2000 के नोट बदलने की आरबीआई नीति का भाजपा ने किया विरोध

भाजपा नेता आरबीआई-एसबीआई के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा है। कहा बिना पहचान पत्र के नोट बदलना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन।

2000 के नोट बदलने की आरबीआई नीति का भाजपा ने किया विरोध

नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। आरबीआई के व्दारा बिना किसी पहचान पत्र के 2,000 के नोट बदलने की अनुमति देने पर भाजपा ने आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि हाल में केंद्र ने यह घोषणा की थी कि प्रत्येक परिवार के पास आधार कार्ड तथा बैंक खाता होना चाहिए। फिर आरबीआई बिना किसी मांग पर्ची और पहचान प्रमाण के जमा कराने या अन्य छोटे मूल्य के नोट में नकद भुगतान किए जाने का आदेश मनमाना, तर्कहीन और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। बैंक ने 20 मई के पत्र में कहा कि ‘विनिमय के समय कोई पहचान प्रमाण प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं है।  

 

आरबीआई का आदेश तर्कहीन

भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने एक जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 2000 रुपये के नोट बिना किसी मांग पर्ची और पहचान प्रमाण के जमा कराने का आरबीआई क्यों बदलने की अनुमति दे रहा है। आरबीआई का  आदेश मनमाना, तर्कहीन और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया  ने हाल ही में दो हजार रुपये के नोट को चलन से वापस लेने का एलान किया है। अब यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। याचिका में कहा गया है कि अधिक मूल्य के नोट में नकद लेनदेन भ्रष्टाचार का मुख्य स्रोत है तथा इन नोटों का आतंकवाद, नक्सलवाद, अलगाववाद, कट्टरपंथ, जुआ, तस्करी, धन शोधन, अपहरण, वसूली, रिश्वतखोरी और दहेज आदि जैसे गैरकानूनी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है। याचिका के अनुसार, यह देखते हुए आरबीआई और एसबीआई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 2,000 रुपये के नोट केवल संबंधित बैंक खातों में ही जमा किए जाए।

भ्रष्ट लोगों ने जमा कर रखे हैं रुपये

इसके अलावा, याचिका में कहा गया है कि बड़ी संख्या में नोट लोगों के लॉकर में पहुंच गए हैं। वहीं, शेष अलगाववादियों, आतंकवादियों, माओवादियों, मादक पदार्थ के तस्करों, खनन माफियाओं तथा भ्रष्ट लोगों ने जमा कर रखे हैं। काले धन पर रोक लगाने के लिए मांग की गई है। 

..तभी अधिक संपत्ति वालों की पहचान होगी 

याचिका में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय स्टेट बैंक को निर्देश दिए जाएं कि 2000 रुपये के नोट संबंधित बैंक खातों में ही जमा कराए जाएं। इससे काले धन और आय से अधिक संपत्ति रखने वाले लोगों की आसानी से पहचान हो सकेगी। साथ ही भ्रष्टाचार, बेनामी लेनदेन को खत्म करने में मदद मिलेगी।

जनता को 30 सितंबर तक का समय

गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 19 मई को 2,000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा की थी। इन नोटों को बैंक खातों में जमा करने या बदलने के लिए जनता को 30 सितंबर तक का समय दिया गया है।

रुपये बदलने पहचान प्रमाण प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं

भारतीय स्टेट बैंक ने अपने सभी स्थानीय प्रधान कार्यालयों के मुख्य महाप्रबंधक को पत्र लिखकर कहा है कि आम लोगों को एक बार में कुल 20,000 रुपये तक के 2,000 रुपये के नोटों यानी 2,000 रुपये के दस नोटों को बदलने के लिए किसी फॉर्म की जरूरत नहीं होगी।

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