एक पेड़ की सुरक्षा में खर्च 64 करोड़

भारत में स्थित इस पेड़ की 24 घंटे निगरानी पुलिस की टीम चारों ओर से करती है। इस पेड़ की ..ये है खासियत..

एक पेड़ की सुरक्षा में खर्च 64 करोड़

जनजागरुकता, रोचक डेस्क। इस पेड़ की खासियत की वजह से सुरक्षा में चौबीस घंटे पुलिस की एक तुकड़ी रहती है। चारों ओर पुलिस का पहरा होता है। बिना अनुमति के इस पेड़ तक कोई भी नहीं पहुंच सकता। हजारों साल पुराने इस वृक्ष को हर हाल में जिंदा रखना है इसलिए इस पर निगरानी रखी जाती है।

भारत में पाया जाने वाला यह पेड़ सबसे धनाड्य है। हजारों साल पुराने इस पेड़ से बड़ी आस्था जुड़ी हुई है। इस वजह से इस पेड़ की सुरक्षा पर सरकार ने अब तक 64 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। आपको इसकी खासियत बता दें कि ये बोधि वृक्ष है, जो मध्य प्रदेश के सांची में स्थित है।

एक रिकॉर्ड के मुताबिक इस पेड़ का ऐतिहासिक महत्व है। इसका इतिहास 2500 साल पुराना है। वहीं इससे बड़ी आस्था जुड़ी हुई है। इस वजह से इसकी सुरक्षा में 24 घंटे वर्दीधारी हथियारबंद पुलिस तैनात रहती है। इस पेड़ के संबंध में मिली जानकारी अनुसार वर्तमान में इस पेड़ पर संक्रमण है। कीड़ों की वजह से यह प्रभावित हो रहा है। ऐसे में इस पेड़ को बचाने की कोशिश की जा रही है।

2 हजार 5 सौ साल पुराना इतिहास

भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच खड़े इस खास पेड़ का इतिहास 2 हजार 5 सौ साल पहले से शुरू होता। माना जाता है कि महात्मा बुद्ध को बोधगया में वटवृक्ष के नीचे ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसके बाद हिन्दू धर्म के साथ ही बौद्ध धर्म में भी वटवृक्ष का महत्व बढ़ गया। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस पेड़ की पूजा करने लगे। उसके बाद ज्यादातर बौद्ध स्थलों पर इस पेड़ को रोपित किया जाने लगा।

ये भी इतिहास के पन्नों पर है

वहीं इस पेड़ के बारे में इतिहास के पन्नों पर और भी खास बातें है। इतिहासकारों के अनुसार करीब 269 ईसा पूर्व सम्राट अशोक के बौद्ध धर्म अपनाने के बाद सांची में स्तूप बना और बौद्ध धर्म का विश्वव्यापी प्रचार-प्रसार शुरू हुआ। इसके बाद अशोक ने अपने दूत श्रीलंका भेजे और उनके साथ सांची में लगे बोधि वृक्ष वट वृक्ष की शाखा को वहां के राजा देवानामपिय तिस्स को भेजी था। श्रीलंका के राजा ने इस शाखा को अपनी राजधानी औरंधापुरा में लगाया।

कड़ी सुरक्षा में भी पेड़ में लगी बीमारी

भारत में इस पेड़ की खासियत और इतिहास से जुड़ी धार्मिक घटनाक्रम की महत्ता को देखते हुए इस पेड़ की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की गई। तब से लेकर अब तक राज्य ने इस पेड़ की हर स्थिति में सुरक्षा व पानी पर 64 करोड़ खर्च कर चुका है। वहीं जानकारी मिली है कि इस बोधिवृक्ष को लीफ कैटरपिलर नामक कीट ने संक्रमित कर दिया है। जिस वजह से इसकी पत्तियां सूखने लगी है। इसे लेकर सुरक्षा कर्मचारियों का कहना है कि उद्यान विभाग ने पेड़ को बचाने की कवायद शुरू कर दिया है।

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