चुनाव कराना हिंसा का लाइसेंस नहीं हो सकता है'- सुप्रीम कोर्ट
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव, 'स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना राज्य चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है।
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि 'चुनाव कराना हिंसा का लाइसेंस नहीं हो सकता है।' सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना राज्य चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है।' अदालत ने कहा कि फोर्स कहां से आती है यह राज्य चुनाव आयोग को चिंता नहीं है फिर याचिका कैसे विचारणीय है।
सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि हाईकोर्ट ने सोचा होगा कि अन्य पड़ोसी राज्यों से बल मंगाने की बजाय केंद्रीय बलों को तैनात करना बेहतर होगा और खर्च केंद्र द्वारा वहन किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने आगे कहा, 'चुनाव कराना हिंसा का लाइसेंस नहीं हो सकता है।'
याचिका कैसे विचारणीय
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना राज्य चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है।' अदालत ने कहा कि फोर्स कहां से आती है यह राज्य चुनाव आयोग की चिंता नहीं है फिर याचिका कैसे विचारणीय है।
राज्य चुनाव आयोग ने कुछ भी नहीं किया है, सही नहीं- अधिवक्ता अरोड़ा
पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि यह टिप्पणी कि पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग ने कुछ भी नहीं किया है, सही नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता अरोड़ा ने कहा कि पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग किसी भी बल की मांग नहीं कर सकता है लेकिन राज्य से अनुरोध कर सकता है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश इसके विपरीत है।
एजेंडा यह है कि केंद्रीय बलों को मत बुलाओ- अधिवक्ता हरीश साल्वे
मामले में एक प्रतिवादी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि राज्य में समस्या है। उन्होंने कहा, 'एजेंडा तैनाती की वास्तविक चिंता नहीं है, एजेंडा यह है कि केंद्रीय बलों को मत बुलाओ।'
15 जून को आयोग को दिया था निर्देश
उच्च न्यायालय ने 15 जून को आयोग को निर्देश दिया था कि पंचायत चुनाव के लिए पूरे पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए 48 घंटे के अंदर मांग की जाए और उनकी तैनाती की जाए।