आदिवासी सरपंचों को क्षमता विहीन मानना गलत- पूर्व मंत्री महेश गागड़ा

पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने विधायक विक्रम मंडावी पर सरपंचों को परेशान करने का आरोप लगाया है। वहीं विधायक मंडावी ने कहा कि गागड़ा का आरोप बेबुनियाद है।

आदिवासी सरपंचों को क्षमता विहीन मानना गलत- पूर्व मंत्री महेश गागड़ा

बीजापुर, जनजागरुकता डेस्क। आदिवासी ग्राम पंचायत और सरपंचों के कार्यों में क्षेत्रीय विधायक विक्रम मंडावी रोड़ा अटकाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। यहां तक ग्राम पंचायत में चल रहे कामों को स्तरहीन बताकर कलेक्टर को पत्र लिखकर शिकायत करने से बाज नहीं आते हैं। इसके पीछे अपने पसंदीदा ठेकेदार से काम कराना होता है। यह आरोप पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने लगाया है।

आदिवासी सरपंचों का अपमान

उन्होंने कहा कि विधायक विक्रम मंडावी का यह रवैय्या आदिवासी सरपंचों का अपमान है। विधायक व्दारा सरपंचों के कार्य को क्षमता विहीन मानना गलत है।

विधायक का दखल देना समझ से परे

बयान जारी कर पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने कहा कि ग्राम पंचायत में निर्माण से जुड़े कामकाज कराना सरपंच का अधिकार है। विधायक विक्रम मंडावी का दखल देना समझ से परे है। वहीं दूसरी ओर विधायक विक्रम मंडावी ने गागड़ा के आरोप को बेबुनियाद  बताया है।

विधायक अपने चहेतों को काम दिलाने के फिराक में

पूर्व मंत्री और भाजपा नेता महेश गागड़ा ने विधायक विक्रम मंडावी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि विधायक अपने चेहतों के माध्यम से काम कर मोटी रकम बनाने का काम कर रहे हैं। साथ ही एक भारतीय लोक सेवा के अधिकारी भी नियम प्रक्रिया के संरक्षण और संचालन के जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि वे इसकी निंदा करते हैं।

पंचायतों को पचास लाख तक के कार्यों का अधिकार

पूर्व मंत्री गागड़ा ने कहा है कि मुख्यमंत्री द्वारा पंचायतों को पचास लाख तक के कार्यों का अधिकार दिया गया है। परंतु पूरे प्रदेश में पचास लाख तक का कार्य तो दूर पांच हजार तक का काम भी इनके विधायक कर रहे हैं। ऐसे में सरपंच अपने आपको बेबस होने के साथ ठगा महसूस कर रहे हैं। सूबे के मुखिया पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में पंचायतों को मजबूत और सशक्त हस्ताक्षर की बात करते हैं। वहीं उनके विधायक सरपंचों और ग्राम पंचायतों का अपमान कर रहे हैं। 

प्रशासन को पत्र लिखना निजी स्वार्थ नहीं- विधायक मंडावी

वहीं बीजापुर विधायक विक्रम मन्डावी ने भाजपा नेता महेश गागड़ा के आरोपों को गलत करार दिया है। उन्होंने कहा है कि प्रशासन को जल्द से जल्द और सुचारू रूप से कार्य करने के लिए जन प्रतिनिधियों द्वारा समय-समय पर पत्र लिखा जाता है। इसमें किसी भी प्रकार का कोई लाभ या निजी स्वार्थ नहीं है।

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