ी।
आरंग में महानदी पर बने पुल में उन्हीं का योगदान
लोकनिर्माण मंत्री के रूप रायपुर के पास आरंग में दो वर्ष की अवधि में महानदी पर बने पुल का पूरा श्रेय राजा नरेशचन्द्र सिंह को दिया जा सकता है।
राजा नरेशचन्द्र सिंह के विद्युत मंत्री रहने के दौरान मध्यप्रदेश विद्युत मंडल का गठन किया गया और उनके नेतृत्व में प्रदेशभर में विद्युत सुविधाओं का विस्तार हुआ।
ऐसा महान राजनेता जो कि सदैव अपने आदर्शों पर चलते रहे। जिनका योगदान मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। ऐसे राजनेता को अगर आज की युवा पीढ़ी न जाने तो यह दुख की बात है।
परिवार का एक सदस्य अब भी राजनीति में
छत्तीसगढ़ के गौरवशाली इतिहास में जिन महान लोगों का योगदान है उसमें सारंगढ़ रियासत की भी अहम भूमिका है। वर्तमान में सारंगढ़ राजपरिवार के सदस्य सारंगढ़ स्थित गिरिविलास पैलेस में निवास करते हैं। स्व. राजा नरेशचंद्र सिंह की नातिन कुलिशा मिश्रा इस वक्त राजनीतिक रुप से सक्रिय हैं और अपने परिवार के द्वारा सिखाए मार्ग पर बढ़ते हुए जनता की सेवा में लगी हुईं हैं।