चंद्रयान-3 पहुंचा चंद्रमा की कक्षा में, पूरी दुनिया का ध्यान सॉफ्ट लैंडिंग पर
23 अगस्त की शाम 5.47 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। लैंडर चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा।
श्रीहरिकोटा, जनजागरुकता डेस्क। अंतरिक्ष की दुनिया में भारत की सफलता दुनिया देख रही है। इसी में से एक और बड़ी उपलब्धि चंद्रयान तीन है। चंद्रमा पर जाने वाले विश्व के गिने-चुने देशों में शामिल होने वाले मुल्कों की कतार में शामिल होने के लिए भारत एक कदम और आगे बढ़ गया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मंगलवार को चंद्रमा पर जाने वाले अंतरिक्ष यान चंद्रयान-3 को ट्रांसलूनर कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है। इसके लिए ISTRAC में एक सफल पेरिगी-फायरिंग की गई। चंद्रयान-3 के चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने पर इसरो ने ट्वीट कर बताया कि 'चंद्रयान-3 पृथ्वी के चारों ओर अपनी परिक्रमा पूरी कर ली है। अब वह चंद्रमा की ओर बढ़ गया है।
इसरो के एक अधिकारी के अनुसार अगला पड़ाव- चंद्रमा.. चंद्रयान -ऑर्बिट इंसर्शन (एलओआई) की योजना 5 अगस्त, 2023 को चंद्रमा पर पहुंचाने की है। इस मिशन में सबसे पेचीदा मुद्दा सॉफ्ट लैंडिंग है, क्योंकि इसमें रफ और फाइन ब्रेकिंग सहित जटिल युद्धाभ्यासों की एक श्रृंखला शामिल होती है।
इसरो के अनुसार चंद्रया- 3 के चंद्रमा (ISRO India Moon Mission 2023) की कक्षा में प्रवेश करने पर इसरो ने ट्वीट किया। बताया कि 'चंद्रयान-3 पृथ्वी के चारों ओर अपनी परिक्रमा पूरी कर ली है। अब वह चंद्रमा की ओर बढ़ गया है। ISTRAC में एक सफल पेरिगी-फायरिंग की गई, इसरो ने अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित कर दिया है। अगला पड़ाव चंद्रमा. चंद्रयान -ऑर्बिट इंसर्शन (एलओआई) की योजना 5 अगस्त, 2023 को चंद्रमा पर पहुंचाने की है।
14 जुलाई को शुरू हुआ था मिशन
चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को भारत के हेवी लिफ्ट रॉकेट एलवीएम 3 द्वारा कॉपीबुक शैली में 14 जुलाई, 2023 को कक्षा में स्थापित किया गया था। ट्रांसलूनर ऑर्बिट इंजेक्शन वह प्रक्रिया है, जिसके तहत चंद्रमा की ओर जाने वाले अंतरिक्ष यान को एक खास पथ पर डाल दिया जाता है, जिससे वह स्मूथली चंद्रमा तक पहुंच सके।
23 अगस्त की शाम सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीद
बता दें कि इस अभियान में लैंडर के 23 अगस्त की शाम 5.47 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। लैंडर चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा। मिशन में बाद चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में एक प्रणोदन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है। इस मिशन का खास मकसद लैंडर को चंद्रमा की धरती पर सुरक्षित उतारना है। चंद्र कक्षा में प्रवेश करने के कुछ दिनों बाद लैंडर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा।
सबका ध्यान सॉफ्ट लैंडिंग की ओर
इस मिशन में सबसे पेचीदा मुद्दा सॉफ्ट लैंडिंग है, क्योंकि इसमें रफ और फाइन ब्रेकिंग सहित जटिल युद्धाभ्यासों की एक श्रृंखला शामिल होती है। सुरक्षित और खतरा-मुक्त क्षेत्र खोजने के लिए लैंडिंग से पहले लैंडिंग साइट क्षेत्र की इमेजिंग की जाएगी। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस की अवधि के लिए चंद्र सतह पर प्रयोग करेगा, जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है।