कूनो नेशनल पार्क में बढ़ा चीतों का कुनबा, पीएम मोदी की योजना रंग लाई

एमपी के श्योपुर जिले में स्थित पार्क में चार नन्हे शावकों का जन्म हुआ है। केन्द्रीय मंत्री ने खुशी जताई।

कूनो नेशनल पार्क में बढ़ा चीतों का कुनबा, पीएम मोदी की योजना रंग लाई

श्योपुर, जनजागरुकता, डेस्क। कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन की उस समय खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब नामबिया आई मादा चीता सियाया ने चार शावकों को जन्म दिया।चीतों का कुनबा बढ़ाने के लिए विशेष तौर पर नामबिया से मादा चीता सियाया को लाया गया था। इस दौरान कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन ने सियाया के रहन-सहन का विशेष ख्याल रखा। जल्द ही सियाया यहां के माहौल में घुलमिल गई। जिसका परिणाम आपके सामने है। सभी को मिलाकर वर्तमान में कूनो में चीतों की संख्या 23 हो गई है। देश के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी सामने आई है। मादा चीता और चारों नन्हे मेहमान फिलहाल बिल्कुल स्वस्थ हैं।

चीतों का कुनबा बढ़ाने मोदी की योजना सफल

एक साथ चार शावकों के जन्म के बाद अब चीतों को देश में फिर से बसने की उम्मीदें रंग लाती दिख रही है। बता दें, पीएम मोदी ने अपने 72वें जन्मदिवस के मौके पर एमपी के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को छोड़ा था, जिनमें पांच नर और तीन मादा चीता शामिल थी।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने जताई खुशी

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को कहा कि नामीबिया से भारत लाए गए चीतों में से एक मादा चीता ने चार शावकों को जन्म दिया है। उन्होंने इसे 'अमृत काल' के दौरान भारत के वन्यजीव संरक्षण इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना बताया। ट्वीट कर लिखा कि "मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में 17 सितंबर 2022 को भारत लाए गए एक चीते के चार शावकों का जन्म हुआ है।

शावकों का जन्म एक सकारात्मक संकेत

चीता संरक्षण परियोजना में शामिल अधिकारियों ने नये मेहमानों के आगमन पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि शावकों का जन्म एक सकारात्मक संकेत है कि कूनो नेशनल पार्क में चीते अपने नए वातावरण में अच्छी तरह से ढल रहे हैं। पार्क को भारत की वन्यजीव आबादी में चीतों के पुन: प्रवेश के लिए एक उपयुक्त आवास के रूप में तैयार किया जा रहा है।

1952 में विलुप्त हो गया था चीतों की प्रजाति

भारत में आखिरी चीता वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में मरा था और चीतों की प्रजाति को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।करीब 22 साल के लंबे इंतजार के बाद 2022 में सबसे पहले नामीबिया से आठ चीते लाए गए थे, वहीं, इसी साल दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को लाया गया था। 

कुछ दिन पहले हुई थी मादा चीता शासा की मौत

सोमवार 27 मार्च को कूनो नेशनल पार्क स्थित अपने बाड़े में नामीबिया से आई मादा चीता साशा मृत मिली थी। उसकी किडनी खराब थी। चीतों को बसाने की इच्छा रखने वाले वन्यजीव प्रेमियों को झटका लगा था।

 

चीतों का कुनबा बढ़कर 23 हुई 

बीते साल 17 सितंबर को आठ चीते नामिबिया से लाकर कूनो में छोड़े गए थे, वहीं, दक्षिण अफ्रीका से 18 फरवरी को 12 चीतों का दूसरा जत्था भारत लाया गया था। इन 12 चीतों में सात नर और पांच मादा शामिल थीं। सभी चीतों को मिलाकर वर्तमान में कूनो में चीतों की संख्या 23 हो गई है।

पूर्व मंत्री जयराम ने की थी 'प्रोजेक्ट चीता' की शुरुआत 

पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के तहत 2009 में भारत में चीतों को फिर से पेश करने के उद्देश्य से 'प्रोजेक्ट चीता' की शुरुआत की थी। देश के कई राज्यों को पार्क में सर्वे के बाद मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क को चीतों को फिर से बसाने के लिए अनुकूल माना गया था और प्रोजेक्ट चीता के लिए चुना गया था।

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