कृषि पत्रकारिता में हिन्दी की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण : Professor Sharma
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (Indira Gandhi Agricultural University) में बुधवार को हिन्दी पखवाड़ा 2024 के समापन के अवसर पर ‘‘कृषि पत्रकारिता में हिन्दी की भूमिका’’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
रायपुर, जनजागरुकता। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (Indira Gandhi Agricultural University) में बुधवार को हिन्दी पखवाड़ा 2024 के समापन के अवसर पर ‘‘कृषि पत्रकारिता में हिन्दी की भूमिका’’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय (Kushabhau Thakre University of Journalism and Mass Communication), रायपुर के कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा थे। प्रो. शर्मा ने कहा कि भारत की अधिकांश आबादी कृषि पर आश्रित होने के कारण यहां की अर्थ व्यवस्था में कृषि का बहुत महत्व है और अधिकांश आबादी के संवाद की भाषा हिन्दी होने के कारण यहां हिन्दी कृषि पत्रकारिता की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने की। विशिष्ट वक्ताओं के रूप में वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा, समीर दीवान तथा प्रफुल्ल पारे ने कृषि के विद्यार्थियों के लिए कृषि पत्रकारिता की संभावनाओं, अवसरों एवं चुनौतियों पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी का आयोजन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण एवं राजभाष हिन्दी प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय तथा कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के बीच शिक्षा एवं अनुसंधान में परस्पर सहयोग करने हेतु एक एम.ओ.यू. भी हस्ताक्षरित किया गया। समारोह में कृषि के नवीनतम ज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को किसानों एवं आम जनता तक पहुंचाने वाले पत्रकारों को सम्मानित भी किया गया।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रो. शर्मा ने कहा कि भारत की परंपराएं कृषि एवं ऋषि संस्कृति पर आधारित हैं। कृषि हमारे लिए केवल खाद्यान उत्पादन का माध्यम नहीं बल्कि यह हमारे जीवन का संस्कार है। भारत में कृषि को उत्तम दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में पत्रकारिता और कृषि एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा कि कृषि के विद्यार्थी कृषि पत्रकारिता को अपनाकर नवीनतम कृषि अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी का प्रसार किसानों तक कर सकते हैं। इसके अलावा वे किसानों से संबंधित समस्याओं को सरकार तथा जिम्मेदार अधिकारियों तक पहुंचाने का कार्य भी कर सकते हैं। वे कृषि से संबंधित सरकारी नीतियों, जलवायु परिवर्तन एवं अन्य कारणों से फसल उत्पादन में आने वाली चुनौतियों एवं बाजार की समस्याओं के बारे में भी राष्ट्रीय स्तर पर विमर्श का निर्माण कर सकते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. चंदेल ने कहा कि कृषि विषय का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के लिए रोजगार एवं कैरियर हेतु बहुत से क्षेत्र उपलब्ध हैं जिनमें शिक्षण, अनुसंधान एवं प्रसार क्षेत्रों के साथ ही विभिन्न शासकीय, अर्धशासकीय, कॉरपोरेट तथा निजी संस्थानों में सेवा के अवसर भी शामिल हैं। इसके अलावा कृषि के विद्यार्थी कृषि आदान निर्माता जैसे उर्वरक, खाद, दवा एवं बीज कम्पनियों में कैरियर बना सकते हैं। उनके लिए बैंकिंग एवं सहकारी उपक्रमों सहित कृषि से संबंधित अन्य क्षेत्रों में भी रोजगार-सेवा के अवसर उपलब्ध हैं। कृषि छात्रों के लिए ऐसा ही एक नया कैरियर कृषि पत्रकारिता भी हो सकता है। जहां वे कृषि से संबंधित पत्र-पत्रिकाओं, न्यूज चैनल्स, रेडियो चैनल तथा वेब पोर्टल्स में रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकते हैं। डॉ. चंदेल ने कहा कि आज कृषि विश्वविद्यालय एवं पत्रकारिता विश्वविद्यालय के मध्य सम्पन्न एम.ओ.यू. के द्वारा दोनों विश्वविद्यालय के विद्यार्थी एक दूसरे के पाठ्यक्रमों का अध्ययन कर सकेंगे।
संगोष्ठी के प्रमुख वक्ता शशांक शर्मा ने कहा कि किसानों की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करना कृषि पत्रकारिता का मुख्य कार्य है। कृषि पत्रकारिता में गांव की भाषा एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मीडिया में रील्स, यूट्यूब चैनल्स एवं सोशल साइड पोर्टल द्वारा भी कृषि पत्रकारिता को समृद्ध बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कृषि पत्रकारिता एक ऐसा करियर है जो ढे़रों विकल्प प्रदान करता है। एक कृषि पत्रकार समाचार लेखक, संपादक, समाचार रिपोर्टर, तकनीकी लेखक और अन्य के रूप में अपना करियर बना सकता है। वरिष्ठ पत्रकार समीर दीवान ने कहा कि कृषि शोध एवं अनुसंधानों को कृषकों के लाभ हेतु प्रस्तुत करना कृषि पत्रकारिता का उद्देश्य है। किसानों के हित और हक की बात करना भी कृषि पत्रकारिता का विषय है। उन्होंने कहा कि कृषि पत्रकारिता में कम्यूनिटी रेडियो का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कृषि पत्रकारिता में हिन्दी का अधिकाधिक उपयोग किये जाने पर जोर दिया। वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रफुल्ल पारे ने कहा कि आज से 20 वर्ष पूर्व कृषि पत्रकारिता एक महत्वहीन विषय था परन्तु अब परिदृष्य बदल गया है। कृषि को पत्रकारिता में काफी महत्व मिल रहा है। ग्रामीण पत्रकारिता आने वाले समय का भविष्य है।
इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार गतिविधियों को किसानों तथा आम जनता तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ पत्रकारों चंदन साहू, सुधीर उपाध्याय एवं संदीप तिवारी को कृषि विश्वविद्यालय द्वारा सम्मानित किया गया। अखिल भारतीय निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर की शोधार्थी छात्रा सुश्री दीक्षा को भी इस मौके पर सम्मानित किया गया। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. संजय शर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संगोष्ठी की रूप-रेखा प्रतिपादित की। विश्वविद्यालय के सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी तथा राजभाषा प्रभारी संजय नैयर ने अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राकेश बनवासी ने किया। इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव जी.के. निर्माम, कृषि, कृषि अभियांत्रिकी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठातागण, कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन के संचालक गण, प्राध्यापक, वैज्ञानिक एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।